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    May 7, 2025

    यहोवा यिरे फाउंडेशन के माध्यम से हजारो लोगों को दिया जाता है सहयोग, बेटी एलीजा बोरकुटे का मिला है रमेशजी को पुरा साथ

    1 min read
    😊
    यहोवा यिरे फाउंडेशन, सीईओ

    यहोवा यिरे अर्बन को.ऑप बॅंक को बनाना है इंटरनॅशल लेवल का ब्रांड ताकी हजारो बेरोजगार लोगों को मिल सके रोजगार के नए मौक़े।

    आज जिस पेड के निचे बैठ हम सुकून की छाव मेहसुस कर रहे है, इसका मतलब की सीने बरसो पहले इस पेड के बिज बोए होंगे। पेडों को अपने सहारे की जरूरत होती है न की उन्हें तोडने की। कोई भी कार्य हम अकेले करेंगे तो थोडाही कर पाएंगे पर अगर हम एक से ज्यादा लोग मिलकर किसी कार्य को करेंगे तो  कठीण से कठीण कार्य को भी सहजतासे सफलताके अंजाम तक पहुँच सकते है। यदी कोई इस सामाजिक कार्य में सहयोग करना चाहता है तो उनका यहोवा यिरे फाउंडेशन स्वागत करता है।
    श्री.रमेश श्यामराव बोरकूटे एक सामान्य किसान परिवार मे जन्मे हुए एक किसान के बेटे है। उन्होंने एक बडा उद्देश्य अपनी आँखों के सामने रखा, और कठीण परिस्थिती से गुजरते हुए भी पढाई पुरी कर के आज एक सफल उद्योजक बन चुके है और अन्य कई लोगों को उन्होंने आज रोजगार उपलब्ध कराया है। यह किसी सपने से कम नही हैं। इस प्रेरणादायी कहानी के नायक श्री. रमेश श्यामराव बोरकुटे है।  जिन्होंने यहोवा यिरे बचत निधी लिमीटेड बॅंक का निर्माण कीया। जो जरूरतमंद लोगो को कर्ज उपलब्ध करवा देते है। साथही बचत करने के लिए मार्गदर्शन भी उनके माध्यम से किया जाता है।
    पा डाॅ.रमेशकुमार बोरकुटे का जनम 26 डिसेंबर 1975 मे येवूर नामक छोटेसे गांव में हुआ। जो चंद्रपुर तहसील में स्थित है। उनके माता पीता खेतीसे अपना निर्वाह करते थे। अपने बडे भाई और बहन के साथ वे एक छोटेसे परिवार में रहते थे। उनके बडे भाई भी खेती में मन लगाकर काम किया करते थे। रमेशकुमार जी की प्राथमिक शिक्षा येउर गांव में संपन्न हुई। 7 वी कक्षा के बाद उन्होंने अपनी बहन के घर पडोली गांव में प्रस्थान कीया। वहा रहते हुए उन्होंने एस.टी.डी बुथ में काम करना प्रारंभ किया। दिनभर पढाई और रात में जाॅब करना उनका दिनक्रम बन गया था।
    अपने मातापीता से दुर ताडाही गांव में उन्होंने खुदके बलबुतेपर कक्षा बारवीतक पढाई की। यह उनके जिवन का काफ़ी मुश्किल दौर था। उसके बाद चंद्रपुर के आंबेडकर विद्यालय में उन्होंने अपनी शिक्षा पुरी की। बारवी कक्षा के बाद चल रही शिक्षा के दौरान 1995 में उनका विवाह संपन्न हुआ। घरपरीवार की जिम्मेंदारी उनके कंधोपर आ गई।  एस.टी.डी बुथपर 500 रूपए तंखापर जो काम शुरू कीया था उसमे वो अब 1000 रूपए प्रतीमाह कमाने लगे थे।  20 वर्ष की आयु में परिवार की जिम्मेंदारी उन्होंने संभाली और पुत्र प्राप्ती होने के बाद उन्हें पहले से ज्यादा और कडी मेहनत करनी पडी।
