नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 24, 2025

    सड़क पर सोए, ट्रेन के फर्श पर यात्रा की, फिर UPSC क्रैक कर बने IPS.

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    रोबिन हिबू ने अपनी एक किताब में अपने संघर्ष के दिनों के बारे में लिखा है. उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश से दिल्ली आने के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रिजर्वेशन करा सकें.

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी रॉबिन हिबू अरुणाचल प्रदेश के पहले ऐसे आईपीएस हैं जिन्हें डीजीपी नियुक्त किया गया. अपने पूरे करियर में, उन्होंने राष्ट्रपति भवन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी समेत कई अहम पदों पर काम किया है.

    रॉबिन हिबू का जन्म 1 जुलाई 1968 को चीन और अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब एक छोटे से गांव हांग में हुआ था. उन्हें दिल्ली पुलिस ने बीओएफ भर्ती कार्यालय, परिवहन सुरक्षा विंग एंड विजिलेंस के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था.

    इसके अलावा, रॉबिन हिबू ने नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन (NGO) हेल्पिंग हैंड्स की स्थापना की, जो जरूरतमंद नॉर्थईस्टर्न निवासियों को सहायता प्रदान करता है. रॉबिन हिबू की उन्नति उनकी प्रतिबद्धता, परिश्रम और सार्वजनिक सेवा में असाधारण योगदान का प्रमाण है, जिसमें वित्तीय सहायता से लेकर बच्चों की शिक्षा के लिए मार्गदर्शन तक शामिल है।

    रोबिन हिबु ने जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए “हेल्पिंग हैंड्स” नाम का एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन भी स्थापित किया है, जो विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की सहायता करता है. उनकी यह पहल उनके समाजसेवा के जज्बे को दर्शाती है. हिबू का प्रमोशन पाना उनके कर्तव्यनिष्ठा, मेहनत और समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान का प्रमाण है. उनकी सेवाएं आर्थिक सहायता से लेकर बच्चों की शिक्षा के लिए मार्गदर्शन तक फैली हुई हैं.

    रोबिन एक आदिवासी हिंदू परिवार से आते हैं. उनके पिता खेती करते थे, लेकिन उनके पास इतनी जमीन नहीं थी कि वे पूरे परिवार का पेट भर सकें. इसलिए, रोबिन खेती के साथ-साथ लकड़ी काटकर बेचा करते थे ताकि घर का खर्च चलाने में मदद मिल सके.

    उनके गांव में भले ही स्कूल नहीं था, पर पढ़ाई के लिए उनका जुनून इतना था कि वो आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं. रोबिन बताते हैं कि बचपन में वो रोज लगभग दस किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे. आगे की पढ़ाई के लिए वो दिल्ली आए. रोबिन ने अपनी हायर एजुकेशन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से प्राप्त की.

    रोबिन हिबू ने अपनी एक किताब में अपने संघर्ष के दिनों के बारे में लिखा है. उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश से दिल्ली आने के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रिजर्वेशन करा सकें. इसलिए उन्हें ट्रेन में टॉयलेट के सामने फर्श पर बैठकर दिल्ली आना पड़ा. दिल्ली पहुंचने के बाद उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली, तो कई रातें वो JNU के पास सब्जी गोदाम के बाहर सड़क पर सोए. कुछ दिनों बाद उन्हें JNU के नर्मदा हॉस्टल में कमरा मिला और वे वहां रहने लगे.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    10:04 AM