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    April 15, 2025

    न्यू ईयर पर होगी आसमान से टूटते तारों की बारिश, देखने के लिए इस वक्त हो जाएं छत पर खड़े।

    1 min read
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    नए साल पर सभी को आसमान से टूटते हुए तारों की बारिश देखने को मिलेगी. यह खगोलीय घटना हालांकि शुरू हो चुकी है लेकिन यह अपने चरम जवनरी के शुरुआती दिनों में पहुंचेगी. इस घटना को दिखाने के लिए इंदिरा गांधी तारामंडल टेलीस्कोप लगाएगा.

    नए साल की शुरुआत एक शानदार खगोलीय नजारे के साथ होगी, क्योंकि क्वाड्रंटिड्स (Quadrantids) नामक साल का पहला उल्कापात (meteor shower) 3 और 4 जनवरी को अपने चरम पर पहुंचेगा. उल्कापात तब होता है जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह (asteroid) के छोड़े गए कणों से गुजरती है, जिससे आसमान में रंग-बिरंगी रोशनी की धारियां दिखाई देती हैं. यह खगोलीय घटना सुबह के शुरुआती घंटों में देखी जा सकेगी.

    लखनऊ में मौजूद इंदिरा गांधी तारामंडल इस खास नजारे को आम लोगों के लिए दिखाने के लिए टेलीस्कोप लगाएगा. इंदिरा गांधी तारामंडल के सीनियर वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव ने बताया,’क्वाड्रंटिड्स को बूटिड्स (Bootids) भी कहा जाता है और इसका नाम नक्षत्र क्वाड्रंस मुरालिस (Quadrans Muralis) से लिया गया है. यह उल्कापात, जो साल की पहली और सबसे तेज़ हो सकती है, 3 और 4 जनवरी के बीच रात के आसमान को रोशन करेगी.’

    3 जनवरी को होगी चरम पर
    हालांकि क्वाड्रंटिड उल्कापात की शुरुआत 27 दिसंबर से शुरू हो चुकी है और 3 जनवरी तक अपने चरम पर पहुंच जाएगी. सुमित श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि ‘क्वाड्रंटिड्स चार प्रमुख वार्षिक उल्कापातों में से एक है. अन्य तीन लिरिड्स (Lyrids), लियोनिड्स (Leonids), और उर्सिड्स (Ursids) हैं, जो अपनी विशेष चरम अवधि के लिए मशहूर हैं.’

    120 उल्काएं पैदा होने की उम्मीद
    इस घटना को लेकर नासा के मुताबिक यह उल्कापात अपने चरम पर प्रति घंटे 120 उल्काएं पैदा कर सकती है और यह साल की सबसे असरदार खगोलीय घटना हो सकती है. नासा ने सुझाव दिया है कि इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए शहर की रोशनी से दूर रात और सुबह के शुरुआती घंटों में खुली जगह पर जाएं.

    क्यों चमकने लगता है आसामान?
    Meteor Shower उल्कापात एक खगोलीय घटना है जिसमें बड़ी तादाद में उल्काएं (meteors) एक ही समय में आकाश में जलती हुई दिखाई देती हैं. यह तब होता है जब पृथ्वी अपने कक्षा में ऐसी जगह से गुजरती है जहां किसी धूमकेतु (comet) या क्षुद्रग्रह (asteroid) द्वारा छोड़े गए धूल और मलबे का समूह होता है. जब ये धूल कण और मलबा पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो घर्षण की वजह से गर्म होकर जलने लगते हैं और आकाश में चमकती हुई रोशनी के तौर पर दिखाई देते हैं. इसे ही हम टूटता तारा भी कहते हैं.

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