Success Story: 9 साल की उम्र में अखबार बांटे और UPSC के लिए छोड़ दी TCS की नौकरी, फिर बन गए सरकारी अफसर।
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पी बालमुरुगन का जन्म चेन्नई के कीलकट्टलाई में आठ भाई-बहनों के परिवार में हुआ था, और वह बचपन से ही आर्थिक रूप से संघर्ष करते रहे.
पी. बालामुरुगन की अद्भुत जर्नी दृढ़ता और लगन की ताकत का प्रमाण है. उनका जन्म चेन्नई के कीलकटलाई में आठ भाई-बहनों के परिवार में हुआ था और उन्हें बचपन से ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा. घर में कमाने वाली केवल बालामुरुगन की मां थीं. जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद अपने सभी बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता दी और उन्हें ज्ञान और एजुकेशन के महत्व को सिखाया.
बालामुरुगन अपने भाई-बहनों से अलग थे, उनकी जिज्ञासा कभी कम नहीं होती थी. मात्र 9 साल की उम्र में ही वो तमिल अखबार पढ़ने लगे. पैसों की कमी के बावजूद उन्होंने अखबार बांटने का काम ढूंढ लिया ताकि वो सीखने के अपने जुनून को पूरा कर सकें. उनके टीचर्स ने पढ़ाई के प्रति उनकी लगन और सीखने के उत्साह को देखा. इसलिए उन्होंने बालामुरुगन को और भी पढ़ने का सामान दिया ताकि वो अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा सकें.
ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, बालामुरुगन ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया. उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि तब हासिल हुई जब उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में नौकरी मिल गई.
कई मुश्किलों और यूपीएससी परीक्षा में तीन बार असफल होने के बावजूद, बालामुरुगन एक सिविल सेवक बनने के अपने टारगेट पर अडिग रहे. आखिरकार, 2018 में उनकी निरंतर लगन और मेहनत को सफलता मिली, उन्होंने यूपीएससी आईएफएस परीक्षा पास कर ली.
अपने ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, 2019 में बालामुरुगन को राजस्थान वन विभाग में भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी के रूप में नियुक्ति मिली. भारत वापस आने से पहले, उन्होंने कुछ समय के लिए ऑस्ट्रेलिया में भी काम किया. उनका मानना है कि यह एक्सपीरिएंस उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था जिसने उन्हें भविष्य के बारे में एक नया नजरिया दिया.
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