सपनों की ऊंचाइयों को छूते कदम, अब अंतरिक्ष में लहराएंगे भारत का परचम; पढ़िए IAF ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सक्सेस स्टोरी।
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की कहानी सिखाती है कि सपने केवल तभी सच होते हैं, जब कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय और सही मौके का सदुपयोग किया जाए. लखनऊ के इस लड़के ने आज न केवल भारतीय वायुसेना में एक ऊंचा मुकाम हासिल किया है, बल्कि अंतरिक्ष में भी देश का नाम रोशन करने का संकल्प लिया है.
भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की कहानी प्रेरणा से भरपूर है. एक ऐसे लड़के की कहानी जिसने बचपन से ही देशभक्ति और वीरता की मिसाल कायम करने का सपना देखा, आज वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारत का परचम लहराने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं. उनकी सफलता का सफर न केवल कठिनाइयों से भरा रहा है, बल्कि यह हमें बताता है कि दृढ़ निश्चय, सही दिशा में मेहनत और अवसरों का सदुपयोग कितनी बड़ी उपलब्धियां दिला सकता है.
प्रेरणा का पहला स्रोत
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में हुआ. बचपन में उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय जवानों की वीरता के किस्सों से प्रेरणा ली. 14 साल की उम्र में ही उन्होंने ठान लिया कि वे भी देश सेवा के लिए सेना में शामिल होंगे. अपने परिवार के पहले सदस्य के रूप में उन्होंने न सिर्फ सेना में कदम रखा, बल्कि आगे चलकर वायुसेना में ग्रुप कैप्टन का दर्जा भी हासिल किया.
सैन्य करियर की शुरुआत: SSB और NDA का चयन
शुभांशु ने अपनी स्कूली पढ़ाई लखनऊ स्थित अलीगंज के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पूरी की. साल 2003 में उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में चुना गया. दिलचस्प बात यह है कि उनके एक मित्र ने एनडीए का फॉर्म लेने से इंकार कर दिया था, तो शुभांशु ने मौका भांपकर खुद वह फॉर्म भर लिया. मानना पड़ेगा कि एसएसबी और एनडीए दोनों में उनका चयन हो गया, जिसके बाद उन्होंने एनडीए जॉइन किया और दृढ़ निश्चय के साथ सेना में कदम रखा. यही निश्चय आज उन्हें भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के रूप में गौरवशाली स्थान दिलाने में सफल रहा है.
फाइटर जेट से अंतरिक्ष तक का सफर
2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए शुभांशु ने फाइटर जेट उड़ाने का अभ्यास शुरू किया. एसयू-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, और एएन-32 जैसे कई विमानों पर लगभग दो हजार घंटे की उड़ान का अनुभव इकट्ठा किया. इस अनुभव ने उन्हें फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट के रूप में उभरने में मदद की. उनकी यह उड़ान यात्रा ही उन्हें अंतरिक्ष के लिए चुने जाने का आधार बनी.
अंतरिक्ष मिशन: गगनयान और एक्सिओम मिशन-4
शुभांशु को साल 2019 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के लिए चुना गया. 2021 में मॉस्को के गागरिन कॉस्मोनॉट सेंटर से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेनिंग सेंटर में भी टफ ट्रेनिंग पूरी की. 27 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन के लिए उनके नाम की घोषणा की. इसके साथ ही एक्सिओम मिशन-4 के लिए भी शुभांशु को फाइनल क्रू मेंबर में शामिल किया गया. अब वे नासा द्वारा घोषित स्पेस मिशन में मुख्य पायलट के रूप में कार्य करेंगे, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे.
पर्सनल लाइफ
शुभांशु शुक्ला की पत्नी डॉ. कामना एक डेंटिस्ट हैं और उनका एक बेटा है, जिसका नाम कियास है. परिवार के समर्थन और उनकी लगन ने उन्हें कठिनाइयों का सामना करने में कभी पीछे नहीं हटने दिया. उनके मित्र और सहकर्मी उन्हें गुंजन के नाम से पुकारते हैं. उनका शांत स्वभाव, अवसरों का सदुपयोग और समय पर सही निर्णय लेना ही उन्हें एक असाधारण सैन्य अधिकारी बनाता है.
अंतरिक्ष की योजनाएं: देसी भोजन और योग
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान शुभांशु ने योजना बनाई है कि वे न केवल अपने साथियों को देसी भोजन खिलाएंगे, बल्कि अंतरिक्ष में योग भी करेंगे. यह पहल उनके देशभक्ति और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान को दर्शाती है. अगला कदम गगनयान मिशन है, जिसमें वे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनकर देश का मान बढ़ाएंगे. उनकी सफलता की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने सपनों को ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता है.
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