यूनिवर्सिटी ने हाथ से लिखकर दिया संस्कृत का क्वेश्चन पेपर तो अंग्रेजी के की बना दी पर्ची।
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एमए सेमेस्टर 3 संस्कृत भाषा का पेपर था. पेपर एक ही पेज के दोनों तरफ हाथ से लिखा हुआ था.
आज के डिजिटल एरा में जब सब कुछ ऑनलाइन और कंप्यूटराइज्ड हो रहा है, वहां किसी यूनिवर्सिटी का छात्रों को हाथ से लिखे हुए प्रश्न पत्र देना वाकई हैरानी की बात है. यह एक ऐसा फैसला है जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस डिजिटल युग मे गुजरात की एक यूनिवर्सिटी ने एमए के परीक्षार्थियों को हाथ से लिखा पेपर दिया. ये मामला पाटण की हेमचंद्राचार्य नॉर्थ गुजरात यूनिवर्सिटी (एचएनजीयू) का है. यहां मंगलवार सुबह 11 बजे एमए सेमेस्टर 3 संस्कृत भाषा का पेपर था. पेपर एक ही पेज के दोनों तरफ हाथ से लिखा हुआ था. हाथ से लिखा पेपर देखकर स्टूडेंट्स ही दंग रह गए, इतना ही नहीं इसी यूनिवर्सिटी का इंग्लिश का पेपर भी हुआ जिसका पेपर स्टूडेंट्स को पर्ची के साइज का दिया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी की परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर मितुल देलीया ने दोनों मामलों की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि कुछ शब्द कंप्यूटर पर टाइप नहीं होने के कारण एमए संस्कृत पेपर 3 का प्रश्न पत्र हाथ से लिखकर दिया गया था. वहीं अग्रेजी के पेपर के बारे में बताया कि कागज बर्बाद न हो इसलिए अंग्रेजी पेपर 3 के पेपर को छोटे साइज में तैयार किया गया. दोनों पॉइंट के ध्यान में आने के बाद अब पेपर A4 साइज में प्रिंट होकर आएंगे.
यह घटना हमें याद दिलाती है कि टेक्नोलॉजी पर पूरी तरह से निर्भर रहना भी कितना खतरनाक हो सकता है. हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए कि कोई भी तकनीकी समस्या आ सकती है.
इस तरह की घटना से छात्रों और शिक्षकों दोनों को परेशानी हो सकती है.
छात्रों के लिए: हाथ से लिखे हुए प्रश्न पत्र पढ़ने में मुश्किल हो सकती हैं, खासकर अगर हैंड राइटिंग साफ न हो. इससे छात्रों को परीक्षा देने में दिक्कत हो सकती है.
शिक्षकों के लिए: हाथ से क्वेश्चन पेपर लिखने में काफी समय और मेहनत लगती है. इससे शिक्षकों का काम बढ़ जाता है.
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