अमेरिका के खिलाफ TikTok बना चीन का नया हथियार…बड़े ब्रांड्स की लंका लगा रहे ड्रैगन के ‘सोशल सिपाही’.
1 min read
|








यह सब इतना आसान नहीं है, एक्सपर्ट चेतावनी दे रहे हैं कि इन सस्ते सौदों के लालच में ग्राहक नकली सामान खरीद सकते हैं. अमेरिका में 2023 में 1.8 बिलियन डॉलर के फेक प्रोडक्ट्स जब्त किए गए थे.
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर अब सोशल मीडिया तक पहुंच चुका है. लेकिन इस बार बात डांस वीडियो या ब्यूटी हैक्स की नहीं है, बल्कि सीधे फैक्ट्रियों से लग्ज़री सामान बेचने की हो रही है. दरअसल, चीन की फैक्ट्रियां अमेरिका के टैरिफ को जवाब देने के लिए अब सोशल मीडिया, खासतौर से अमेरिका में पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म TikTok का इस्तेमाल कर के अमेरिकी उपभोक्ताओं तक सीधे पहुंच बना रही हैं.
यहां कंपनियां दावा कर रही हैं कि वे वही सामान एकदम सस्ते में दे रही हैं, जो बड़े ब्रांड्स हजारों में बेचते हैं. TikTok पर लाखों बार देखे जा चुके इन वीडियो में लोग Lululemon की योगा पैंट्स सिर्फ 5-6 डॉलर में बेचते नजर आ रहे हैं, जबकि बाजार में इनकी कीमत 100 डॉलर तक होती है. कुछ वीडियो में तो Louis Vuitton और Birkin जैसे ब्रांड्स के बैग्स को महज 50 डॉलर में ऑफर किया जा रहा है.
क्या है इन दावों का सच?
इन वायरल वीडियो में दावा किया जाता है कि सामान उसी फैक्ट्री से आता है, जहां ये बड़े ब्रांड अपने प्रोडक्ट बनवाते हैं, बस फर्क इतना है कि उस पर ब्रांड का टैग नहीं लगा होता. हालांकि इन दावों को लेकर ब्रांड्स ने अपनी सफाई दी है. Louis Vuitton ने साफ कहा कि उनका कोई भी सामान चीन में नहीं बनता. Lululemon ने भी कहा कि उनकी सिर्फ 3 फीसदी मैन्युफैक्चरिंग चीन में होती है और उनकी सप्लाई चेन की पूरी जानकारी वेबसाइट पर मौजूद है. बावजूद इसके, TikTok पर कई यूज़र्स इन सस्ते विकल्पों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये सामान असली नहीं बल्कि “डुप” यानी नकली या हूबहू दिखने वाले प्रोडक्ट्स हैं. ‘Dark Luxury’ किताब के लेखक कॉनराड क्विल्टी-हार्पर कहते हैं कि ये वीडियो फेक और असली मैन्युफैक्चरर्स के बीच की लाइन को धुंधला करने की कोशिश कर रहे हैं और सोशल मीडिया के जरिए पश्चिमी देशों में इसकी मांग भी बढ़ा रहे हैं.
मई 2025 से खत्म हो जाएगी छूट
ये ट्रेंड ऐसे वक्त में सामने आया है जब अमेरिका में 800 डॉलर से कम के आयातित सामान पर मिलने वाली टैक्स छूट मई 2025 में खत्म होने वाली है. माना जा रहा है कि इससे पहले जितना माल सीधा उपभोक्ताओं तक पहुंचा दिया जाए, उतना फायदेमंद होगा. कुछ TikTok यूज़र्स तो अमेरिका की ट्रेड पॉलिसीज़ से नाराज़ भी दिखे. एक यूज़र ने लिखा, “अमेरिकियों को टैरिफ नहीं, क्रांति की ज़रूरत है. आपकी सरकार ने आपके जॉब चीन भेज दिए हैं और अब आपका फ्यूचर भी बेच रही है.”
नकली सामान का गढ़ है चीन
यह सब इतना आसान नहीं है, जितना दिख रहा है. एक्सपर्ट चेतावनी दे रहे हैं कि इन सस्ते सौदों के लालच में ग्राहक नकली सामान खरीद सकते हैं. अमेरिका में 2023 में 1.8 बिलियन डॉलर के फेक प्रोडक्ट्स जब्त किए गए थे. चीन लंबे समय से दुनिया का सबसे बड़ा नकली सामान बनाने वाला केंद्र रहा है और ऐसे सौदे न सिर्फ आर्थिक नुकसान दे सकते हैं, बल्कि कानूनी मुसीबतें भी बढ़ा सकते हैं.
TikTok पर ये ट्रेंड दिखाता है कि अब ग्लोबल ट्रेड की जंग सिर्फ सरकारी नीतियों तक सीमित नहीं रही, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म भी इसका अहम हथियार बन गए हैं. हाल ही में चीन ने 7 रेयर अर्थ मेटल्स के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगाई है, जो अमेरिकी रक्षा, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए बेहद जरूरी हैं. इससे साफ है कि चीन अपने मैन्युफैक्चरिंग और संसाधनों को अब एक जियोपॉलिटिकल हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments