एंड्रोमेडा गैलेक्सी में भयानक विस्फोट! ISRO के एस्ट्रोसैट ने पहली बार दुनिया को दिखाया ऐसा नजारा।
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इसरो के अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT/AstroSat) के डेटा का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों ने पहली बार एंड्रोमेडा आकाशगंगा में ‘नोवा’ को देखा है. यह बेहद खास घटना है तो तब होती है जब कोई नया तारा अचानक से आकाश में चमक उठता है.
एस्ट्रोनॉमर्स ने पहली बार हमारी पड़ोसी आकाशगंगा, एंड्रोमेडा में नोवा से निकलते पराबैंगनी उत्सर्जन देखे हैं. ‘नोवा’ ब्रह्मांड में होने वाली एक खास घटना है, जिसमें अचानक एक चमकदार, नया तारा प्रकट होता है, जो अपने विस्फोट के दौरान, सप्ताहों या महीनों में धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है. पड़ोसी एंड्रोमेडा आकाशगंगा में ऐसा पहली बार हुआ है. वैज्ञानिकों ने इस घटना को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के AstroSat की मदद से देखा. यह एक अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) है.
भारतीय वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक खोज
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA|, बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एंड्रोमेडा आकाशगंगा के अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT/एस्ट्रोसैट) डेटा का इस्तेमाल करके, नोवा के निष्क्रियता के दौरान उनसे दूर के अल्ट्रावायलेट (FUV) उत्सर्जन की खोज की. एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी में बताया गया कि, इस दौरान उन्हें नोवा के विस्फोट चरण के आसपास के क्षेत्र में अचानक कुछ दिखाई दिया.
भारतीय वैज्ञानिकों ने टीम ने 42 नोवा से पराबैंगनी उत्सर्जन का पता लगाया, जो एक विशेष प्रकार के तारकीय विस्फोट होते हैं. टीम ने इन नोवा घटनाओं में से 4 नोवा को उनके विस्फोट के दौरान ही देखा. IIA के वैज्ञानिक और पुदुचेरी यूनिवर्सिटी के जूधाजीत बसु ने कहा, ‘इन नोवा का पता लगाना केवल इसरो द्वारा संचालित एस्ट्रोसैट यूवीआईटी द्वारा उठाए गए एंड्रोमेडा सर्वेक्षण प्रस्तावों के कारण ही संभव हो पाया. भविष्य में ऐसे और मिशन, खासकर यूवी और एक्स-रे में, इन प्रणालियों की खोज और उनका अनुसरण कर सकते हैं, और नोवा के कुछ गुम पहेलियों का उत्तर दे सकते हैं.’
कैसे होते हैं ‘नोवा’ विस्फोट?
PIB की प्रेस रिलीज के अनुसार, अभी तक देखे गए सभी नोवा में नजदीकी बाइनरी सिस्टमों में मौजूद सफेद बौने (White Dwarf) शामिल रहे हैं. लेकिन नोवा के नाटकीय रूप से प्रकट होने के चलते, उनके उत्पत्ति तारों की परिस्थितियों पर निर्भर करती है. कभी-कभी एक सफेद बौना, जो पृथ्वी के आकार का लेकिन बहुत गर्म तारा होता है, और एक सूर्य जैसा (या उसका फूला हुआ विकसित संस्करण) तारा, एक दूसरे के बहुत करीब से परिक्रमा करते हुए पाए जाते हैं.
ऐसे सिस्टमों में, व्हाइट ड्वार्फ तारे का तीव्र गुरुत्वाकर्षण बल साथी तारे को विकृत कर सकता है और उसके पदार्थ को व्हाइट ड्वार्फ तारे की सतह पर खींच सकता है. पदार्थ के ढेर लगने से इतना तीव्र घनत्व पैदा होता है कि संलयन प्रतिक्रिया बढ़ जाती है, जिससे बहुत अधिक मात्रा में प्रकाश निकलता है, जिसे नोवा विस्फोट के रूप में देखा जाता है.
यह अभिवृद्धि प्रक्रिया व्हाइट ड्वार्फ के चारों ओर एक डिस्क जैसी संरचना की उपस्थिति के माध्यम से सुव्यवस्थित होती है, जिसे अभिवृद्धि डिस्क के रूप में जाना जाता है. ये डिस्क बहुत गर्म होती हैं और स्पेक्ट्रम के यूवी और नीले क्षेत्रों में विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्सर्जित करती हैं.
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