श्रीलंका में राष्ट्रपति की पार्टी NPP को प्रचंड बहुमत, जानिए जीत की इनसाइड स्टोरी।
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देश में अगस्त 2025 में आम चुनाव होने थे, लेकिन सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) ने संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव कराने के आदेश दे दिए, उनके इस फैसले को एक अहम रणनीति माना जा रहा था.
श्रीलंका के निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित आधिकारिक नतीजों के मुताबिक, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) की पार्टी ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ (NPP) ने बृहस्पतिवार को संसद में बहुमत हासिल कर लिया. श्रीलंका के निर्वाचन आयोग (Election commission) की वेबसाइट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मलीमावा (कम्पास) चिह्न के तहत चुनाव लड़ने वाली एनपीपी ने 225 सदस्यीय संसद में 113 सीटें हासिल कीं. एनपीपी को 68 लाख यानी कुल वोटिंग के 61 फीसदी वोट मिले हैं. एनपीपी की इस धमाकेदार जीत की बात करें तो पार्टी अपने प्रतिद्वंद्वी दलों पर शुरुआत से ही बड़ी बढ़त बनाए थी. इस हिसाब से नेशनल पीपुल्स पावर (national people’s power) पार्टी दो तिहाई बहुमत (NPP secures parliamentary majority) पाने की राह पर है.
काम आई रणनीति
राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके संसद में बहुमत हासिल करने के प्रयास में जुटे हैं, ताकि वो अपनी सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके. अभी दो महीने पहले ही श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे जिसमें वामपंथी नेता अनुरा दिसानायके के नेतृत्व वाले NPP गठबंधन की जीत हुई थी. दरअसल श्रीलंका की संसद में अनुरा दिसानायके की पार्टी के पास बहुमत नहीं था, उनके पास मात्र 3 सांसद थे. ऐसे में आर्थिक बदलाव का जो वादा उन्होंने जनता से किया था उसे पूरा करना नामुमकिन था. लिहाजा नए राष्ट्रपति ने संसदीय चुनाव कराने का फैसला किया. क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में दिसानायके की पार्टी को जनता भारी समर्थन मिला था, ऐसे में उनकी उम्मीद के मुताबिक नतीजे आने से उन्होंने खुद को श्रीलंका के वेटरन लीडर्स की लिस्ट में शामिल करा लिया है.
श्रीलंका में दशकों से राज करने वाली वंशवादी राजनीति को आड़े हाथों लेने वाले अनुरा दिसानायके ने देश को ‘घातक’ वित्तीय संकट से उबारने के लिए बदलाव का वायदा करते हुए सत्ता हासिल की है. उनके वादे पर लोगों ने भरोसा किया है और नतीजों से साफ है कि मतदाताओं ने भ्रष्टाचार से लड़ने और एक नाजुक आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के उनकी पार्टी को जमकर वोट दिया.
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