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    May 9, 2025

    Railway Ministry: पुरबियों को रेल मंत्रालय ही क्यों भाता है? नीतीश कुमार ने इस बार भी रख दी डिमांड.

    1 min read
    😊

    भारतीय रेलवे विश्व का चौथा सबसे बड़ा और एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. केंद्र की मोदी सरकार 3.0 में भी रेल मंत्रालय को लेकर एनडीए (NDA) के बिहार से आने वाले सहयोगी दलों के बीच खींचतान की खबरे हैं. ऐसे में यहां, हम सामान्य जागरूकता के लिए भारत के अब तक के सभी रेलमंत्रियों की सूची दे रहे हैं.

    भारतीय रेलवे देश की लाइफ लाइन है. यही वजह है कि चाहे पूर्ण बहुमत वाली सरकारें हो या गठबंधन धर्म से चलने वाली सरकारें हर दौर में सत्ता पर बैठा प्रमुख दल रेल मंत्रालय को अपने पास रखना चाहता है. खासकर बीते कुछ दशकों की बात करें तो रेलवे पुरबिया नेताओं का फेवरेट मंत्रालय रहा है. पुरबिया खासकर यूपी, बिहार और बंगाल के नेता इसे अपने पास ही रखना चाहते हैं. मोदी 3.0 में भी नई सरकार के गठन से पहले एनडीए के घटक दलों में रेलवे को लेकर खींचतान की खबरें आ रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि रेलवे इतना महत्वपूर्ण क्यों है.

    रेलवे और पुरबिया नेताओं का कनेक्शन….
    भारतीय रेलवे कई हिस्सों में बंटकर जैसे पूर्वोत्तर रेलवे, मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे जैसी कई शाखाओं के बीच समन्वय करके पूरे भारत को एक धागे में पिरोता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेलवे में नौकरी और काम यह दो ऐसी चीजें हैं, जो नेताओं को अपनी ओर खींचती हैं. कहा जाता है कि यूरोप के कई देशों की जितनी आबादी है उससे ज्यादा लोग भारत में एक वक्त पर ट्रेन में सफर कर रहे होते हैं.

    रेलवे रोजाना लाखों लोगों से जुड़ता है. ऐसे में नेताओं को लगता है कि इस मंत्रालय के जरिए वो अपनी पार्टी का देश-प्रदेश की जनता से बढ़िया कनेक्शन स्थापित कर सकते हैं. इसी वजह से पीएम मोदी 2024 की अपनी तीसरी सरकार में भी रेलवे मंत्रालय को अपने पास रखना चाहेंगे.

    पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के कार्यकाल में नीतीश कुमार रेल मंत्री रह चुके हैं. इसलिए माना जा रहा है कि जेडीयू ने इस बार रेलवे मंत्रालय पर अपना दावा पेश किया है. चूंकि एनडीए की स्कोर टैली में जेडीयू नेता नीतीश कुमार संख्या बल में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है ऐसे में उनका दावा खारिज करना आसान नहीं होगा.

    सूत्रों के मुताबिक कहा तो ये भी जा रहा है कि एलजेपी के नेता चिराग पासवान भले ही खुद को गाहे बगाहे मोदी का हनुमान बताते आए हों, खुद उनकी निगाह भी रेलवे मिनिस्ट्री पर है. इसी वजह ये हो सकती है कि चिराग के पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान रेल मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने तो बिहार के हाजीपुर में रेलवे का एक जोन ही बनवा दिया था. ऐसे में भले ही कमजोर आधार से ही सही लेकिन चिराग पासवान भी रेलवे को लेकर उम्मीद से हैं.

    बिहार, यूपी और बंगाल से कितने रेल मंत्री?
    सबसे पहले बात बिहार की तो साल 1947 से लेकर 2023 तक कुल आठ रेल मंत्री बिहार से हुए हैं. इनमें बाबू जगजीवन राम, राम सुभग सिंह, ललित नारायण मिश्र, केदार पांडेय, जॉर्ज फर्नाडीस, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और लालू यादव शामिल रहे हैं. यूपीए की सरकार के दौर में लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के बीच रेल मंत्रालय लेने को लेकर जमकर खींचतान हुई थी लेकिन तब लालू बाजी मारने में कामयाब हो गए थे.

    दरअसल लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2004 में रेल मंत्री बने थे. उनके कार्यकाल की उपलब्धि को रेल बजट की प्रस्तुति के दौरान उजागर करने का दावा किया गया था, जब उन्होंने 20,000 करोड़ रुपये के लाभ की घोषणा की थी. बताया ये भी गया था कि यह उपलब्धि बिना यात्री किराए और माल भाड़े में वृद्धि के संभव हो पाई.

    उसके बाद लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में भारतीय रेलवे ने 90 हजार करोड़ की कमाई की. लेकिन साल 2009 के बाद जब ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं तो उन्होंने श्वेत पत्र जारी कर बताया था कि लालू के कार्यकाल में औसत से भी कम मुनाफा हुआ. इसके बाद लालू यादव और ममता बनर्जी के बीच जमकर तू-तू-मैं-मैं हुई थी.

    पश्चिम बंगाल की बात करें तो वर्तमान मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की भी रेलवे के लिए प्रेम कम नहीं रहा है. वो खुद रेल मंत्री रह चुकी हैं. उन्हीं की पार्टी के नेता दिनेश त्रिवेदी और मुकुल रॉय भी रेल मंत्री रह चुके हैं. साफ है कि बंगाल में कई दशकों तक एकछत्र राज करने वाले लेफ्ट का किला ढहाने वाली ममता बनर्जी ने भी जब केंद्र सरकार की राजनीति की तो उन्होंने भी रेलवे को अपने पास ही रखा. इसी तरह से पश्चिम बंगाल से ही एबीए गनी खान चौधरी (कांग्रेस) को भी रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी.

    इसी तरह से यूपी की बात करें तो आजादी के बाद से यूपी के भी कई नेताओं को रेल मंत्री की जिम्मेदारी निभाने का मौका मिला. लाल बहादुर शास्त्री से लेकर बाबू जगजीवन राम और कमलापति त्रिपाठी और जनेश्वर मिश्रा जैसे दिग्गजों के पास रेल मंत्रालय रह चुका है.

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