अमेरिका में फेड रिजर्व ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया, भारत में क्या होगा असर?
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पिछले साल तीन बार ब्याज दर में कटौती करने के बाद अब जनवरी में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दर को पुराने लेवल पर ही बरकरार रखने का ऐलान किया गया है. FOMC के फैसले के अनुसार अमेरिका में ब्याज दर 4.25-4.50% पर स्थिर रहेगी.
कुछ दिन पहले 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों का असर अमेरिकी इकोनॉमी के साथ दुनियाभर के शेयर बाजार पर दिखाई दे रहा है. इसी का असर है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने साल 2025 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर को 4.25-4.50% पर स्थिर रखा. इसके साथ ही पिछले तीन बार से चला आ रहा ब्याज दर कटौती का सिलसिला थम गया. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) के फैसले के बाद फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा, ‘अमेरिकी इकोनॉमी मजबूत बनी हुई है और पिछले दो साल में इसमें सुधार हुआ है. लेबर मार्केट की स्थिति पहले की तुलना में स्थिर है और महंगाई दर 2% के लक्ष्य के करीब है. हालांकि यह अभी भी कुछ हद तक हाई लेवल पर बनी हुई है.’
अमेरिकी इकोनॉमी अच्छी गति से आगे बढ़ रही
उन्होंने बताया कि हाल के संकेतों से यह साफ है कि अमेरिकी इकोनॉमी अच्छी गति से आगे बढ़ रही है. फेड के इस फैसले के पीछे का कारण महंगाई का दवाब नहीं बल्कि डोनाल्ड ट्रंप हैं. वह काफी समय से ब्याज दर में कटौती के विरोध में दिखाई दे रहे थे. साल 2024 में ओवरऑल GDP 2% से ज्यादा बढ़ने का अनुमान है, इसमें उपभोक्ता खर्च की मजबूती ने बड़ी भूमिका निभाई है. पॉवेल के अनुसार, ‘बेरोजगारी दर पिछले साल के मिड से स्थिर बनी हुई है और दिसंबर में यह 4.1% रही. पिछले एक साल में मजदूरी वृद्धि की दर में कमी आई है, और नौकरियों व श्रमिकों के बीच का अंतर भी कम हुआ है.’
अमेरिकी शेयर बाजार पर असर
फेडरल रिजर्व के फैसले से पहले अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट देखी गई. डाउ जोंस और नैस्डैक गिरकर कारोबार कर रहे थे. FOMC की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘समिति का मानना है कि रोजगार और महंगाई के लक्ष्यों को हासिल करने के रिस्क संतुलित हैं. आर्थिक परिदृश्य अभी भी अनिश्चित बना हुआ है, महंगाई नियंत्रण और रोजगार से जुड़े रिस्क पर नजर बनाए रखेगी.’
समिति ने दोहराया कि फेडरल फंड्स रेट को 4.25-4.50% के दायरे में बनाए रखने का फैसला किया गया है. यह अमेरिकी ट्रेजरी सिक्योरिटीज और एजेंसी मॉर्गेज-बैक्ड सिक्योरिटीज को धीरे-धीरे कम करने के प्रोसेस को जारी रखेगी.
पिछली ब्याज दर कटौतियां
अमेरिकी फेड ने 18 दिसंबर 2024 को ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती की थी, जिससे दरें 4.25-4.50% हो गई थीं. यह FOMC की तरफ से तीन महीने के दौरान की गई तीसरी कटौती थी. इससे पहले, सितंबर 2024 में 50 बेसिस प्वाइंट और नवंबर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई थी. सितंबर 2024 में की गई यह पहली कटौती चार साल के बाद हुई थी. दिसंबर 2024 में फेड की भविष्यवाणियों में 2025 के लिए दो तिमाही बेस्ड ब्याज दर कटौतियों का संकेत दिया गया था.
भारत पर क्या असर होगा?
फेड रिजर्व की तरफ से भले ही अमेरिका में ब्याज दर कटौती पर रोक लगा दी गई हो. लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई फरवरी में होने एमपीसी के दौरान ब्याज दर में कमी का ऐलान करेगा. मॉर्गन स्टानले की रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई की रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो रेपो रेट 6.50 से घटकर 6.25 प्रतिशत पर आ जाएगा. इससे पहले आरबीआई ने मई 2022 में रेपो रेट में कटौती की थी, जो कि 0.40 प्रतिशत की थी. आपको बता दें आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा पहली बार एमपीसी की बैठक का नेतृत्व करेंगे. ऐसे में उनसे इस बा काफी उम्मीद की जा रही है.
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