Science News: अंतरिक्ष के ऐतिहासिक सफर पर निकलीं सुनीता विलियम्स, 2 असफल प्रयासों के बाद मिली सफलता।
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भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष के ऐतिहासिक सफर पर निकल चुकी हैं. दो असफल प्रयासों के बाद इस अंतरिक्ष उड़ान को आज बुधवार की शाम तीसरे प्रयास में सफलता मिली.
भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष के ऐतिहासिक सफर पर निकल चुकी हैं. दो असफल प्रयासों के बाद इस अंतरिक्ष उड़ान को आज बुधवार की शाम तीसरे प्रयास में सफलता मिली. स्टारलाइनर स्पेसक्रॉफ्ट को कई तकनीकी समस्याओं के कारण लॉन्च से कुछ ही मिनट पहले दो बार रोकना पड़ा था.
इससे पहले सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष भेजने के लिए 1 जून 2024 का दिन निर्धारित किया गया था. टेकऑफ का काउंटडाउन से लगभग चार मिनट से भी कम समय पहले इसे कैंसिल करना पड़ा था. क्योंकि ग्राउंड कंप्यूटर में से एक ने रॉकेट में तकनीकी समस्या के बारे में सूचित किया था. यूएलए ने बताया कि तकनीकी समस्या को दूर कर इस मिशन को फिर से शुरू किया गया.
इस स्पेस मिशन को शुरू करने का पहला प्रयास 7 मई, 2024 को किया गया था. तब वाल्व से जुड़ी तकनीकी गड़बड़ी सामने आई थी. जिसके कारण टेकऑफ के कुछ घंटे पहले इस मिशन को स्थगित कर दिया गया था. तब नासा ने एक बयान में कहा था कि बोइंग, यूनाइटेड लॉन्च अलायंस और नासा ने एटलस वी रॉकेट के सेंटॉर दूसरे चरण पर संदिग्ध ऑक्सीजन रिलीफ वाल्व के कारण 7 मई (भारत समय) को पिछले लॉन्च अवसर को रद्द कर दिया गया.
दो लॉन्च कैंसिल होने के कारण स्टारलाइनर के इस मिशन में देरी हुई और बजट से कहीं ज़्यादा खर्च भी हो रहा था. इस मिशन से जुड़ी खास बात यह है कि स्पेस मिशन पर जाने वाली सुनीता विलियम्स महिलाओं के लिए पोस्टर गर्ल बन चुकी हैं. भारतीय मूल की विलियम्स के लिए यह तीसरी अंतरिक्ष यात्रा होगी.
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में 322 दिन बिताकर रिकॉर्ड बनाया था. इससे पहले अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा वक्त बिताने का रिकॉर्ड पैगी व्हिटसन नाम था. सुनीता विलियम्स ने इस बार एक नए स्पेस क्रॉफ्ट पर पहले चालक दल के मिशन पर उड़ान भरने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास रच दिया. विलियम्स की पहली अंतरिक्ष यात्रा 9 दिसंबर, 2006 से 22 जून, 2007 तक थी.
अपनी तीसरी अंतरिक्ष यात्रा से पहले, 59 वर्षीय विलियम्स ने थोड़ी घबराहट की बात स्वीकार की. जिसके बाद उन्होंने कहा कि नए अंतरिक्ष यान को उड़ाने में कोई घबराहट नहीं है. जिसे उन्होंने नासा और बोइंग के इंजीनियरों के साथ मिलकर डिजाइन करने में मदद की थी. उन्होंने कहा कि जब मैं अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचूंगी, तो यह घर वापसी जैसा होगा. इससे पहले जब वे अंतरिक्ष यात्रा पर निकली थीं तो अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति और भगवद् गीता की एक प्रति लेकर गई थीं.
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