महाराष्ट्र में एक के बाद एक नेताओं की चेकिंग पर हंगामा, हवाई सफर के दौरान किन्हें और क्यों मिलती है तलाशी से छूट.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले नेताओं की हवाई यात्रा के दौरान हुई सघन सुरक्षा जांच सुर्खियों में है. एक के बाद एक बड़े नेताओं की चेकिंग का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए चरम पर पहुंचे प्रचार अभियान के दौरान कई बड़े नेताओं की सुरक्षा जांच और बैग की तलाशी पर सियासी बहस तेज हो गई है. हवाई यात्रा के दौरान उद्धव ठाकरे, देवेंद्र फडणवीस, अजीत पवार, रामदास आठवले, राज ठाकरे जैसे नेताओं की चेकिंग के बाद सवाल उठने लगे. नितिन गडकरी और एकनाथ शिंदे की चेकिंग की खबरें भी सामने आई.
महाराष्ट्र चुनाव में नेताओं की तलाशी या जांच पर बहस तेज
महाराष्ट्र चुनाव के बीच नेताओं की तलाशी या जांच को लेकर बहस शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे की दो बार चेकिंग के बाद शुरू हुई. यवतमाल जिले के वानी हेलीपैड पर उद्धव ठाकरे के बैग की जांच के बाद सोलापुर में चुनाव अधिकारियों ने एक ही दिन में दूसरी बार उनके हेलिकॉप्टर की तलाशी ली. इसके बाद भड़के उद्धव ठाकरे ने पूछा कि पीएम मोदी भी सोलापुर में थे, फिर उनके हेलीकॉप्टर की तलाशी क्यों नहीं ली गई.
कई बड़े नेताओं के हेलीकॉप्टर से लेकर बैग तक की चेकिंग
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बाद, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बैग की जांच भी की गई. चेकिंग वाले नेताओं की लिस्ट में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और रामदास आठवले का नाम भी शामिल है. आइए, जानते हैं कि अपने देश में प्रोटोकॉल के तहत किन-किन लोगों की तलाशी नहीं ली जाती है? सिक्योरिटी चेकिंग के दौरान प्रोटोकॉल को लेकर नियम क्या कहता है?
एयरपोर्ट पर किन- किन लोगों की तलाशी नहीं ली जाती?
संसद सत्र के दौरान लोकसभा में भी यह सवाल उठाया जा चुका है कि हवाई यात्रा में किन-किन लोगों की तलाशी नहीं ली जाती? नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से दिए गए इसके जवाब के मुताबिक, नियम कहता है कि हवाई सफर के प्रोटोकॉल के तहत देश के कुछ बेहद महत्वपूर्ण पद पर बैठे लोगों की तलाशी नहीं ली जाती. नियम के साथ ही वह तीन कारण भी बताए गए हैं, जिसके चलते देश में कुछ चुनिंदा लोगों की तलाशी नहीं ली जाती हैं.
कुछ चुनिंदा लोगों की तलाशी नहीं लेने की क्या है वजह?
सघन जांच या तलाशी नहीं लेने के पीछे बताए गए कारणों में पहला यह है देश के सबसे उच्चे पदों पर बैठे शख्सियतों के लिए प्रोटोकॉल ही ऐसा बनाया गया है. जिसे मानना अनिवार्य है. विदेशी मेहमानों और उच्च पदों के लोगों को दिए जाने वाला सम्मान इसका दूसरा कारण है. वहीं, तीसरा महत्वपूर्ण कारण है सुरक्षा. इसका मकसद है कि कोई शख्स इस बहाने भी उन तक न पहुंच सके. इसलिए, बेहद अहम लोगों को तलाशी की प्रक्रिया से दूर रखा जाता है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की लिस्ट में कौन-कौन शामिल?
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से जारी ऐसे 31 पदों की लिस्ट में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यों के राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, कैबिनेट स्तर के केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यों के उप मुख्यमंत्री, उपाध्यक्ष, योजना आयोग, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, भारत रत्न अलंकरण धारक, विदेशी देशों के राजदूत, उच्च आयुक्त और उनके जीवनसाथी शामिल हैं.
इसके अलावा, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, राज्यसभा के उप सभापति और लोकसभा के उपाध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के राज्य मंत्री, भारत के महान्यायवादी, कैबिनेट सचिव, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, पूर्ण जनरल या समकक्ष रैंक वाले, चीफ ऑफ स्टाफ, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उप मुख्यमंत्री, एसआई के समान स्तर के विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को भी छूट मिली है.
पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री के जीवनसाथी की भी चेकिंग नहीं की जाती. इस लिस्ट में दलाई लामा समेत एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोग भी शामिल होते हैं. उनकी भी सघन जांच नहीं की जाती. इन्हें भी तलाशी से दूर रखा गया है. हालांकि, चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने पर चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक फैसले लिए जाते हैं.
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