अर्थव्यवस्था के ‘अति-वित्तीयकरण’ से बचने की जरूरत, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन की टिप्पणी.
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देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने यहां सोमवार को यह भी चेतावनी दी कि हमें ‘अति-वित्तीयकरण’ से बचने की जरूरत है क्योंकि हम 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
मुंबई: देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने यहां सोमवार को यह भी चेतावनी दी कि हमें ‘अति-वित्तीयकरण’ से बचने की जरूरत है क्योंकि हम 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
नागेश्वरन ने कन्फेडरेशन द्वारा आयोजित ‘फाइनेंसिंग 3.0 सम्मेलन’ में बोलते हुए कहा, अर्थव्यवस्था और उसके शासन के “वित्तीयकरण”, यानी वित्त और पूंजी बाजार, वित्तीय संस्थानों और वित्तीय अभिजात वर्ग और उनके वित्तीय हितों के बढ़ते महत्व से बचा जाना चाहिए। नागेश्वरन ने व्यक्त किये। उन्होंने आगे बताया, ‘जब बाजार अर्थव्यवस्था से बड़ा हो जाता है, तो यह स्वाभाविक है कि यह जनता की राय और प्राथमिकताओं का विषय बन जाता है, लेकिन नीति की दिशा को प्रभावित करना उचित नहीं है। जब मैं कहता हूं कि ‘वित्तीयकरण’ से बचना चाहिए, तो मेरा मतलब है कि नीति और व्यापक आर्थिक परिणामों पर बाजार हावी नहीं होना चाहिए।’
उन्होंने कहा, भारत के शेयर बाजार का कुल बाजार पूंजीकरण देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 140 प्रतिशत है। किसी देश के वित्तीय क्षेत्र का रिकॉर्ड लाभप्रदता प्रदर्शन और बाजार पूंजीकरण या जीडीपी से बाजार पूंजीकरण अनुपात का उच्च स्तर ऐसी घटनाएं हैं जिनकी बारीकी से जांच की जरूरत है।
भाषण की शुरुआत में नागेश्वरन ने स्पष्ट किया कि ‘ये उनके निजी विचार हैं, मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर नहीं.’ अति-वित्तीयकरण के प्रभाव विकसित देशों में स्पष्ट हैं। उन्होंने बताया कि चूंकि भारत आशावाद और उच्च उम्मीदों के साथ 2047 का इंतजार कर रहा है, इसलिए उसे इसकी पुनरावृत्ति से बचना चाहिए। उनके मुताबिक, देश को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और निवेशकों के हितों के बीच संतुलन बनाना होगा।
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