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    April 22, 2025

    टमाटर का घटा रुतबा, गिरे दाम, प्याज के चढ़े तेवर ने बिगाड़ा जायके का स्वाद, जानिए कब होगा सस्ता।

    1 min read
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    फेस्टिव सीजन भर लोग इंतजार ही करते रहे गए की प्याज, टमाटर की कीमतों में गिरावट आएगी, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ. वेडिंग सीजन में सब्जियों के बढ़ते दाम से खर्च बढ़ा दिया है. आम जनता को लगातार झटका लग रहा है.

    फेस्टिव सीजन भर लोग इंतजार ही करते रहे गए की प्याज, टमाटर की कीमतों में गिरावट आएगी, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ. वेडिंग सीजन में सब्जियों के बढ़ते दाम से खर्च बढ़ा दिया है. आम जनता को लगातार झटका लग रहा है. हालात ये है कि प्याज-टमाटर समेत खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमत के चलते अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के दायरे से बाहर चली गई. हालात ये है कि देश के अधिकांश हिस्सों में प्याज 70 से 80 रुपये के पार हो गया है,. वहीं लहसुन की कीमत 400 रुपये किलो को पार कर गया है. इस बीच टमाटर के तेवर थोड़े कम तो हुए है, लेकिन प्याज अब भी सातवें आसमान की ओर बढ़ रहा है.

    कब सस्ता होगा प्याज
    लोगों को इंतजार है कि प्याज की कीमत में कब राहत मिलेगी. कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी की माने तो कुछ दिनों में प्याज की कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है. दरअसल बाजार में खरीफ फसल के उतरने के बाद प्याज की कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा रही है. रबी फसल में प्याज की पैदावार कम होने, बारिश और बाढ़ की मार के चलते प्याज की आपूर्ति प्रभावित हुई, जिसके कारण प्याज के दाम में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है.
    टमाटर में मिली थोड़ी राहत, फिर भी 52 रुपये किलो

    केंद्र सरकार का कहना है क‍ि टमाटर की कीमत में लगभग 22 प्रतिशत की कमी आई है. सरकार के मुताबिक आपूर्ति बढ़ने से टमाटर की कीमतों में यह कमी आई है. मंडी में टमाटर की कीमत में आई कमी के कारण खुदरा कीमत में भी कमी आ रही है. 14 नवंबर को टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 52.35 रुपये प्रति किलोग्राम था. यह 14 अक्टूबर को 67.50 रुपये प्रति किलोग्राम से 22.4 प्रतिशत कम है. इसी अवधि के दौरान, टमाटर की आवक में वृद्धि होने से आजादपुर मंडी में कीमतें लगभग 50 प्रतिशत घटकर 5,883 रुपये प्रति क्विंटल से 2,969 रुपये प्रति क्विंटल हो गई.

    पिंपलगांव, मदनपल्ले और कोलार जैसे बेंचमार्क बाजारों से भी मंडी की कीमतों में भी इसी तरह की कमी की सूचना मिली है. कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, 2023-24 में टमाटर का कुल वार्षिक उत्पादन 213.20 लाख टन है. यह 2022-23 में 204.25 लाख टन से 4 प्रतिशत अधिक है. हालांकि टमाटर का उत्पादन पूरे वर्ष होता है, लेकिन उत्पादन क्षेत्रों और उत्पादन की मात्रा में मौसमी परिवर्तन होता रहता है.

    सब्जियों की कीमत पर असर
    मौसम की प्रतिकूल स्थिति और आपूर्ति में मामूली व्यवधान के कारण भी टमाटर की कीमतों पर अत्याधिक प्रभाव पड़ता है. अक्टूबर में टमाटर की कीमतों में उछाल आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अत्यधिक और लंबे समय तक बारिश के कारण था. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में टमाटर उत्पादन में सामान्य मौसमी प्रभाव से पता चलता है कि प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्यों में अक्टूबर और नवंबर में बुवाई होती है. हालांकि, फसल की खेती की कम अवधि और टमाटर की फसल कई बार तोड़ने के कारण बाजार में टमाटर की निरंतर उपलब्धता रहती है.

    केंद्र सरकार के मुताबिक मदनप्पल और कोलार के प्रमुख टमाटर केंद्रों पर आवक में कमी हुई है, लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों से मौसमी आवक के कारण कीमतों में कमी आई है. यह मौसमी आवक पूरे देश में टमाटर की आपूर्ति की कमी को पूरा कर रही है.

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