सेंसेक्स में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा, निवेशकों का इंतजार खत्म नहीं हुआ; शेयर बाज़ार के ‘अच्छे दिन’ कब आएंगे?
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मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में सुबह कारोबार शुरू होते ही सेंसेक्स में 600 अंकों की गिरावट आई। वहीं, निफ्टी 50 में लगातार 9वें सत्र में गिरावट आने से निवेशक चिंतित हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प के संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद, उनके कुछ निर्णयों का दुनिया भर के शेयर बाजारों पर गंभीर असर पड़ा है। उनके निर्णय, विशेषकर अन्य देशों पर टैरिफ लगाने के संबंध में, दुनिया भर के निवेशकों के लिए परेशानी का सबब रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में भारतीय बाजार में देखी गई गिरावट अभी भी जारी है, और निवेशकों के लिए आगे क्या है? ऐसा लगता है कि एक बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को भी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) निवेशकों को कोई राहत देता नहीं दिखा।
सेंसेक्स के नक्शेकदम पर चलते हुए निफ्टी 50 इस साल गिरावट में सबसे आगे!
सेंसेक्स में दिख रही तेजी का रुख निफ्टी 50 में भी देखने को मिल रहा है, लेकिन सोमवार को शेयर बाजार खुलने के बाद निफ्टी 50 ने गिरावट का नया रिकॉर्ड बना दिया। निफ्टी में लगातार नौवें सत्र में गिरावट आई है। सोमवार के आंकड़े निफ्टी के लगातार सबसे अधिक सत्रों में गिरावट के रिकॉर्ड में शामिल हैं। इससे पहले मई 2019 में भी निफ्टी में इसी तरह की गिरावट आई थी।
जहां निफ्टी ने अपनी राह बदल ली है, वहीं सेंसेक्स ने भी निवेशकों को निराश किया है। सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स में 590.57 अंकों की भारी गिरावट आई। 73,383 अंक पर चल रहे सेंसेक्स में यह गिरावट करीब 0.78 प्रतिशत की है। निफ्टी 196.15 अंक गिरकर 22,733.10 पर आ गया। शेयर बाजार पर विचार करें तो कुल शेयरों में से 765 शेयरों की कीमत में वृद्धि हुई जबकि 1901 शेयरों की कीमत में कमी आई। 158 शेयरों की कीमतें वही रहीं।
किसको लाभ, किसको हानि?
रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक ओर सभी क्षेत्रों की कंपनियों के शेयरों में गिरावट आ रही है, वहीं दूसरी ओर निफ्टी-50 में कुछ के मूल्य में वृद्धि और कुछ में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। निफ्टी रियल्टी, निफ्टी ऑटो, निफ्टी मीडिया के शेयरों में भारी गिरावट आई। यह दर 1.5 से 2.5 प्रतिशत थी। लेकिन इसी दौरान निफ्टी फार्मा, निफ्टी फार्मा और निफ्टी मीडिया के शेयरों में बढ़त देखी गई।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक बदलाव?
इस बीच, पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित राजनीतिक स्थिति का शेयर बाजार पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा है। लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से चल रहा युद्ध समाप्त होने वाला है। साथ ही, क्या अप्रैल में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में कच्चे तेल की कीमतों में मामूली गिरावट, डॉलर के अवमूल्यन तथा ब्याज दरों में और कटौती के कोई संकेत हैं? निवेशक इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
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