    2001 मे उन्होंने अपनी खेती बेचकर एक ट्रॅक्टर खरीदा, और वरोरा में बिल्डींग मेटेरीयल का बिझनेस शुरू कीया, कुछ समय बाद उनके मित्र ने बिझनेस में उन्हें धोका दिया, इस वजह से उन्हें अपना बिझनेस बंद करना पडा। उसके बाद 2006 मे मिशन इंडिया संस्था व्दारा उन्हें आर्वी गांव जिला वर्धा में भेजा गया। जहाँ उन्होंने सामाजिक कार्य करना प्रारंभ किया। उस समय 2000 रूपए की तनख़्वाह पर वे काम करते थे। उस समय 40 से 50 किलोमिटर सायकल चलाकर समाज कार्य कर भगवान का संदेश देने का काम वो करते थे। उसके बाद अपने परिवार के लिए उन्हांने आर्वी की एक फॅक्टरी में बतौर सुपरवायझर काम करना शुरू कीया। जहाँ उन्हें 5000 रूपए महिने की तनख़्वाह मिलने लगी। उसी दौरान रमेशजी को मंगेश चाफले नामक एक मित्र मिले जो एक एल.आय.सी. एजंट थे। जिन्होंने रमेशजी को विमा पाॅलीसी एवं बॅंकींग क्षेत्र की जानकारी दी। इस काम में रमेशजीकी की रुची  बढ़ने लगी ।  उन्होंने सन 2010 में विमा एजंट की परिक्षा दी, और ‘बॅंकींग’ कार्यक्षेत्र में काम शुरू कीया।
    उन्होंने एच.डी.एफ.सी. लाईफ इन्शुरन्स में काम करना शुरू कीया। लोंगों को विमा की जानकारी साँझा करना, मिले टार्गेट पुरे करना इन जैसे काम शुरू कीए। उसके बाद एच.डी.एफ.सी. होम लोन विभाग में वे काम करने लगे। होम लोन के दौरान उनकी कई लोगों से मुलाकाते हुई और उन्हें उनके बिझनेस के लिए प्रेरणा मिली। उस वक्त उन्होंने अपने जिवन का ध्येय और उद्देश्य निश्चित किया। नौकरी करने से अच्छा हम किसीको रोजगार देनेवाले बने यह सोच उन्होंने बनाई। उस समय उनकी मुलाकात बलविंदरसिंग मायडूजी से हुई, जो रियल इस्टेंट का बिझनेस करते थे। उनसे जानपेहचाान बढने के बाद रमेशजी का उद्देश्य और मजबुत बना।
    2001 से 2015 के दौरान उन्होंने होम लोन तथा एल.आय.सी. के विभाग मे काम किया, 2015 के बाद उन्होंने खुदका एक कपडो की दुकान शुरू की।  शादी के बाद उनकी पत्नीके साथ वे आर्वी वर्धा मे रहते थे। 2014 में उनकी पत्नी नंदा को  चंद्रपूर में सी.एस.टी.पी.एस. में नौकरी मिली। इस वजह से उन्हें आर्वी वर्धा छोड़ चंद्रपुर आना पड़ा। उन्हे सी.एस.टी.पी.एस के क्वार्टर्स रहने के लिए मीले।  चंद्रपूर में रमेंशजी केवल होम लोन का काम कर पा रहे थे। उस वक्त उन्हें दुकान शुरू करने का खयाल आया क्योकी उनके पास काफी समय था और आय की कमी तो उन्होंने दुकान शुरू करने का फैसला लिया।

