सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने का झंझट खत्म! दुनिया के किसी कोने में रहिए व्हाट्सएप पर मिलेगा बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट।
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बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट बनवाने वालों के लिए खुशखबरी है, अब आपको सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेगे. भारत में आंध्र प्रदेश सरकार इस तरह की सुविधा लागू करने जा रही है. जानें पूरी खबर.
आप सबने या आपके परिवावालों ने जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर खूब लगाए होंगे, लेकिन अब इन मुश्किलों को कम करने के लिए नहीं आंध्र प्रदेश सरकार ने एक बेहतर योजना शुरू करने जा रही है. जिसके बाद आप पूरी दुनिया में किसी भी कोने में बैठकर अपने जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र को मोबाइल पर मंगा सकते हैं.
‘वॉट्सऐप गवर्नेंस सेवा’
आंध्र प्रदेश सरकार जल्द ही अपनी ‘व्हाट्सएप गवर्नेंस सेवाओं’ के तहत व्हाट्सएप के माध्यम से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदान करेगी. मुख्य सचिव के विजयानंद, जिन्होंने सोमवार (20 जनवरी) को इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि इस सेवा के लिए पायलट प्रोजेक्ट इस महीने के अंत में तेनाली में आयोजित किया जाएगा ताकि प्रक्रिया का पता लगाया जा सके.
वॉट्सऐप के जरिए जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र
विजयानंद ने एक मीडिया से बातचीत में कहा, “राज्य सरकार जल्द ही मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के उद्देश्यों के अनुरूप लोगों को व्हाट्सएप गवर्नेंस सेवाएं प्रदान करेगी. इसके तहत, लोग जल्द ही व्हाट्सएप के माध्यम से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे.” सोमवार को विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ रियल-टाइम गवर्नेंस सोसाइटी (RTGS) कार्यालय में प्रक्रिया पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. विजयानंद ने इस बात पर जोर दिया कि मुख्यमंत्री का उद्देश्य व्हाट्सएप गवर्नेंस शुरू करके सरकारी सेवाओं को और अधिक सुलभ और सुविधाजनक बनाना है. उन्होंने आरटीजीएस और संबंधित विभागों के अधिकारियों से इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया है. उन्होंने पंचायती राज, स्वास्थ्य और नगर प्रशासन विभागों को इस पहल के सफल कार्यान्वयन के लिए आरटीजीएस अधिकारियों को पूर्ण सहयोग देने का भी निर्देश दिया है.
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लगाने पड़ते हैं चक्कर
आमतौर पर जब किसी को अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र या फिर परिवार में किसी का निधन होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना होता है तो अपने ही जिले के नगर निगम में जाकर आवेदन करना होता है. जांच के उपरांत वहां से प्रमाणपत्र जारी भी किया जाता है. इतना ही नहीं, आवेदकों को नगर निगम के कई चक्कर भी लगाने पड़ते है. कई बार लोगों से घूस भी मांगी जाती है. ऐसे में लोगों की सहूलियत के लिए राज्य सरकार नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.
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