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    April 20, 2025

    ‘भारत की ग्रोथ पर खतरा’, US टैरिफ के बीच Moody की चेतावनी, जानें 90 दिनों बाद दुनियाभर के क्या होंगे हालात।

    1 min read
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    Moody रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा, “शुल्क से सबसे ज्यादा जोखिम गैर-वित्तीय कॉरपोरेट क्षेत्रों को है. कम रेटिंग वाली कंपनियां ऋण बाजारों पर अपनी निर्भरता से प्रभावित होंगी.

    अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज का बुधवार को आया पूर्वानुमान भारत समेत दुनियाभर के देशों की चिंताओं को और बढ़ाकर रख दिया है. एजेंसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ रेट साल 2025 में अपने पूर्ववर्ती अनुमान 6.5 प्रतिशत से घटाकर उसे 5.5 प्रतिशत कर दिया. फरवरी में ग्रोथ रेट 6.6 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था. अपने अनुमान में मूडी ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के चलते मंडराते वैश्विक मंदी की वजह से व्यवसाय और निवेश प्रभावित होगा.

    मूडी ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा कि टैरिफ और ट्रेड में तनातनी की वजह से वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा, क्षेत्रीय निर्यात में कमी आएगी और इससे व्यवसाय को चोट पहुंचेगी. साथ ही, एशिया प्रशांत क्षेत्र में निवेश में कमी आएगी.

    रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिकी शुल्क से कर्ज की स्थिति कमजोर होगी और खासकर कम रेटिंग वाली कंपनियों के लिए चूक का जोखिम बढ़ेगा. इससे अप्रत्याशित अमेरिकी व्यापार नीति से वैश्विक ऋण की स्थिति खराब होगी और व्यापक आर्थिक प्रभाव से वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ेगी. साथ ही मंदी की आशंका बढ़ेगी.

    थमेगी ग्रोथ रफ्तार
    Moody रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा, “शुल्क से सबसे ज्यादा जोखिम गैर-वित्तीय कॉरपोरेट क्षेत्रों को है. कम रेटिंग वाली कंपनियां ऋण बाजारों पर अपनी निर्भरता से प्रभावित होंगी. ज्यादातर बैंकों और संप्रभु देशों के लिए जोखिम, आर्थिक कमजोरी के जरिये अप्रत्यक्ष हैं.”

    मूडी की तरफ से ये पूर्वानुमान दुनियाभर के देशों पर टैरिफ की दरों में 90 दिनों के लिए ब्रेक लगाकर उसे 10 फीसदी करने और चीन पर 145 प्रतिशत किए जाने के बाद आया है. अब 16 अप्रैल को इसे और बढ़ाकर 245 प्रतिशत कर दिया गया है.

    बढ़ेगी वैश्विक चिंता
    Moody रेटिंग्स ने कहा, “शुल्क ने वित्तीय बाजारों को झकझोर दिया है और वैश्विक आर्थिक मंदी का जोखिम बढ़ा दिया है. निरंतर अनिश्चितता से व्यापार नियोजन में बाधा आएगी, निवेश रुकेगा और उपभोक्ता धारणा पर असर पड़ेगा.”

    एजेंसी ने कहा कि हालांकि इस ‘विराम’ से व्यवसायों को उत्पादन और स्रोत को समायोजित करने के लिए अधिक समय मिलेगा, लेकिन 90 दिन के बाद शुल्क व्यवस्था पर स्पष्टता की कमी से व्यवसाय नियोजन में बाधा उत्पन्न होगी, निवेश रुकेगा और वृद्धि धीमी होगी.

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