    बॅंकींग और फायनान्स दोनोंही बिझनेस काफ़ी जटील होते है। लेकीन बोरकूटेजी ने अपने मित्र बलविंरसिंग मायडू और कुछ मित्रों के सहयोग से 2019 में यहोवा यिरे बचत निधी लि. नाम से निधी बॅंक की स्थापना की, यहोवा यिरे का मतलब है उपाय दिलाने वाला ईश्वर, यह काम काफ़ी मुश्किल था। झिरो बजट से उन्होंने बॅंक की शुरूआत की, उन्हे कई मुश्किलोंका सामना करना पडा। पैसे उधार लेने पड़े। उनके पार्टनर, घर के सदस्य, बच्चे सबके सहयोग से बॅंक की शुरूआत की गई।

    बॅंक के लिए सभासद जुटाना, उन्हे कर्ज देना, मार्गदर्शन देना, इन जैसी सेवाए उपलब्ध कराई गई जिसमे उन्हें खुद काफी मुश्किलों का सामना करना पडा। कडी मेहनत करते हुए उन्हे लोगों को मिलने के लिए बाईकपर चंद्रपूर जिले में 100 से 120 किलोमिटर सफर करना पडता था। लोगोंको बिझनेस की आयडिया और इनवेसमेंट के फायदे समझाने का काम वे किया करते। निरंतर वे अपने काम को निष्ठा से करते रहे, और आख़िरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हे सफलता हासिल होने लगी। दो साल बाद उन्होंने तुरंत दुसरे ऑफिस की शुरूआत की, लेकीन दुर्भाग्यवश कुछ महीनों बाद सरकार ने निधी कंपनीया पुरी तरह बंद कर दी। उस समय रमेशजी के संपर्क में 9 से 10 हजार सदस्य जुड़े हुए थे, फिर उन्होंन लोगोंका विश्वास बनाए रखने के लिए यहोवा यिरे अर्बन क्रेडिट को.ऑप सोसायटी ली. नामसें नई संस्था का आगाज किया और अपने कार्य में वे मग्न हो गए।

    लोगोंको व्यवसाय करने हेतू यहाँ लोन उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही उन्हे बचत करने के सही तरीकों से अवगत कराया जाता है। उनका मानना है, की जरूरत के हिसाब से लोन लो और बचत करना सिखों और आगे बचत के माध्यमसे लोन से छुटकारा पाए। ताकी भविष्यमें बार बार लोन की आवश्यकता ना हो। पा डाॅ.रमेशकुमार लोन देते समय सर्वसाधारण व्यक्तीयों को ज्यादा प्राथमिकता देते है। बडे व्यापारीयों से ज्यादा उन्हें छोटे दुकानदार, व्यापारी व्यवसाईलोंग ज्यादा महत्वपुर्ण लगते है, वे निरंतर उनकी सेवा मे लगे रहते है। क्योकी वे डेली कलेक्शन करके पैसे वसुल करने का काम करते है।

    कोरोना काल में कई लोगों को नुकसान उठाना पडा लेकीन पा डाॅ.रमेशकुमार बोरकुटेजीकी निधी बॅंक शुरू थी। उनके व्यवहार रूके नही। उस दौरान उनके कई कर्मचारीयोंको घरबैठे पगार दिया जा रहा था। उस समय जो लोग लोन रिपेमेंट नही कर पा रहे थे, वो अबतक धिरे धिरे पैसे लौटा रहे है। चंद्रपुर मे लोन कलेक्शन के लिए बुथ तैयार किए गए। लोगोंको रोजगार उपलब्ध कराया गया। जिससे कर्मचारीयोंको निजात मिली।

    यहोवो यिरे अर्बन क्रेडिट को-ऑपरेटीव्ह सोसा.लि. बॅंक का नाम आज चंद्रपूर जिलेमें और महाराष्ट्र के हर कोनेमें पहुँच चुका है। उनकी बॅंक मे आज 30 से 35 कर्मचारी काम करते है। प्रत्यक्ष फिल्ड ऑफिसर, फिल्ड वर्कर्स 200 से 250 कर्मचारी काम करते है। 2019 में शुरू की गई संस्था का विस्तार तेजी से बढ रहा है।बॅंक में हरप्रकार की सुविधा उपलब्ध है, नेट बॅंकींग, आरटीजीएस, मोबाईल ऍप , आधारकार्ड के जरीए पैसे निकालना, पॅनकार्ड, होमलोन, गोल्डलोन, और अन्य सुविधाए यहाँ दि जाती है!

