RBI का बड़ा ऐलान, बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए डाले जाएंगे 40 हजार करोड़ रुपये कैश।
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बैंकिंग सिस्टम में 40 हजार करोड़ रुपये इन्फ्यूज करने के लिए आरबीआई 17 अप्रैल को अलग-अलग परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियाें को खरीदेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वह 17 अप्रैल को अलग-अलग परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियां खरीदेगा, जिनकी कुल कीमत 40,000 करोड़ रुपये होगी. बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के मकसद से चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिभूतियों की यह तीसरी ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) खरीद होगी. 20,000 करोड़ रुपये की पहली खरीद 3 अप्रैल को की गई थी, जबकि इतनी ही राशि की दूसरी खरीद 8 अप्रैल को की गई थी.
RBI ने बैंकिंग सिस्टम में डाले करीब 7 लाख करोड़
आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी 2025 से अब तक रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में करीब 7 लाख करोड़ रुपये डाले हैं. लिक्विडिटी बढ़ाने के साथ ही रिजर्व बैंक ने फरवरी और अप्रैल में दो बार रेपो रेट में कटौती भी की. इसके चलते बैंक और NBFCs के लोन पर इंटरेस्ट रेट कम हुआ है. बता दें कि बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए आरबीआई ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO),डॉलर-रुपया स्वैप और वेरिएबल रेपो रेट (VRR) जैसे कई तरीके अपनाता है.
क्या है ओपन मार्केट ऑपरेशन?
इस पॉलिसी के तहत आरबीआई मनी सप्लाई को कंट्रोल करने के लिए बॉन्ड, सिक्योरिटीज जैसे सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदती है या बेचती है. बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को बढ़ाने और अर्थव्यस्था को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदती है, जिससे बैंक के पास पैसा आता है. बैंक अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित होंगे. इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
इसी तरह से इकोनॉमी में एक्सेस लिक्विडिटी को कम करने के लिए आरबीआई सरकारी प्रतिभूतियों को बेच देता है, जिससे बैंकों के पास लोन देने की कैपेसिटी कम हो जाएगी और इस तरह से मार्केट में पैसा कम पहुंचेगा. ओपन मार्केट ऑपरेशन एक ऐसा टूल है, जिसका इस्तेमाल केंद्रीय बैंक महंगाई, ब्याज दरों और मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए करती है.
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