नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 24, 2025

    PM मोदी के सामने राहुल गांधी को मिली ऐसी ‘पावर’, ना बनते नेता प्रतिपक्ष तो हो जाती बड़ी चूक.

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    राहुल गांधी को विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद को सरकार यानी पीएम मोदी के सामने के बड़ी पावर मिल गई है, क्योंकि नेता प्रतिपक्ष को कई अधिकार मिलते हैं और यह पद काफी शक्तिशाली होता है. अगर राहुल गांधी इस पद को ना लेते तो एक बड़ी राजनीतिक चूक कर जाते.

    राहुल गांधी को विपक्ष का नेता चुन लिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में ये फैसला हुआ है. 10 साल बाद ये मौका आया है, जब विपक्ष के नेता की कुर्सी खाली नहीं रहेगी. 200 से ज्यादा सीटें जीतने वाले विपक्ष का एक नेता इस बार सरकार के सामने उसकी बात रखेगा. ये मौका अब राहुल गांधी को मिला है. इसके साथ ही राहुल गांधी को सरकार यानी पीएम मोदी के सामने के बड़ी पावर मिल गई है, क्योंकि नेता प्रतिपक्ष को कई अधिकार मिलते हैं और यह पद काफी शक्तिशाली होता है. अगर राहुल गांधी इस पद को ना लेते तो एक बड़ी राजनीतिक चूक कर जाते.

    सदन में प्रधानमंत्री के बराबर तरजीह
    लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को सदन के नेता यानी प्रधानमंत्री के बराबर ही तरजीह मिलती है. नेता प्रतिपक्ष का दर्जा एक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. कैबिनेट मंत्री की तरह ही नेता प्रतिपक्ष को सैलरी, अन्य भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष को हर महीने 3.30 लाख रुपये, एक हजार का सत्कार भत्ता, कैबिनेट मंत्री के लेवल का घर, कार और ड्राइवर के अलावा सुरक्षा सुविधाएं मिलती हैं. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष को करीब 14 स्टाफ भी मिलते हैं, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाती है.

    सदन में नहीं होती बोलने की कोई समय सीमा
    सदन के भीत नेता सदन यानी प्रधानमंत्री की तरह ही नेता प्रतिपक्ष के बोलने की कोई समय सीमा नहीं होती. इसके साथ ही अगर सदन में कई सदस्य अलग-अलग बातें बोल रहे हों या हंगामा कर रहे हो, लेकिन इस दौरान नेता प्रतिपक्ष खड़े हो जाएं तो स्पीकर बाकी सबको अनसुना कर नेता प्रतिपक्ष को हस्तक्षेप करने की अनुमति देते हैं. नेता प्रतिपक्ष के पास बिना नोटिस दिए सदन में कभी भी हस्तक्षेप करने का अधिकार होता है, जबकि बाकी सदस्य ऐसा नहीं कर सकते हैं.

    पीएम की अध्यक्षता वाली कई कमेटी में होते हैं नेता प्रतिपक्ष
    संसद में विभित्र कक्षों के बंटवारे के समय लोकसभा सचिवालय नेता प्रतिपक्ष की राय लेता है. इसके साथ ही सदन के भीतर प्रतिपक्ष के अगली और दूसरी लाइन में कौन-कौन बैठेगा, इस बारे में भी नेता प्रतिपक्ष से राय ली जाती है. नेता प्रतिपक्ष को चुनाव आयुक्तों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में शामिल किया जाता है. आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बनाया जाता है और इस समिति के पास पीएम तक को तलब करने का अधिकार होता है.

    पिछले 10 साल से लोकसभा में क्यों नहीं थे नेता प्रतिपक्ष?
    लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद पान के लिए किसी पार्टी के पास 10 प्रतिशत यानी 55 सीटें चाहिए, लेकिन साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी इतनी संख्या नहीं मिली थी. इस वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद 10 सालों तक खाली रहा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी और मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं था. वहीं, 2019 के चुनाव में 52 सीट जीतने वाले कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी चुने गए थे, लेकि उन्हें भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला था.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    2:07 AM