शुभांगी कचरे ने महीलाओं को सम्मान के साथ जिने का रास्ता दिखायानिशुल्क ब्युटीपार्लर प्रशिक्षण देकर बनाया सेकड़ों महीलो को आत्मनिर्भर, ग्रामिण क्षेत्र की महीलाओं को दिया बेहतर प्रशिक्षण।
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शुभांगीजी बीड जीले के अंबेजोगाई मे रहते है, आज वे निरंतर 10 वर्षों से वही अपने भविष्य का सपना सजा रहे है , उन्होंने 2012 में ब्युटी पार्लर एवं ट्रेनिंग सेंटर की शुरूआत की थी , एक छोटी सी जगह उन्होंने अपने पार्लर को शुरू कीया था , उन्होंने शुरूआती दौर से ही इमानदारी से अपने काम को अंजाम दिया , उनके साथ हमेशा उनके माता पीता ने सकारात्मक सहयोग दिया, उनके दोस्त और महीलाओं के विश्वास ने उन्हें आगे बढ़ने में हौसला दिया , उन्होंने काफ़ी लडकीयों और महीलाओं को प्रशिक्षीत कीया जो उनसे हमेशा के लिए जुट गऐ ।
शुभांगी जी को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा लेकीन ग्रामिण क्षेत्र के महिलाओं का उत्साह देख उन्होंने खुद को मजबुती से उनके साथ खडा रखा और उनके सपनों को उड़ान देने के प्रयासों में हमेशा व्यस्त रही , लेकीन एक महीला होने के नाते उन्हें काफी जिम्मेंदारीया संभालनी पड़ी , और सारी समस्याओं का सामना करते हुऐ वे आगे बढ़ती रही।
उस समय उनके क्लासेस में ग्रामिण क्षेत्र की कई महीलाऐ आती थी, जिन्हें गांव से निकल दुनियाँ के साथ चलना था , कुछ सिखना था , कुछ कर दिखाना था , उनका हौसला और जिद देखकर पैसो की चिंता कीऐ बिना शुभांगीजी उन्हें पढ़ाती रही और उनके जिवन में महिलाओं को आगे बढाती रही , उनका संकल्प था की जो जो अपने जीवन मे आगे बढना चाहती थी वे उन्हें तन मन धन से सहयोग देकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही।
उन्होंने ठान लीया था की उन्हें किसी भी हाल में पीछे नही हटना है, चाहे कितनी भी मुसीबते आऐ कीतनी ही समस्याओं का सामना करना पडे वे डटकर महीलाओं के विकास में निरंतर प्रयास करती रहेगी , उन्हें खुदपर पूरा भरोसा था, इसीलीऐ बीना रूके ये काम करती रही और विकास की राह पर चलती रही।
उन्होंने स्वयंसिध्दम संस्था के माध्यम से ब्युटीपार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कीया, और उनके आसपास की सभी महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास कीया , स्वयंसिध्दम संस्था पुरे भारत में हर राज्य में व्युटीपार्लर का कोर्स पढाने का काम करती है , जिनके माध्यम से महिलाओं को रोजगार दिलाने में भी वे सफल हो सकी है , उन्हें बेहद खुशी है की जिन महिलाओं को उन्होंने प्रशिक्षीत कीया वे सब आज अपने खुद के पैरोपर खडी होकर अर्थाजन भी कर रही है और खुद का व्यवसाय चला रही है।
इस सफर में उन्होंने अबॅकस नॅशनल कंपनी के साथ मिलकर छात्रों को पढ़ाने का काम कीया , जिसके माध्यम से उन्हें सकारात्म उर्जा मीली और उन्होंने खुद में काफी बदलाव मेहसूस कीया।
जिवन के सफर ने उन्हें हरकदम साथ देनेवाले उनके माता पीता एक गुरु के समान उनके साथ थे , उन्होंने कभी उन्हें हारने नही दिया , हरपर आनेवाली समस्याओं से जुजने की ताकद देते रहे और हौसला बढ़ाते रहे , घरपरीवार की जिम्मेदारी संभालते हुऐ सारी समस्याओं को सुलझाते हुऐ वे आगे बढ़ती रही , क्योकी उन्होंने उनके सपनों से कभी समझोता नही कीया बल्की जोश के साथ उनके सपने पुरे करने की दिशा में कदम बढाती रही , इस सफर में मेहनत, लगन और निष्ठा के साथ उनके 10 साल कब बित गए उन्हें भी पता नहीं चला।
शुभांगीजी ने अपने प्रशिक्षण के दौरान सभी महलाओं को नई नई चीजे सिखाई जो उनके जिवन मे काफी फायदेमंद साबीत होगी , उन्होंने सभी महिलाओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया , यहाँ महीलाओं को निशुल्क प्रशिक्षण के साथ प्रशस्तीपत्र दिया जाता है , और साथ ही महीलाओं को व्युटीपार्लर के साधन भी दिऐ जाते हैं ताकी वे उनके माध्यम से खुद का बिझनेस शुरू कर सके।
शुभांगीजी बिड जीले में कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्य करती है, उन्होंने आजतक 600 से अधीक महिलाओं को प्रशिक्षीत कीया है , आज उनके माध्यम से 50 से अधिक महीलाऐ ब्युटीपार्लर प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम कर रही है , उन्हें इन सभी महीलाओं के लीऐ ठोस काम करना है , उन्हें खुद के बलबुतेपर खड़ा करना है और जो मेहनत करते है उनकी कामयाबी बड़ी होती है इस बात पर उन्हे पुरा भरोसा है।
उन्हें शुरआती दौर ने काफी लोगों ने उनपर सवाल उठाए , उनके नॉलेज से लेकर उनके अनुभव तक उन्हें कोसा गया , लेकीन ये इमानदारी से अपना काम करती रही , उन्हें विश्वास था एक ना एक दिन वो जीत हासील करेगी और उन लोगों को उनकी सफलता को स्विकार करना पड़ेगा , उन्होंने खुदके साथ अन्य महीलाओं को प्रेरीत कीया और कांतिज्योती सावित्रीबाई फुले के संघर्ष को सामने रखते हुऐ उनके आदर्शोंपर चलने के लीए प्रेरीत कीया, और हर महीला को स्वयसिध्द होने के लिऐ आश्वस्त कीया , हम शुभागीजी के हौसले को सलाम करते है और उन्हे भविष्य की सफलता के लिऐ शुभकामनाऐ देते है।
अपने हीस्से का काम करना तो दुनिया की रीत है,
लेकीन यही काम जिजान से करना जिवनसंगीत है।
लेखक: सचिन आर जाधव
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