दुनिया की सबसे बड़ी रोटी, एक साल तक रहती है स्वादिष्ट; इसे बनाने-बेचने वाले करोड़पति।
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यह वाकई हैरान करने वाली बात है कि यह रोटी इतनी बड़ी होती है कि इसमें हमारी आठ रोटियां आसानी से समा सकती हैं. इसका आकार सामान्य रोटी से आठ गुना से भी ज्यादा होता है. और सबसे खास बात तो यह है कि इस रोटी को यूनेस्को ने अपनी विरासत सूची में भी शामिल किया है.
दुनिया की सबसे बड़ी रोटी
रोटी दुनिया भर में लोगों का प्रिय भोजन है. हर देश में रोटी बनाने की अपनी अनूठी विधि होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आर्मेनिया में एक ऐसी रोटी बनाई जाती है जो आकार में इतनी बड़ी है कि आप दंग रह जाएंगे? यह रोटी सामान्य रोटी से आठ से दस गुना बड़ी होती है. आइए इस विशाल रोटी के बारे में और जानते हैं.
अर्मेनिया की लावश रोटी
एक हालिया समाचार रिपोर्ट में आर्मेनिया की प्रसिद्ध रोटी ‘लावश’ के बारे में विस्तार से बताया गया है. यह रोटी दुनिया में सबसे बड़ी रोटियों में से एक है और इसे आमतौर पर तंदूर में पकाया जाता है. हालांकि इसका जन्मस्थान आर्मेनिया है, लेकिन यह अजरबैजान, ईरान और तुर्की में भी काफी लोकप्रिय है.
अर्मेनिया की दुनिया की सबसे बड़ी रोटी
इसके सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया गया है. यह रोटी सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि कई सांस्कृतिक परंपराओं से भी जुड़ी हुई है. इसे बनाने के बाद इसे मोड़कर और पैक करके लंबे समय तक रखा जा सकता है. लवाश आटा, पानी, खमीर, चीनी और नमक से बनाई जाती है.
सामान्य रोटी से आठ गुना से भी ज्यादा
हालांकि कई जगहों पर इसे बिना खमीर और चीनी के भी बनाया जाता है. इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए, इसे तंदूर में डालने से पहले अक्सर तिल और खसखस के बीज छिड़के जाते हैं. इस रोटी को दोनों हाथों से फैलाकर तंदूर में पकाया जाता है. इसे मुलायम रखने के लिए इसे मोड़कर पैक किया जाता है और दुकानों में इसी तरह बेचा जाता है.
प्रसिद्ध रोटी लावश काफी जायकेदार
इतना ही नहीं इसे इस तरह से पैक किया जाता है कि इसे साल भर तक खाया जा सकता है. यानी इसे बाद में पापड़ की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है और यह खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होती है. कहा जाता है कि इस बनाने-बेचने वाला करोड़पति ही होता है क्योंकि इन रोटियों में लागत भी बहुत लग जाती है.
एक साल तक रहती है टेस्टी
यह रोटी इतनी बड़ी होती है कि इसमें हमारी आठ रोटियां आसानी से समा सकती हैं. इसका आकार सामान्य रोटी से आठ गुना से भी ज्यादा होता है. और सबसे खास बात तो यह है कि इस रोटी को यूनेस्को ने अपनी विरासत सूची में भी शामिल किया है. बताया जाता है कि इसे लंबे समय तक रखा जाता है और फिर इसे पापड़ के रूप में यूज कर लिया जाता है.
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