दिल्ली की ये फैमिली कहलाती ‘डॉक्टर्स की फैक्ट्री’, 5 पीढ़ियों में देश को दिए 150 से ज्यादा डॉक्टर।
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आज हम आपको दिल्ली की एक ऐसी फैमिली के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके परिवार हर कोई डॉक्टर हैं. इस परिवार में 150 से ज्यादा लोग डॉक्टर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं दिल्ली के सभरवाल परिवार के बारे में…
दिल्ली के सभरवाल परिवार में हर कोई डॉक्टर है. सभरवाल डॉक्टर राजवंश का निर्माण 1900 के दशक में हुआ था. आज दिल्ली में इस परिवार के 5 अस्पताल हैं. इस फैमिली के ज्यादातर सदस्य ऐसे हैं, जिन्हें अपने इस प्रोफेशन पर बेहद गर्व है. पांच पीढ़ियों से परिवार का हर सदस्य जैसे पति- पत्नी, दादा-दादी, चाची-चाचा, भाई-भाभी, बेटे और बेटियां सभी प्रसूति-स्त्रीरोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, मूत्र रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और जनरल फिजिशियन हैं. आज दिल्ली के सभरवाल्स के करोल बाग, आश्रम और वसंत विहार में पांच अस्पताल हैं जहां परिवार की विभिन्न शाखाएं रहती हैं.
डॉक्टर्स का परिवार
इस परिवार का 11 साल का लड़का समरवीर भी अभी से अपना परिचय एक डॉक्टर के तौर पर देता है, क्योंकि आगे चलकर वह डॉक्टर बनना चाहता है और एक डॉक्टर से ही शादी करेगा. इस तरह वह सभरवाल परिवार की 104 साल पुरानी इस विरासत को जीवित रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
सभरवाल परिवार के सदस्य बच्चों के रूप में अस्पताल के गलियारों और प्रयोगशालाओं में बड़े हुए. उन्होंने ऑपरेशन देखते हुए सर्जरी रूम में अपना होमवर्क पूरा किया. आपको जानकर हैरानी होगी कि परिवार के एक सदस्य ने केवल इसीलिए इतिहास पढ़ने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह मेडिकल से संबंधित नहीं था,
इस परिवार के बड़े अपने बच्चों को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए भी उन्हें बड़े होकर उन्हें डॉक्टर बनने और परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद देते हैं. हालांकि, सबसे युवा और छठी पीढ़ी के साथ डॉक्टरों की लाइन लगातार छोटी हो रही है, क्योंकि समरवीर के कुछ बड़े चचेरे भाई लेखक, क्रिकेटर, इंजीनियर बनना चाहते हैं.
एक सपना जो हुआ साकार
यह डॉक्टर राजवंश 1900 के दशक में लाहौर स्टेशन मास्टर लाला जीवनमल के सपनों की हकीकत है, जो अपने चारों बेटों को डॉक्टर बनाना चाहते थे. 1920 में परिवार को अपना पहला डॉक्टर मिला. उनकी टैगलाइन थी ‘बीमारों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है’. जीवनमल हमेशा चाहते थे कि उनकी आने वाली पीढ़ियां डॉक्टर के रूप में समाज की सेवा करें. जीवनमल के निर्देश सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि उनके भावी जीवनसाथी के लिए भी थे. इस परिवार में पति-पत्नी का मिलान कुंडली से नहीं, बल्कि उनके पेशे से किया जाता है.
इस परिवार के लोगों का कहना है, “हमारे परिवार की विरासत को आगे बढ़ाना हमारे लिए कभी बोझ जैसा नहीं लगा. यह पेशा और समाज की सेवा हमारी पहली प्राथमिकता है.जब भी हमारे बच्चे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेते हैं, तो हम हमेशा उन्हें यह याद दिलाते रहते हैं कि वे केवल एक डॉक्टर के साथ ही डेट और शादी कर सकते हैं.”
सभरवाल फैमिली में डाइनिंग टेबल पर होने वाली बातचीत उनके प्रोफेशन और मरीजों के इर्द-गिर्द घूमती है. इन दिनों यह NEET-UG पेपर लीक और छात्रों के विरोध के बारे में है. परिवार के मुताबिक एक ही पेशे में सभी लोगों के साथ बातचीत करना आसान होता है, क्योंकि परिवार मरीजों, प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल पर चर्चा करता है.
परिवार के ही एक सदस्य अंकुश, जिन्होंने सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की. उनका इस मुद्दे पर कहना है, “नीट पहले से ही सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, जिसके लिए सालों की तैयारी की जरूरत होती है. ऐसी घटनाएं छात्रों के आत्मविश्वास को प्रभावित करती हैं और उनकी सालों की कड़ी मेहनत को कमजोर करती हैं. इस स्थिति की सही तरह से जांच की जरूरत है. सरकार को छात्रों की भी सुनना चाहिए.”
अंकुश की पत्नी डॉ. ग्लॉसी जो परिवार की पहली रेडियोलॉजिस्ट है, वह कहती हैं, “कभी-कभी जब भी हमें कोई आपातकालीन कॉल आती है तो हम सीधे किचन से हॉस्पिटल के लिए भागते हैं. चूंकि परिवार अस्पताल के करीब रहता है, जिससे प्रेशर कम हो जाता है. आपको ऐसी इमरजेंसी के बारे में परिवार में किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि वे जानते हैं कि यह पेशा आपका बहुत समय मांगता है.”
सभरवाल परिवार में डॉक्टरों से शादी करने का नियम केवल एक बार तब टूटा जब सुनल सभरवाल ने बायोलॉजी की स्टूडेंट शक्ति से शादी की. शादी के बाद वह इस सवाल से तंग आ गई थी,’वह डॉक्टर क्यों नहीं है?’इसका नतीजा ये हुआ कि अब शक्ति सभरवाल अमेरिका में एक डॉक्टर हैं.
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