तुळजा प्लास्टीक इंडस्ट्रीज को बनाना है देश का सबसे बडा उदयोग-तुषार तायडे
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तुषार तायडेजी का मुष्किलों का सामना करते हुए डाॅ.बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों से प्रभावित होकर उनके जीवन की संघर्ष यात्रा जारी है।
तुळजा प्लास्टीक इंडस्ट्रीज को बनाना है देश का सबसे बडा उदयोग, प्रगती की राहपर विश्वास के साथ तुषारजी आगे बढ रहे है!
तुषार तायडेजी का जनम 1984 में जलगाव में हुआ। उनके माता पीता दोनोंही शिक्षक थे। उनकी पढाई रावेर तहसिल के निंबोल गांव में हुई। उसके बाद उन्होंने आगेकी पढाई जलगांव में की। जलगांव में आय.एम.आर काॅलेज में उन्होंने बी.ई.काॅमर्स की डिग्री हासिल की, उसके बाद सन 2005 में आय.सी.आय.सी.आय बॅंक मे पहली नोकरी की, होम लोन डिर्पाटमेंट में सेल्स एक्झीकीटीव्ह के ओहदेपर वे काम करने लगे। उस समय उन्हे 3000 रूपए वेतन मिलता था। उसके बाद सन 2006 में उनका विवाह संपन्न हुआ और उनकी जिम्मेदारी और बढने लगी। उसके बाद उन्होंने और अन्य कई जगह नोकरी की, लेकीन उन्हें समाधान नही मिल रहा था। वे मन मे कई बार ये सोचते थे, खुद का कोई व्यवसाय प्रारंभ करे, लेकीन सवाल ये था व्यवसाय कौनसा करे?, कैसे करे? और इन्वेस्टमेंट के लिए पैसे कहासे लाए ये सारे सवाल उनके सामने थे, उसके बाद उन्होंने उनके सभी मित्रों से चर्चा की, उस वक्त उन्हें उनके एक दोस्त से जानकारी मिली की मार्केट में सबसे ज्यादा कीस चिज की माॅंग है इसका आप सर्वे करों, तब उन्हे खेती मे लगनेवाले ठिबक नली का उन्हें पता चला, उसे बनाने के लिए लगनेवाला राॅ मटेरीयल यानी प्लास्टीक का दाना वे बना सकते है इस बात पर उन्होंने निर्णय लिया। उसके बाद उन्हें अपने परीवार के साथ बिझनेस के विचार सांझा किए। तब उन्हें सुझाव मिले की मिडलक्लास के लोगोंने नोकरी करनी चाहीए, वे बिझनेस नही कर सकते, बिझनेस में वे सफलता हासील नही कर पाएंगे। लेकीन उन्होंने कीसी की एक न सुनी और अपने बिझनेस के विचार पर डटे रहे। कुछ महीनोंबाद उनके दोस्त ने उन्हे जिल्हा उदयोग केंद्र के बारे में बताया। उन्हें प्रधानमंत्री रोजगार निर्मिती के बारे में बताया गया। जीससे जानकारी जुटाकर उन्होंने पी.एम.एई.जी.पी. योजना के तहत आर्थिक योजना का लाभ लिया। और 12 मार्च 2019 में प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर कई बॅंकों में कर्ज के लिए गुहार लगाते रहे लेकीन अंततः 2 साल प्रतिक्षा करने के बाद उन्हें यूनियन बँक ऑफ़ इंडिया,रावेर के प्रबंधक व्दारा उनका प्रोजेक्ट पास किया गया और उन्हें कर्ज मिला जिससे उनके सपनो की गाडी तेजी से दौडने लगी।
5 फरवरी 2021 में तुळजा प्लास्टीक इंडस्ट्रीज की शुरूआत हुई। और रावेर में उनके कदम प्रगती की और बढने लगे। यहाॅंसे उनके जिवन की सही परिक्षा का प्रारंभ हुआ। कंपनी तो शुरू हो गई लेकीन सवाल उनके सामने कई थे। कच्चा माल किसे बेचे?, कहाॅ बेचे? वे इस क्षेत्र में नए थे। उन्हें लगता था की लोग उनपर विश्वास नही रखेंगे। वैसा ही उनके साथ हो रहा था। शुरूआती दौर में उनके पास कोई ग्राहक नही आते थे। उस समय रेंट देना, लाईट बील, कामगारों का पगार बॅंक का इन्स्टाॅलमेंट ये सारी जिम्मेंदारीयाॅ संभालना उनके लिए बडा कठीण लग रहा था। पहले दो वर्षौतक ये सारी तकलीफे सहते हुए उन्हें लगने लगा की, घरवाले सही कह रहे थे। बिझनेस करना इतनाभी आसान नही है। उन्हें लगने लगा की उन्होंने नोकरी छोडकर गलती की है। लेकीन वे उस सफर में इतने आगे निकल चुके थे की उनके लिए वापस आना मुनकीन नही था। उन्होंने हिम्मत से हर चुनौती का सामना किया। उन्हे कईबार नुकसान उठाना पडा, उन्होंने अपनी जीद नही छोडी, वे हिम्मत से आगे बढते रहे, अपने बिझनेस में एकनिष्ठता के साथ काम कर रहे थे। और समस्यांओं का समाधान ढूंड रहे थे।
इस सफर में उन्हें उनकी पत्नी ने हर कदमपर साथ दिया, उनके माता पीता सुखदुख में हमेशा उनके साथ खडे रहे। धिरे धिरे दिन बितते गए। कभी फायदा तो कभी नुकासान उठाते हुए वे आगे बढते रहे।
उन्होंने ये सिखा था की हर दिन हमने कुछ ना कुछ सिखना जरूरी है, उनके विचारों के अनुसार कोई ग्राहक अच्छा या बुरा नही होता, हर ग्राहक भगवान स्वरूप होता है जिनकी सेवा करना अपना परम कर्तव्य होता है। उनकी कंपनी के सारे सहयोगी और कामगार उनके लिए निष्ठा से काम करते है। वे उनके कामगारों का भी धन्यवाद करते है। और वे मानते है की उनके जिवन के हर सुख दुख में उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सहयोग है। उनके लिए उनके सहयोगी और कामगार मित्र उनके दुसरे परीवार के समान है।
लोग आज उन्हे अलग नजरीये से देखते है। लेकीन सफलता के इस मुकामतक पहुॅचने के लिए उन्होंने कितने प्रयास कीए और कितनी मेहनत की है यह कोई नही देखता। जो सपना उन्होंने अपने लिए बुना था वह सपना उन्होंने साकार करके दिखाया है, जिसका उन्हें अभिमान है। वे अपने मातापीता का धन्यवाद करते है की उन्होंने कठीण समय में उनका साथ दिया उनकी पत्नी ने उन्हे समझने की कोशीष की। उनके सभी मित्र और सहयोगीयों का भी वे धन्यवाद करते है। उन्हे अभिमान है की वे डाॅ.बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों से प्रभावित होकर जिवन मे आगे बढ रहे है। जिनके विचारों से उन्हें संघर्ष करने की ताकद मिली है, उन्हें जिवन हिम्मत के साथ आगे बढना है, सफलता के कई मुकाम उन्हें हासिल करने है। इस सफर में हम उन्हें रिसील की और से बोहत बोहत शुभकामनाए देते है।
लेखक : सचिन आर जाधव
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