यूपी के इस गांव के हर घर में हैं सरकारी मुलाजिम, डॉक्टर-इंजीनियर की भरमार, इस नाम से मिली है पहचान।
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कई भारतीय गांवों की एक अलग कहानी है. इनमें से एक है पूरे सरकारी, जिसका नाम भले ही आपको अजीब लगा हो, लेकिन इसके पीछे की वजह बहुत खास है. चलिए आखिर क्यों यूपी का यह छोटा सा गांव चर्चा में है…
भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश वैसे तो हमेशा ही सुर्खियों में रहता है. कभी राजनाति के लेकर तो कभी क्राइम की खबरों के चलते. वहीं, इस राज्य में देश के कई नामचीन और पुराने विश्वविद्यालय भी हैं. हालांकि, आज हम बात कर रहे हैं यूपी के एक ऐसे गांव के बारे में, जिसे सरकारी मुलाजिमों के परिवार की सबसे ज्यादा संख्या के लिए जाना जाता है. चलिए जानते हैं इस यूनिक गांव के बारे में…
पूरे इलाके में है इस गांव की चर्चा
गोंडा जिले से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर बसा ‘पूरे सरकारी’ गांव बेहद चर्चा में हैं. यह अपनी अनूठी पहचान के लिए मशहूर है. दरअसल, इस गांव में ज्यादातर लोग किसी न किसी सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं. हर परिवार का कम से कम एक सदस्य सरकारी नौकरी में है, यही वजह है कि इस गांव का नाम ही ‘पूरे सरकारी’ पड़ गया है. इसके अलावा यह गांव पार्वती अर्घ झील के किनारे बसा है, जिससे इसकी सुंदरता और भी बढ़ा जाती है.
जानकारी के मुताबिक इस गांव के हर घर से कोई न कोई सरकारी नौकरी में जरूर है. जिले के नवाबगंज-मनकापुर मार्ग पर बसा यह गांव ‘पूरे सरकारी’ नामक पुरवा का हिस्सा है और इसकी ग्राम पंचायत का नाम बहादुरा है. बताया जाता है कि इस गांव को करीब 400 साल पहले तीन परिवारों ने मिलकर बसाया था, जो बस्ती, सुल्तानपुर और अयोध्या से आए थे.
सबसे ज्यादा इन पदों पर सरकारी नौकरी कर रहे लोग
गांव के लोग इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक और रेलवे समेत अलग-अलग सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. पहले ज्यादातर लोग रेलवे में नौकरी करते थे. वर्तमान में यहां सरकारी पदों पर आसीन इंजीनियर, डॉक्टर और शिक्षकों की भरमार है, जो गांव की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं. इस विशेषता के कारण ही यह गांव न केवल गोंडा, बल्कि पूरे राज्य में अपनी एक अलग पहचान रखता है. इतना ही नहीं नई जनरेशन के बच्चे भी बहुत होनहार हैं और वो भी आगे होकर सरकारी नौकरी करना चाहते हैं.
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