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    April 21, 2025

    ‘सर पर लाल टोपी रूसी…’ 70 साल पुराने दोस्त से मुलाकात, मोदी-पुतिन की बातों से क्या है उम्मीदें, चीन की बढ़ी धड़कन!

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    तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी सबसे पहले पुराने दोस्त से मिलने रूस पहुंच गए. भारत और रूस की 70 साल पुरानी दोस्ती को नया रंग देने दोनों नेता मॉस्को में मिलेंगे, लेकिन पीएम मोदी की रूस यात्रा ने चीन की बेचैनी बढ़ा दी है,. आइए समझते हैं भारत और रूस की दोस्ती कैसी है, कितना कारोबार है और क्यों चीन की टेंशन बढ़ी हुई है ?

    साल 1955 में दिग्गज अभिनेता राज कपूर की एक फिल्म आई थी ‘श्री 420’. इस फिल्म का एक गाना मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिशतानी, सर पे लाल टोपी रूसी…काफी हिट हुआ था. इस गीत ने बता दिया था कि भारत और रूस की दोस्ती कितनी पक्की और कितनी पुरानी है. जब भी भारत को जरूरत पड़ी दोस्त रूस हमेशा उससे साथ खड़ा रहा, वहीं जब भी रूस की आलोचना और उसपर पश्चिमी देशों की ओर से प्रतिबंध लगाए गए भारत ने उसका साथ दिया. अब जब पांच साल बाद प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार सत्ता में आने के बाद अपने सबसे पहले विदेश दौरे पर रूस पहुंचे तो एक बार फिर से भारत और रूस की दोस्ती की चर्चा होने लगी. साल 2014 से लेकर अब तक यानी बीते 10 सालों में मोदी और पुतिन की ये 17वीं मुलाकात होगी. इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं, क्योंकि तीसरी बात सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने अपने पहले द्विपक्षीय यात्रा के लिए रूस को चुना।

    भारत-रूस की दोस्ती कितनी पुरानी ?
    भारत और रूस एक दूसरे के भरोसेमंद साथी के तौर पर जाने जाते हैं. दोनों देशों के बीच संबंधों 1950 के दशक में मजबूत होने लगे. शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों जो अपनी-अपनी राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे थे उन्होंने एक दूसरे का समर्थन किया. 1971 की जंग में रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बनकर उभरा. दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों की मजबूती समय के साथ बढ़ती रही. यूक्रेन के साथ जंग के बाद से जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, तो भारत ने संतुलित रवैया अपनाते हुए रूस के लिए अपने भरोसे को दिखाया. जब रूस से तेल कारोबार पर प्रतिबंध का असर पड़ा, भारत ने रूस से रिकॉर्ड स्तर पर तेल की खरीदारी की.

    भारत और रूस के बीच कितना है कारोबार?
    भारत और रूस के बीच सालों से कारोबारिक संबंध है. वित्त वर्ष 2023-2024 में भारत और रूस के द्विपक्षीय व्यापार में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. दोनों देशों के बीच करीब 65.70 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. जिसमें से सबसे बड़ी हिस्सेदारी कच्चे तेल और हथियारों की रही. इस दौरान भारत ने रूस को करीब 4 अरब डॉलर का निर्यात किया तो वहीं रूस से 60 अरब डॉलर का सामान आयात किया है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार साल 2021 तक सिर्फ 10 अरब डॉलर का था, लेकिन बीते तीन-चार सालों में इसमें बड़ी तेजी आई है.

    रूस से कितना तेल खरीदता है भारत ?
    रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए. रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की वजह से उसके तेल के कारोबार पर असर पड़ा. इस बीच भारत पर भी लगातार दबाव बनाने की कोशिश होती रही कि वो रूस के साथ रिश्ते को सीमित रखे, लेकिन भारत अपनी विदेश नीतियों को लेकर मजबूती के साथ खड़ा रहा और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बीच रूस से रिकॉर्ड स्तर पर कच्चे तेल की आयात की. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में भारत ने रूस से 16.6 लाख बैरल कच्चे तेल की प्रति दिन खरीदा. एक साल पहले ये आंकड़ा सिर्फ 6.51 लाख बैरल प्रति दिन का था. रूस भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा सप्लायर है. वहीं रूस के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है.

    भारत-रूस के बीच किन-किन चीजों का कारोबार?
    कच्चे तेल के अलावा भारत और रूस के बीच हथियारों और डिफेंस सिस्टम की सबसे ज्यादा डील हुई है. भारत से रूस से राडार, संचार उपकरण, हथियारलड़ाकू विमान, फाइजर जेट, हेलीकॉप्टर, टैंक, विमानवाहक पोत, पनडुब्बियां, मिसाइलें, रॉकेट लॉन्च जैसे डिफेंस उपकरण खरीदे हैं. भारत इन सबके अलावा कोयला, उर्वरक, वनस्पति तेल आदि खरीदता है. वहीं रूस भारत से कृषि और उससे संबंधित चीजें जैसे उर्वरक, चाय-कॉफी, दाले, हरी सब्जियां, लोहा, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि बेचता है. बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई करते रूस पहुंचते हैं. विदेश मंत्रालये के आकंड़ों के मुताबिक रूस में 62825 भारतीय रहते हैं., जिसमें से 15 हजार छात्र हैं. भारतीय कंपनियों ने रूस में अच्छा-खासा निवेश किया है, ONGC, कॉर्मिशियल बैंक ऑफ इंडिया, फार्मास्युटिक कंपनियां जैसे डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, कैडिला फार्मास्यूटिकल्स, टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स, सन फार्मास्यूटिकल्स जैसी कई कंपनियों ने वहां निवेश किया है.

    चीन से एंट्री से बिगड़ रही बात
    भारत और रूस की भरोसेमंद वाली दोस्ती में चीन की एंट्री से थोड़ी बेचैनी बढ़ने लगी है. चीन और रूस एससीओ के अहम देश हैं. रूसी राष्ट्रपित पुतिन चीन राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के काफी करीब हो रहे हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने अपना पहला विदेश दौरा भी चीन का किया था. इस दौरे से रूस की चीन पर निर्भरता दिखी, जो भारत के लिए निगाह बनाए रखने वाला है. रूस और चीन के गहराते रिश्ते भारत को असहज कर रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी की इस मुलाकात से रूस और भारत के रिश्तों में मजबूती और कारोबारी रिश्ते और मजबूत होंगे.

    खुलेंगे भारत-रूस के बीच कारोबार के नए रास्ते
    यूं तो मोदी और पुतिन के बीच 16 बार मुलाकात हो चुकी है और दोनों ही नेता 17वीं बार एक-दूसरे से मिलने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों में और मजबूती आएगी. रूस पर यूरोप और अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह से बैंकिंग चुनौतियां बढ़ी है, जिसका हल वो भारत से निकालने की कोशिश कर सकता है. वहीं भारत अपनी बढ़ती एनर्जी जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से तेल और एनर्जी की के लिए डील कर सकता है. दोनों देशों के बीच इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बनाने पर सहमति बन सकती है. इसके अलावा चेन्‍नई-व्‍लादिवोस्‍तोक मेरिटाइम रूट और नॉर्थ सी कॉरिडोर बनाने पर भी भारत और रूस के बीच डील हो सकती है.

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