सुवर्णा शेडगे ने बनाया 2000 चपातीयों से 1 लाख चपातीयाॅ बनाने का सफल उदयोग
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महिला बचतगट, किसान बचतगट अपने उदयोग से जोडकर उन्होंने कई परिवारोंको पुरा सहयोग दिया और महिलाओंको अपने पैरोपर खडा किया –
सुवर्णा शेडगे पुणे जिले के मुळशी तहसील मे एक छोटेसे गांव शेगडेवाडी मे रेहती है, 2006 मे उन्होंने बचत गट की शुरूआत की, बचतगट के माध्यम से मुंगफली के लड्डू बनाना और कंपनीयो मे देना ये काम उन्होंने शुरू कीया था! उसी काम के सिलसीले मे वे एक कंपनी मे मिटींग के लिए गए थे उस वक्त उन्हे घरबैठे कोई उदयोग करने के हेतू से सुझाव लेना था! उस वक्त मॅनेजर ने पुरी कंपनी दिखाई और पुछा आप क्या कर सकते हो तब उन्होंने कंपनी मे चपाती सप्लाय करने का प्रस्ताव रखा! उन्होंने तुरंत हामी भरी और काम शुरू हुआ! उन्हें पहलीबार 2000 चपाती की ऑर्डर मिली, वो उन्होंने खुशी से निभाई और धिरे धिरे 2000 से 10 हजार चपाती देने तक का सफर उन्होंने तैय कीया! उनकी बनाई चपाती की क्वालीटी और गुणवत्ता देख उन्हे कई ऑर्डर मिलने लगे! उन्होने अपनी मेहनत और लगन से उस काम को जारी रखा और 1 लाख चपातीयाॅ प्रतीदीन देने का टार्गेट उन्होंने कमसे कम समय मे पुरा कीया!
बिझनेस को आगे बढाने के लिए उन्हे बँक लोन की जरूरत थी! किंतू बँक से लोन लेना उनके लिए बडा मुश्किल हो रहा था! बॅंक ने उन्हे लोन देने से मना कर दिया, उस वक्त बचतगट के माध्यम से उन्होने कुछ पैसे जमा किए! और उनके बिझनेस को आगे बढाया! बचतगट के सहयोग से आज उन्होंने 7 से 8 सेंटर्स शुरू किए है! जिसके माध्यम से 70 से 90 महिलाए हर सुबह 3.30 बजे से 9 बजे तक और दोपहर 1 से 5 बजे तक चपातीयाॅ बनाने का काम करती है! जब उन्हे गेहू की कमी मेहसूस होने लगी तब उन्होने किसानों के लिए बचतगट की शुरूआत की, वे उन्ही किसानो से वे गेहू खरीदने लगे! किसानों को गुढीपाडवा और दिपावली पाडवा के दिन पैसे देने लगे! जिससे हर महीने किसानों को पैसे देने की समस्या से छुटकारा मिला! मुळशी तहसील मे चावल का उत्पाद अधिक मात्रा मे होता है! जिससे 6 से 7 महिने किसानो को कोई काम नही होता! इसीलीए उन्होने कर्मशियल आटाचक्की खरीद ली! और महीला बचतगट को काम दिया गया! जिससे उन्हे गेहू पिसकर मिलने लगा! जिससे महिलाओंको 15 सेे 20 हजार रूपए प्रतीमाह मिलने लगे! इस सबके बिच उन्होने अपने उत्पाद की गुणवत्ता कभी कम नही होने दि!
महिलाओं को भी घरेलू चपातीयाॅ मिलने लगी! अपने बच्चों को और पती को टिफीन देने में उन्हे आसानी होने लगी! जिससे उन्हे कही बाहरगांव जाना, शादीब्याह मे जाना या अन्य कई कार्यक्रमोके जाना आसान होने लगा! साथ साथ 15 से 20 हजार रूपए महिना कमाने का मौका भी मिला जीससे उनके परीवार मे बडा सहयोग मिलने लगा! यहाॅ जलगाव, धुले, नुंदुरबार, विदर्भ, सांगली सातारा जैसे अन्य शहरोसें कई महीलाए अपने परीवार के साथ काम करने के लिए आती है! जिससे उनके पती काम और बच्चो को अच्छी पढाई देने का मौका भी मील जाता है!
आज कई महिलाओंने खुद का घर बना लिया है, कुछ लोगों ने अपने गहने जेवरात तक बनाए है! उन्हे खुशी है आज 36 से अधिक किसान बचतगट और 50 से 52 महीला बचतगट उनके जुड चुके है! 32 से 33 प्रकार की चपातीयाॅ वे हर रोज सप्लाय करते है!
2007 में शुरू कीया गया बिझनेस आज 150 से 200 परिवारो का सहारा बन चुका है! उन्हे खुशी है के उनके माध्यम से आज कई परिवार अपने जिवन में सफलता से आगे बढ रहे है, उनका एकमात्र उद्देश्य था की महिलाए 10 से 15 हजार रूपए प्रती माह कमाए! और खुद के पैरोपर खडी हो सके! आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर होकर वे जिवन मे समाधान पा सके यही उनका एकमात्र उद्देश्य लेकर वे आगे बढ रही है!
उन्हे गर्व है की आज उनका सपना पुरा हो रहा है! वे चाहती है की ये सिलसिला आगे बढता रहे! और महिलाओं को अधिक लाभ मिलता रहे! आज वे कई परिवारोंकी जिम्मेदारीयाॅ उठाने में सक्षमाता से आगे बढ रही है! हम रिसील की और से उनके उदयोग को आगे बढाने के लिए ढेरसारी शुभकामनाए देते है!
लेखक: सचिन आर जाधव
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