मुस्लिम देश की ये तकनीक बचाएगी दुनिया को! वैज्ञानिक भी हुए मुरीद, मिल पाएगा भोजन-पानी।
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भोजन-पानी के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है. लेकिन दुनिया में बढ़ रहे जलसंकट के बीच खेती करना भी मुश्किल है. इसके लिए वैज्ञानिकों की रिसर्च में एक अहम बात सामने आई है.
बिना पानी के खेती करना संभव नहीं है और बिना खेती के मानवजाति का जीवन संभव नहीं है. लेकिन दुनिया में जिस तरह जलसंकट बढ़ रहा है, उससे खाद्य सुरक्षा पर भी संकट घिर गया है. यही वजह है कि पूरी दुनिया के लीडर्स, पर्यावरणविद, वैज्ञानिक आदि चिंता में हैं. ऐसे समय में वैज्ञानिकों ने प्राचीन समय की वॉटर कंजर्वेशन और जल संचयन प्रणालियों का अध्ययन किया है, ये तकनीकें आज भी मददगार साबित हो सकते हैं.
मुस्लिम देशों की हैं ये तकनीक
दरअसल, सदियों पहले अरब के रेगिस्तान में मुसलमान खेती करने के लिए जो तरीका आजमाते थे, वो आज भी बहुत काम आ सकता है. इजराइल के शोधकर्ताओं ने जब अरब के मुसलमानों की खेती करने और पानी इकट्ठा करने की प्राचीन तकनीकों का अध्ययन किया तो उसमें रोचक बातें सामने आईं. उन तकनीकों की दम पर ही अरब देश के सूखे रेगिस्तान में रेतीली जमीन पर खेती करना संभव हो सका था. ये तकनीकें आज भी कम पानी में खेती करने में बेहद कारगर साबित हो सकती हैं. जिससे पानी की कमी और खाद्य संकट जैसी 2 बड़ी मुश्किलों को हल करने में बहुत मदद मिल सकती है.
गड्ढों में भर लेते थे बारिश का पानी
यरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, बार-इलान यूनिवर्सिटी और इजरायल एंटिक्विटीज अथॉरिटी के शोधकर्ताओं ने ईरान, गाजा, मिस्र, अल्जीरिया और इबेरिया में पानी बचाने की प्राचीन प्रणालियों पर रिसर्च की. ये तकनीकें 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच की हैं.
उस समय रेतीली जमीन पर खेती करने के लिए इन मुस्लिम देशों के लोग शहर के पास की जमीन में गड्ढे बनाकर पानी इकट्ठा कर लेते थे. इससे जमीन में नमी आ जाती थी तो वे इसके ऊपर शहर का कचरा और जैविक पदार्थ डाल देते थे. इससे मिट्टी उपजाऊ हो जाती थी, तब वे उसमें सब्जियां, तरबूज, खजूर और अंगूर आदि की फसलें उगाते थे.
वैज्ञानिकों का मानना है कि आज दुनिया में पानी की कमी है, इससे खेतों को भी पर्याप्त पानी नहीं मिलने से खेती में समस्या हो रही है. जलवायु परिवर्तन और आधुनिकीकरण भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं. ऐसे में कम पानी में खेती करने के टिकाऊ तरीके के खोजने जरूरी है. मुस्लिम देशों के प्राचीन तरीकों से सूखे और कम उपजाऊ इलाकों में खेती करके फसलें उगाई जा सकती हैं.
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