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    April 20, 2025

    कार्बन एमिशन से लड़ने वाला सोलर पैनल खतरनाक:2050 तक 200 मिलियन टन हो जाएगा सोलर पैनल वेस्ट, ये इको-डिजास्टर ला सकता है।

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    सोलर पैनल को दुनिया में बढ़ते कार्बन एमिशन से लड़ने के हथियार के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है ये सोलर पैनल खराब होने के बाद कितना बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। इससे इको-डिजास्टर यानी पर्यावरण संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

    दरअसल, सोलर पैनल की लाइफ करीब 25 साल होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में पिछले कई सालों से सोलर पैनल इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इनकी संख्या करीब 2.5 बिलियन हो गई है। अब इन सोलर पैनल की लाइफ खत्म होने का समय नजदीक आ रहा है। यानी ये जल्द खराब होकर कचरा बन सकते हैं।

    इस वेस्ट को रीसाइकिल करने की तैयारी नहीं है। हालांकि, जून 2023 में फ्रांस में सोलर पैनल रीसाइक्लिंग फैक्टरी खोली जाएगी, लेकिन सिर्फ एक फैक्टरी से दुनिया की समस्या हल नहीं हो सकती। एकस्पर्ट्स का मानना है कि 2050 तक 200 मिलियन टन सोलर पैनल वेस्ट जमा हो जाएगा।

    सोलर पैनल में हीट को ट्रांस्फर करने के लिए कुछ फ्लूइड का इस्तेमाल किया जाता है। ये फ्लूइड कई बार लीक हो जाते हैं, जो वातावरण और मानव जीवन के लिए खतरनाक होते हैं। इनसे कई बीमारियां हो सकती हैं। ये मिट्टी की क्वालिटी भी खराब कर सकते हैं।
    पैनल में लगे सिल्वर, कॉपर को हटाना, रीसाइकिल करना सबसे मुश्किल
    फ्रांसीसी सोलर रीसाइक्लिंग कंपनी ROSI ने सोलर पैनल में इस्तेमाल हुई एक-एक चीज को निकालने और इन्हें रीयूज करने का उद्देश्य रखा है। दरअसल, एल्यूमीनियम के फ्रेम, इसमें लगे ग्लास और पैनल में लगे सिल्वर, कॉपर को हटाना फिर इन्हें रीसाइकिल और रीयूज करना सबसे कठिन होता है।

    ग्लास से टाइल्स बनाए जा सकते हैं या इनका इस्तेमाल सैंडब्लास्टिंग में किया जा सकता है। इसे डामर बनाने के लिए दूसरे मटैरियल के साथ भी मिलाया जा सकता है। लेकिन इसका इस्तेमाल नए सोलर पैनल बनाने के लिए नहीं किया जा सकता।
    भारत और इंडोनेशिया में 2040 के बाद बढ़ेगा सोलर पैनल वेस्ट
    इंटरनेशनल रीन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (IREA) के मुताबिक, 2040 तक सालाना सोलर पैनल वेस्ट 10 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा। वहीं, 2050 तक सालाना सोलर पैनल वेस्ट 20 मिलियन टन हो जाएगा। भारत और इंडोनेशिया में 2040 के ये काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक भारत में 34,600 टन सोलर पैनल वेस्ट जमा हो जाएगा।

    8.8 डॉलर बिलियन का सोलर पैनल रीसाइक्लिंग मार्केट
    अगले 10-20 साल में सोलर पैनल रीसाइक्लिंग का बिजनेस बढ़ेगा। अभी रीसाइक्लिंग नहीं हो रही है क्योंकि सोलर पैनल वेस्ट निकल ही नहीं रहा है। IREA के मुताबिक, 2050 तक सोलर रीसाइक्लिंग मार्केट की वैल्यू साल 8.8 डॉलर बिलियन हो जाएगी।
    कार्बन एमिशन से बढ़ रहा वैश्विक तापमान
    हर साल दुनिया भर से 4000 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन (कार्बन एमिशन) होता है। इससे एयर पॉल्यूशन, ग्लोबल वॉर्मिंग यानी वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। वैश्विक स्तर पर एनर्जी के लिए कोयला, क्रू़ड ऑयल और नेचुरल गैस का सबसे ज्यादा उपयोग होता है। दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। एमिशन को कम करने के लिए हमें कोयले पर निर्भरता कम करनी होगी। इसके लिए सोलर एनर्जी को अपनाया जा रहा है।

    एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर मौजूदा तरीके से ही ग्रीन हाउस गैसों का एमिशन होता रहा, तो 2050 तक धरती का तापमान दो डिग्री बढ़ जाएगा। ऐसा होने पर कहीं भीषण सूखा पड़ेगा तो कहीं विनाशकारी बाढ़ आएगी। ग्लेशियर पिघलेंगे, सुमद्र का जल स्तर बढ़ेगा। इससे समुद्र के किनारे बसे कई शहर पानी में डूब जाएंगे और उनका नामोनिशान मिट जाएगा।

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