नेतृत्वकुशलता से भरपूर व्यक्तिमत्व श्री.पांडुरंग जी कसलकर का प्रेरणदायी सफर
1 min read
|










मुंबई की हलचल भरी सड़कों पर, जहां सपने टकराते हैं और महत्वाकांक्षाएं ऊंची उड़ान भरती हैं, ऐसे ही दृढ़ संकल्प के प्रतीक श्री. पांडुरंग जी कसलकर की यह कहानी है। 18 मई, 1967 को कोल्हापुर के आजरा तहसील में स्थित सुलगाव नामक एक छोटेसे गांव में जन्मे श्री. पांडुरंग जी कसलकर की एक साधारण शुरुआत से लेकर स्क्वार्डन सिक्योरिटी सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड के सफलता के शीर्ष तक का सफर बेहद असाधारण रहा है।
श्री. पांडुरंग जी कसलकर के प्रारंभिक वर्ष अपने राष्ट्र की सेवा करने की इच्छा से भरे हुए थे। सैनिकी वर्दी पहनने के बचपन के सपने से प्रेरित होकर, उन्होंने एक सैनिक बनने का लक्ष्य निर्धारित किया। हालाँकि, नसीब की अपनी अलग योजनाएँ थीं। परिस्थितियों ने एक अलग रास्ता तय किया क्योंकि उन्होंने खुद को जीवन की कठोर वास्तविकताओं से जूझते हुए, गरीबी की स्थितियों से बंधा हुआ पाया।
प्रतिकूल परिस्थितियों से विचलित हुए बिना, कसलकरजी ने अपनी 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद, आजीविका और शिक्षा की तलाश में सपनो के शहर मुंबई में कदम रखा।संयोग से उन्हें अपनी पहली नौकरी सुरक्षा रक्षक के रूप में मिली । उस समय उन्हें नहीं पता था कि यह कार्यकाल उनके भविष्य के प्रयासों के लिए आधारशिला के रूप में काम करेगा।
अपनी नौकरी की सीमाओं से परे, कसलकरजी की रूचि कबड्डी के मैदान पर बचपन से ही बढ़ रही थी, जहां उन्होंने राज्य स्तर के खिलाड़ी के रूप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
कसलकर जी के अंदर वक्तृत्व और श्रेष्ट नेतृत्व जैसे उत्कृष्ट गुण थे, और उनके हृदय में श्रमिक वर्ग का कल्याण करने की आशा थी। इसी वजह से उन्होंने डॉ. दत्ता सामंत के नेतृत्व में, कसलकर जी ने श्रमिकों के उत्थान के लिए एक मंच की स्थापना करने का निर्णय लिया।
इस प्रकार, महाराष्ट्र सुरक्षा रक्षक अघाड़ी का जन्म हुआ, जिसने सामान्य मजदूरों के लिए एक नई सुबह की शुरुआत की। कसलकरजी के दूरदर्शी नेतृत्व ने सामाजिक न्याय के लोकाचार को प्रतिध्वनित करते हुए श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण की वकालत करने के उद्देश्य से 11 आंदोलनों का नेतृत्व किया।
अपनी नौकरी की कठिनाइयों और विविध जिम्मेदारियों के बीच, उद्यमिता के बीज कसलकरजी के उपजाऊ दिमाग में निर्माण हुए। प्रत्येक अनुभव, प्रत्येक मुठभेड़, उनकी उद्यमशीलता कौशल के लिए एक कठिन परीक्षा के रूप में कार्य करती थी। वर्ष 2002 में, स्क्वार्डन सिक्योरिटी सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड की स्थापना के साथ उनका दृष्टिकोण स्पष्ट हो गया, जो जीवन और आजीविका दोनों की सुरक्षा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
आज, स्क्वार्डन सिक्योरिटी सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में, कसलकरजी एक महान व्यक्ति के रूप में खड़े हैं, जो परिस्थितियों की बाधाओं को पार करने का प्रयास करने वाले अनगिनत व्यक्तियों के लिए आशा की किरण हैं। उनकी यात्रा प्रतिकूल परिस्थितियों पर दृढ़ता, अनिश्चितता के सामने साहस की विजय का उदाहरण देती है।
आज लगभग २००० से ज्यादा सुरक्षा रक्षक स्क्वार्डन सिक्योरिटी सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड के साथ जुड़े हुए है, सीसीटीव्ही, इंटरकॉम और लिफ्ट ऑपरेटिंग जैसे आधुनिक तकनीके सुरक्षा रक्षको को सिखाई जाती है। उसके साथ फायर फाइटिंग, मेडिकल और फर्स्ट एड जैसे विषयो के बारह में भी उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। हर एक सुरक्षा रक्षक का सबसे पहले पुलिस वेरीफिकेशन किया जाता है। ग्राहकों को सुरक्षित और उत्तम सेवाएं प्रदान करने के लिए वह हमेशा तैयार रहते है। उनकी मेहनत की वजह से स्क्वार्डन सिक्योरिटी सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड का नाम आज सबसे उत्तम एजेंसी में से एक मानी जाती है।
सत्ता और प्रतिष्ठा के गलियारों से परे, कसलकरजी की कहानी अदम्य मानवीय भावना का एक प्रमाण है कि सपने, चाहे कितने भी विनम्र क्यों न हों, जीवन को बदलने और बाधाओं को पार करने की शक्ति रखते हैं। उनके इस विरासत को और नए आयामों तक पहुंचने का काम करने के लिए उनके बेटे प्रथमेश कसलकर एक मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर पूरी तरीके से तैयार है। उनकी मैकेनिकल इंजीनियरिंग के शिक्षा के साथ इस व्यवसाय को नवरचनात्मकता के साथ सफलता के और भी बड़े शिखरों तक पहुंचाने के लिए तत्पर है।
एक सामान्य घर से निकलकर मुंबई जैसे बड़े और मुश्किलों से भरे शहर में मेहनत और लगन के साथ सुरक्षा रक्षक एजेंसीज़् में श्री. पांडुरंग जी कसलकर ने अपना वर्चस्व प्रस्थापित किया है। श्री. पांडुरंग जी कसलकर को रिसिल डॉट इन की ओर से ढेर सारी शुभकामनाए देते है।
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments