ईवीएम पर अजित पवार का रुख बाबा की समीक्षा बैठक में बैठकर पेश किया गया; कहा, ”लोकसभा के दौरान हम…”
1 min read
|








अजित पवार ने आज बाबा आढाव से मुलाकात की.
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक बाबा आढाव इन दिनों पुणे में आत्मदाह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। देश में सचमुच लोकतंत्र का चीरहरण शुरू हो गया है। अधाव ने घोषणा की थी कि वह संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के तहत इसके खिलाफ तीन दिवसीय आत्मदाह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी के तहत वे तीन दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आढाव ने विधानसभा चुनाव में घोटाला होने और ईवीएम के दुरुपयोग का संदेह जताया है. आज (30 नवंबर) उनके आंदोलन का तीसरा दिन है. इस बीच आज एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने बाबा अधव के धरना स्थल का दौरा किया. उन्होंने बाबा आढाव से चर्चा कर आंदोलन वापस लेने का भी अनुरोध किया. इसके बाद अजित पवार ने मीडिया से बातचीत की. इस मौके पर उन्होंने कहा, ”चुनाव आयोग एक स्वायत्त संस्था है. हम उनके मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”
अजित पवार ने कहा, ”मैं बाबा आढाव को बताना चाहता हूं कि कुछ चीजें इस चुनाव आयोग से जुड़ी हैं. चुनाव आयोग एक स्वायत्त संस्था है. कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में हैं. हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. उन्होंने वही फैसले दिये हैं जो उन्हें सही लगता है. मैं खुद बारामती से उम्मीदवार था. मैंने देखा है कि शाम साढ़े पांच बजे के बाद मतदाताओं की भीड़ बढ़ गयी. मैंने विभिन्न मतदान केंद्रों पर अधिकारियों से कहा कि वे छह बजे तक आने वाले सभी मतदाताओं के लिए बाहर बिजली की व्यवस्था करें और सुनिश्चित करें कि हर कोई मतदान कर सके।”
अजित पवार ने आख़िर क्या कहा?
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ”लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने 31 सीटें जीती थीं. हमें सिर्फ 17 सीटें मिलीं. हमने वह हार स्वीकार कर ली. क्योंकि वह लोगों की राय थी. लेकिन तब किसी ने ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया. मेरे बारामती विधानसभा क्षेत्र में मेरा उम्मीदवार 48 हजार वोटों से हार गया. लेकिन मैं विधानसभा चुनाव में उसी निर्वाचन क्षेत्र से एक लाख से अधिक वोटों से निर्वाचित हुआ हूं.’ क्योंकि बारामती की जनता ने शुरू से ही तय कर लिया है कि लोकसभा ताई है और विधानसभा दादा है. वे उसी के अनुरूप वोट करते हैं. जिन गांवों में हमें लोकसभा चुनाव में वोट नहीं मिले, वहां विधानसभा के दौरान मुझे खूब वोट मिले. अब अगर पांच महीने में लोगों की राय बदल गई तो हम क्या करेंगे.
1999 के चुनाव के दौरान बारामती के मतदाताओं ने शरद पवार को लोकसभा चुनाव में 85 हजार वोटों से जिताया था. उस वक्त मुझे सिर्फ 50 हजार वोटों की बढ़त मिली थी. अजित पवार ने कहा, लेकिन, मुझे उस समय चुनाव प्रणाली पर कोई संदेह नहीं था।
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments