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    April 22, 2025

    PM मोदी ने अमेरिका में कर ली ऐसी डील कि बेचैन हो उठा चीन, समझिए भारत के लिए क्यों जरूरी है सेमीकंडक्टर, चिप के लिए कितने तैयार हैं हम.

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    भारत और अमेरिका के सहयोग से पहला राष्ट्रीय सुरक्षा ‘सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट’ बनाने को लेकर डील हुई है. ये चिप प्लांट इसलिए भी खास है, क्योंकि यह पहली बार है, जब अमेरिकी सेना भारत के साथ हाई टेक्‍नोलॉजी के लिए साझेदारी कर रही है.

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका दौरे पर है. यूएस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया. अमेरिका दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी ने गूगल, एनवीडिया जैसी दिग्गज टेक कंपनियों के सीईओ से भी मुलाकात की. न्यूयॉर्क में भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए पीएम ने वो बात कह दी, जिसे सुनकर चीन की बेचैनी बढ़ गई होगी.

    भारत-अमेरिका की दोस्ती, चीन बेचैन
    वैसे ही अमेरिका और भारत की दोस्ती चीन की सिरदर्द को बढ़ा रहा है. अब पीएम मोदी ने जो बात कह दी, उससे ड्रैगन की खलबली बढ़नी तय है. दरअसल न्यूयार्क में पीएम मोदी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब आप अमेरिका में भी मेड इन इंडिया चिप देखेंगे. इतना ही नहीं भारत और अमेरिका के सहयोग से पहला राष्ट्रीय सुरक्षा ‘सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट’ बनाने को लेकर डील हुई है. ये चिप प्लांट इसलिए भी खास है, क्योंकि यह पहली बार है, जब अमेरिकी सेना भारत के साथ हाई टेक्‍नोलॉजी के लिए साझेदारी कर रही है.

    सेमीकंडक्टर में चीन की दादागिरी को चुनौती
    सेमीकंडक्टर किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिल है. चिप मेकिंग में चीन और ताइवान जैसे देशों का दबदबा है. चीन अपने इस वर्चस्व को खूब फायदा भी उठाता है. कोविड के दौरान पूरे विश्व को सेमीकंडक्टर की इस कमी से जूझना पड़ा. अमेरिका चीन की इस दादागिरी को खत्म करना चाहता है और इसलिए भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को सपोर्ट भी कर रहा है. चीन सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा निर्यातक है. दुनियाभर में चिप का कारोबार कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि साल 2025 भारत इसपर 10 अरब डॉलर, अमेरिका 208 और चीन 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेगा. भारत के इस क्षेत्र में उतरने से चीन को चुनौती मिलनी तय है.

    भारत के लिए सेमीकंडक्टर के मायने
    भारत समेत दुनिया के कई बड़े देश सेमीकंडक्टर के लिए आयात पर निर्भर है. कुछ चुनिंदा कंपनियों ही हैं, जो पूरे विश्व को सेमीकंडक्‍टर उपलब्ध कराती है. ताइवान, साउथ कोरिया, चीन और जापान जैसे देशों का इसमें दबदबा है. कोविड के दौरान पूरे विश्व ने सेमीकंडक्‍टर की भारी कमी को महसूस किया. कार से लेकर मोबाइल प्रोडक्शन तक प्रभावित हो गया. कभी कोविड तो कभी युद्ध के चलते देशों को सेमीकंडक्टर की कमी से गुजपना पड़ रहा है. जो सेमीकंडक्टर फ्यूचर का ऑयल है, भारत उसमें खुद को सबल बनाने की कोशिशों में जुट गया है. भारत के लिए इस मार्केट में खुद को स्थापित करने का मतलब है चीन को चुनौती देना. भारत में साल 2026 तक सेमीकंडक्टर का मार्केट 80 अरब डॉलर का हो जाएगा. साल 2030 तक ये आंकड़ा 110 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. इन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत के लिए सेमीकंडक्टर कितना महत्वपूर्ण है. भारत ने सेमीकंडक्टर निर्माण में खुद को मजबूत करने के लिए कदम बढ़ा दिया है. दुनियाभर की कंपनियों से बातचीत चल रही है. निवेश को आकर्षित करने के लिए इंसेटिंव का ऐलान किया है. सरकार कंपनियों को 10 अरब डॉलर तक का इंसेंटिव दे रही है. कंपनियों को प्रमोट किया जा रहा है. टाटा, सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन लिमिटेड जैसी कंपनियों भारत के इस मिशन को आगे बढ़ा रही है.

    क्यों इतना खास है ये सेमीकंडक्टर
    सेमीकंडक्टर यानी सिलिकॉन चिप, किसी भी इलेक्ट्रिक डिवाइस का सबसे खास हिस्सा होता है. चाहे आपके टीवी-एसी का रिमोट हो या टेलीविजन, आपकी कार हो या मोबाइल फोन. LED बल्ब से लेकर मिसाइल तक सेमीकंडक्टर के बिना बनाना संभव वहीं है. जब ये चिप इतना महत्वपूर्ण है तो जाहिर है कि पूरी दुनिया इसके पीछे भागेगी. लेकिन इसे बना पाना भी इतना आसान नहीं है. सेमीकंडक्टर बनाने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि बड़े-बड़े विकसित देश भी इससे पीछे हट जाते हैं. लॉग मेकिंग प्रोसेस और अरबों की लागत के साथ-साथ रॉ मेटेरियल की उपलब्धता की दिक्कत के चलते बड़े-बड़े देश सेमीकंडक्टर के सेक्टर में उतरने से खुद को रोक लेते हैं.

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