देश की इकलौती ट्रेन, जिसमें नहीं है इंजन; रफ्तार से करती है बातें, सुविधाएं हैरान कर देंगी।
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भारतीय रेलवे लगातार दावा कर रही है कि यात्रियों के लिए सुख-सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है. ऐसे में नई ट्रेनों को नेटवर्क में जोड़ने से लेकर इलेक्ट्रिफिकेशन का भी काम जारी है. कई ट्रैक्स पर कवच सिस्टम भी तैनात किया गया है और बाकी पर काम जारी है. दुनिया के सबसे बड़े ट्रेन नेटवर्क में भारतीय रेलवे भी शामिल है. हर दिन हजारों ट्रेनें ऑपरेट होती हैं और लाखों लोग अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेलवे के नेटवर्क में एक ट्रेन ऐसी भी है, जिसमें इंजन ही नहीं है. चलिए आपको बताते हैं.
इस ट्रेन का नाम है टी-18, जिसे वंदे भारत के नाम से जाना जाता है. साल 2018 में इन ट्रेनों को पेश किया गया था और यह 183 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकती हैं. लेकिन इनको 160 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चलाया जाता है.
वक्त के साथ इन ट्रेनों में काफी बदलाव किया गया है. वंदे भारत 2.0 की ट्रेन ने ट्रायल के दौरान 0 से 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड 52 सेकंड में पकड़ ली थी, जो उस वक्त कुछ बुलेट ट्रेनों से भी ज्यादा थी.
आज देश में 51 रूट्स पर वंदे भारत ट्रेनों दौड़ रही हैं. यह अलग लोकोमोटिव (इंजन) के बिना सेल्फ प्रोपल्शन मॉड्यूल पर चलती है और इसका एक्सलरेशन बहुत तेज है. एक वंदे भारत ट्रेन को बनाने में 100 करोड़ की लागत आती है.
फुल एसी से लैस इस ट्रेन को इस तरह बनाया गया है, जिसमें पैसेंजर्स ड्राइवर का केबिन भी देख सकते हैं. इसका निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी में किया गया है.
अलग इंजन नहीं होने के कारण शताब्दी की तुलना में ट्रैवल टाइम 15 प्रतिशत तक घटा देती है. इसमें हर कोच में सीसीटीवी कैमरा लगे हैं और अब तो रेलवे स्लीपर वंदे भारत ट्रेन लाने की तैयारी कर रहा है.
ऑटोमैटिक दरवाजे के अलावा तमाम डिब्बे वाई-फाई कनेक्टिविटी से लैस हैं. इसमें टच स्क्रीन कंट्रोल, वैक्यूम टॉयलेट और एलईडी डेस्टिनेशन बोर्ड जैसी एडवांस सुविधाएं हैं.
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