नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 24, 2025

    रिजर्व बैंक ने दो साल तक ‘न्यू इंडिया’ में अराजकता को नजरअंदाज किया; भानु दम्पति के कुकृत्यों की जांच के बावजूद अभी भी कार्यवाही हो रही है!

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    घोटाले में घिरे ‘न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक’ पर कई तरह की अनियमितताएं, बॉलीवुड सितारों और राजनीतिक नेताओं द्वारा धन उगाही, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी, रियल एस्टेट क्षेत्र को अत्यधिक ऋण देना, फर्जी खाते, दलाली, कमीशन, शाखाओं की साज-सज्जा पर करोड़ों का अनावश्यक व्यय और एक परिवार के लाभ के लिए बैंक के संसाधनों का दुरुपयोग आदि के आरोप लगे हैं।

    मुंबई: घोटाले से प्रभावित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के खिलाफ अनियमितताओं, बॉलीवुड सितारों और राजनीतिक नेताओं द्वारा धन उगाही, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी, रियल एस्टेट क्षेत्र को अत्यधिक ऋण देना, फर्जी खाते, दलाली, कमीशन, शाखा सजावट पर करोड़ों का अनावश्यक व्यय और एक परिवार के लाभ के लिए बैंक संसाधनों का दुरुपयोग आदि के आरोप लगे हैं। हालाँकि, ये आरोप अभी प्रकाश में नहीं आए हैं, बल्कि ये रिजर्व बैंक के अधिकारियों द्वारा दो वर्ष पहले दो बार किए गए निरीक्षणों के निष्कर्ष हैं। अब सवाल यह है कि ‘लोकसत्ता’ द्वारा प्राप्त गोपनीय जांच रिपोर्ट में इन गंभीर टिप्पणियों को क्यों, कैसे और किन कारणों से नजरअंदाज किया गया?

    ये कुकृत्य, जिनके कारण ‘न्यू इंडिया’ का पतन हुआ, रिजर्व बैंक के पूर्व चेयरमैन हीरेन भानु, गौरी भानु तथा उनके कुछ करीबी अधिकारियों की देखरेख में दो वर्षों तक बिना रोक-टोक जारी रहे। अब चूंकि ये सभी लोग विदेश भाग गए हैं, इसलिए जांच एजेंसियों के लिए उन तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। रिजर्व बैंक की 2023 की दूसरी निरीक्षण रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक के पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस) को सिफारिश की गई थी कि बैंक की नाजुक वित्तीय स्थिति को देखते हुए जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए तत्काल और कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। लेकिन वास्तव में, तत्कालीन प्रभावी ‘एसएएफ’ निगरानी ढांचे को जारी रखने के अलावा कुछ नहीं हुआ। हीरेन भानु बैंक के पूर्व अध्यक्ष हैं, जिन्हें नियामकों के निर्देश पर 10 महीने पहले पद छोड़ना पड़ा था, जबकि गौरी भानु निदेशक मंडल की बर्खास्तगी तक बैंक की उपाध्यक्ष थीं।

    रिजर्व बैंक की कथित ‘निगरानी’ में चल रही धोखाधड़ी का दायरा हाल ही में उजागर हुए 122 करोड़ रुपये से कहीं अधिक होने की संभावना है। 31 मार्च, 2023 तक बैंक के कुल 1,329 करोड़ रुपये के ऋण वितरण में बड़े कर्जदारों (संख्या में लगभग 50) की हिस्सेदारी लगभग आधी यानी 656.36 करोड़ रुपये थी। इनमें से 85 प्रतिशत ऋण ‘एनपीए’ हैं, अर्थात उनकी वसूली पूरी तरह से लंबित है। इनमें से रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों पर करीब 418 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। जिसमें मोटवानी समूह की कंपनियां भी शामिल हैं, जिनमें गौरी भानु स्वयं निदेशक हैं। यह तो सिर्फ एक उदाहरण है, और गोपनीय जांच रिपोर्ट में अवैध गतिविधियों के कई उदाहरण हैं, जिनसे बैंक को खतरा था और जिनमें भानु दम्पति भी शामिल थे।

    न्यू इंडिया के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने सबसे पहले 29 जनवरी 2020 को रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर बैंक में अनियमितताओं का ब्यौरा दिया था, ताकि एक और ‘पीएमसी बैंक घोटाला’ रोका जा सके। इस पत्र पर गौर करने पर अब यह स्पष्ट हो गया है कि रिजर्व बैंक द्वारा की गई जांच से पता चला है कि पत्र की अधिकांश बातें सत्य हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि रिजर्व बैंक ने स्वयं निरीक्षण अधिकारियों द्वारा की गई सिफारिशों और कार्रवाई के लिए तत्काल हस्तक्षेप की अपेक्षा को नजरअंदाज कर दिया।

    अराजकता, लूट का साम्राज्य
    क्लिफोर्ड मार्टिस, ए. एल क्वाड्रोस और रमेश वेकारिया जैसे श्रमिक नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। भानु दम्पति और उनकी पसंद के दो-तीन प्रबंधक बैंक को नियंत्रित करते थे। निदेशक मंडल की बैठकें केवल उपचार के रूप में आयोजित की जाती थीं। विरोध और असहमति बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। यह इतिहास में भी दर्ज नहीं किया गया। न्यू इंडिया बैंक के पूर्व निदेशक फ्रेडरिक डिसा ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि न केवल पूर्व श्रम सहकारी बैंक का नाम बदलकर न्यू इंडिया कर दिया गया, बल्कि समाजवादी विचारधारा भी समाप्त हो गई तथा अंधराष्ट्रवाद और लूटपाट शुरू हो गई।

    मनोरंजन के लिए बैंक का पैसा…
    श्रमिकों द्वारा शुरू किये गये इस बैंक ने छोटे और बड़े ऋण वितरित करना बंद कर दिया। बैंक को दिवालिया बनाने के लिए भानु दम्पति ने अपने लोगों के बीच बड़े पैमाने पर ऋण बांटने और उससे मुनाफा कमाने का धंधा शुरू किया, ऐसा बैंक के सदस्य और वरिष्ठ समाजवादी कार्यकर्ता सच्चिदानंद शेट्टी ने बताया, जो बैंक की स्थापना के समय से ही इसके गठन में शामिल रहे हैं। मीडिया सलाहकार, प्रभावशाली व्यक्ति, नौकरशाह, राजनीतिक नेता प्रभाव का घेरा थे और यह उनका सुरक्षा कवच था। भानु दम्पति बैंक से मिले पैसों से इस समूह के मनोरंजन के लिए विशेष व्यवस्था करते थे।

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    10:08 AM