भारत का एक ऐसा गांव, आजादी के बाद भी नहीं मिली बिजली, पानी और सड़क।
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मध्य प्रदेश राज्य में सिंगरौली जिला स्थित है. यह जगह कोयला और बिजली उत्पादन के लिए जानी जाती है. सिंगरौली को भारत की ऊर्जा राजधानी भी कहते हैं. इतना सब कुछ होने के बावजूद यहां पर एक ऐसा आदिवासी गांव है , जो आजादी के इतने सालों बाद भी बुनियादी सुविधाओं से दूर है. इस गांव में न बिजली है, न पीने को साफ पानी और न ही कोई पक्की सड़क है.
यहां ग्रामीणों की जिंदगी मुश्किलों से भरी हुई है. लोगों को छोटी और आम सी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है. बिजली न होने के कारण रात में अंधेरा रहता है.
पानी की समस्या
गांव में पीने के साफ पानी की बहुत बड़ी कमी है. यहां लोगों को दूर से चलकर पानी लाना पड़ता है. अगर पानी खत्म हो जाए तो आसपास के लोगों के बचे हुए पानी में ही गुजारा करना पड़ता है.
सड़क की कमी
यहां पक्की सड़कों की होने से गांव का संपर्क बाहरी दुनिया से टूट जाता है. बारिश के मौसम में तो आसपास के इलाकों में ही आवाजाही स्थगित हो जाती है, क्योंकि सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं.
अस्पताल और एंबुलेंस की कमी
यहां अगर कोई बीमार हो जाए तो इलाज के लिए पास में कोई अस्पताल भी नहीं है. यह गांव एंबुलेंस जैसी आम और जरूरी सुविधा से भी वंचित है. आपातकाल की स्थिति में लोग अपने परिजन को लोग खाट के सहारे ले जाते हैं.
समाधान की उम्मीद
गांव के आदिवासी लोग ग्रामीण सरकार और प्रशासन से मदद की उम्मीद करते हैं. बुनियादी सुविधाओं के मिलने से गांव का विकास और ग्रामीणों का जीवन बेहतर हो सकता है.
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