सरकारी नौकरी के लिए शुरू में जारी नियम नहीं बदले जा सकते: सुप्रीम कोर्ट।
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सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के नियमों में बीच में तब तक बदलाव नहीं किया जा सकता जब तक कि ऐसा निर्धारित न किया गया हो.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भर्ती की प्रकिया में बीच में नियम नहीं बदले जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता यानि सरकारी नौकरी में भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में जो नियम दिए जाते हैं उनमें बाद में बदलाव नहीं किया जा सकता है. मामला राजस्थान हाईकोर्ट में 2013 में अनुवादकों के पदों पर भर्ती से जुड़ा है. इसमे भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था. जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें प्रक्रिया के बीच मे ही बताया गया कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, जिन्होंने अपनी परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत नंबर हासिल किए होंगे.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले निर्धारित किए जा चुके नियमों से बीच में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि चयन नियम मनमाने नहीं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप होने चाहिए.
उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से कहा कि पारदर्शिता और गैर-भेदभाव सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया की पहचान होनी चाहिए तथा बीच में नियमों में बदलाव करके उम्मीदवारों को हैरान परेशान नहीं किया जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के नियमों में बीच में तब तक बदलाव नहीं किया जा सकता जब तक कि ऐसा निर्धारित न किया गया हो.
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