    यहोवा यिरे अर्बन क्रेडिट को-ऑपरेटिव्ह सोसा. का उद्देश्यही लोगोंको रोजगार उपलब्ध कराना था। लोगों को कर्जसे जल्द से जल्द छुटकारा मिले और वे अपने पैरोपर खडे होकर आगे बढ सके यही सोच उन्होंने सामने रखी थी। पढो और पैसे कमाओ यह सोच उन्होंने प्राथमिकता से रखी। क्यूँकि उनका मानना है की, यदी हम लोन लेेंगे तो वह कुछ दिनोंतक चलेगा लेकीन यदी हम पढेंगे तो जिवनभर पैसे कमा सकते है।

    रमेशजीने सामाजिक उद्देश्य को सामने रखते हुए काम किया। जिसमे उनकी बेटी कु.एलीजा बोरकुटे ने उन्हे साथ दिया। जिन्होंने पुणे में नर्सिंग मे शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहोवा यिरे फाउंडेशन संस्था की स्थापना की, जीसके माध्यम से कई सामाजिक गतीविधीया की जाती है। फाउंडेशन के माध्यम से मेडीकल कॅम्प, स्वास्थ्य संबधीत जानकारी साॅंझा करना, एज्युकेशनल कॅम्प, वृक्षारोपण कार्यक्रम, आर्थिक नियोजन एवं इन्वेस्टमेंट प्रशिक्षण, जैसे अन्य कार्यक्रमोंको आयोजन उनके बेटी के माध्यम से किया जाता है। पा डाॅ.रमेश बोरकुटे फाउंडेशन के सीईओ के रूप में काम संभालते है।

    कु.एलीजा बोरकुटे जी को नासिक में रिसिल डाॅट इन कंपनी के माध्यमसे महाराष्ट्र उदयोग भुषण पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है। रमेशकुमार जी को न्याय एवं सामाजिक मंत्री नामदार श्री.रामदास आठवले के हाथोंसे सम्मानित किया गया है। साथही उत्तरप्रदेश के श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री नामदार श्री.रघुराज सिंगजी के हाथों से राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित कीया गया। 2023 मे इंडियन आयकाॅन अवॉर्ड , 2019 में बिझनेस स्टार्टअप पुरस्कार, 2020 मे मेकइन इंडिया लिडरशिप पुरस्कार, 2021 में आयकाॅनिक इंडियन पुरस्कार, 2022 में महाराष्ट्र बिझनेस आयकाॅन जैसे कई पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया है। उन्हें इंटरनॅशनल हयुमन राईटस् कन्र्वेशन राष्ट्र गौरव सम्मान पुरस्कार दिया गया है और इंटरनॅशनल हयुमन राईटस् व क्राईम कंट्रोल काउन्सिल के महाराष्ट्र सचिव पदपर उन्हे नियुक्त कीया गया है।

    पा डाॅ.रमेशकुमार बोरकुटे जी का सपना है वे यहोवा यिरे अर्बन को एचडीएफसी, आय.सी.आय.सी.आय और अन्य आंतरराष्ट्रीय बॅंको की तरह पेहचान देना चाहते है। भारत के हर राज्य और और देशविदेशों में बॅंक की शाखा वो खोलना चाहते है। जिसके जरीए वे लोगों को रोजगार दे सके। और फाउंडेशन के माध्यम से अनाथ आश्रम, हाॅस्पीटल, शिक्षा के अन्य क्षेत्र उन्हे 100 एकर जमिनपर कॅम्पस तैयार करना है। आनेवाले समय मे 500 से 700 कर्मचारीयों को रोजगार देने का संकल्प है। साथ ही 50 से 70 हजारा सदस्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हम रिसिल की और से उन्हे ढेरसारी शुभकमानाए देते है।

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