JEE मेन में रिकॉर्ड 12 गलतियां, एनटीए की क्रेडेबिलिटी पर असर.
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2022 के पहले और दूसरे सेशन में क्रमशः चार और छह सवाल हटाए गए थे. 2021 की फरवरी और मार्च की परीक्षाओं में कोई सवाल नहीं हटाया गया था.
जेईई-मेन परीक्षा में इस बार रिकॉर्ड 12 सवालों को गलत होने की वजह से फाइनल आंसर-की से हटाना पड़ा. इतने ज़्यादा सवाल पहले कभी नहीं हटाए गए. इतने बड़े पैमाने पर होने वाली इस परीक्षा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की निष्पक्ष और पारदर्शिता से कराने की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
भले ही जेईई-मेन परीक्षा में सवालों की संख्या 90 से घटाकर 75 कर दी गई, लेकिन गड़बड़ियों की संख्या बहुत बढ़ गई, लगभग 1.6 फीसदी सवाल गलत निकले, जो कि पहले 0.6 फीसदी के आसपास होता था. एनटीए में पारदर्शिता की कमी, हटाए गए प्रश्नों की संख्या के बारे में उसके दावों में विसंगतियां, “अंडर-रिपोर्टिंग” का संदेह पैदा कर रही हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब एनटीए के डायरेक्टर जनरल पी.एस. खरोला से सवाल पूछे तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए से जवाब मांगा तो उन्होंने जो जवाब भेजा उसमें सिलेबस में गड़बड़ी की बात को ही नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे एनटीए की जवाबदेही पर और भी शक पैदा होता है.
जेईई-मेन परीक्षा में आउट ऑफ सिलेबस सवाल आने से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की विश्वसनीयता और भी कम हो गई है. पिछले सालों की आंसर-की देखने से पता चलता है कि एनटीए जो दावे करता है वो सच नहीं हैं. पहले के सालों में कई बार ऐसी आंसर-की आई हैं जिनमें कोई गलती नहीं थी. 2025 से पहले, सबसे ज़्यादा सवाल जो गलत होने की वजह से हटाए गए थे, वो 2024 के पहले सेशन में छह और दूसरे सेशन में चार थे.
एनटीए ने कहा कि 2023, 2024 और 2025 के पहले सेशन में छह-छह सवाल गलत पाए गए, लेकिन 2025 की आधिकारिक आंसर-की में 12 सवाल हटाए गए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के एनालिसिस में पाया गया कि 2023 के पहले सेशन में पांच सवाल हटाए गए थे, जबकि 2022 के पहले और दूसरे सेशन में क्रमशः चार और छह सवाल हटाए गए थे.
2021 की फरवरी और मार्च की परीक्षाओं में कोई सवाल नहीं हटाया गया था. इसके बावजूद, एनटीए ने अपना बचाव करते हुए कहा, “इस साल चुनौती देने वालों की कम संख्या और कम गलतियां इस बात को साबित करती हैं कि एनटीए देशभर में इंजीनियरिंग के उम्मीदवारों के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और एरर फ्री एग्जाम प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
एक्पर्ट्स का कहना है कि लैंग्वेज ट्रांसलेशन में गड़बड़ियां भी परीक्षा की विश्वसनीयता को और कम करती हैं. फाइनल आंसर-की में कम से कम दो ट्रांसलेशन की गलतियां मिलीं, जिससे स्टूडेंट्स में भ्रम पैदा हुआ. बाद में गलत जवाबों को सही बताया गया, जिससे और भी गड़बड़ियां हुईं. हिंदी और गुजराती में परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के पास दो ऑप्शन थे, जबकि अन्य स्टूडेंट्स के पास केवल एक, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठता है. सिलेबस से बाहर के सवाल आने से एनटीए की विश्वसनीयता पर पहले से ही बना संदेह और गहरा हो गया है.
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