Pawan Hans: सरकार ने पवन हंस में विनिवेश का फैसला , DIPAM ने दी ये जानकारी।
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Pawan Hans: सरकार ने पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश का फैसला रद्द किया। वित्त मंत्रालय के निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। पिछले साल आर्थिक मामलों पर कैबिनेट की समिति (सीसीईए) की ओर से सशक्त वैकल्पिक तंत्र ने शुक्रवार को पवन हंस में भारत सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने और प्रशासन नियंत्रण के स्थानांतरण के लिए स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की सबसे ऊंची बोली को अनुमति दी थी।
सरकार ने पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश का फैसला रद्द किया। वित्त मंत्रालय के निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management, DIPAM) ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। पिछले साल आर्थिक मामलों पर कैबिनेट की समिति (सीसीईए) की ओर से सशक्त वैकल्पिक तंत्र ने शुक्रवार को पवन हंस में भारत सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने और प्रशासन नियंत्रण के स्थानांतरण के लिए स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की सबसे ऊंची बोली को अनुमति दी थी। इस वैकल्पिक तंत्र में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल थे। पवन हंस में भारत सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी की है।
बीते कई वर्षों से गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही कंपनी
सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस ने बीते कुछ वर्षों में गंभीर वित्तीय संकट का सामना किया है। यह देश की इकलौती सरकारी हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करने वाली कंपनी है। तीन दशक से भी अधिक पुरानी इस कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 69 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसके बाद साल 2019-20 में भी कंपनी को लगभग 28 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा था। इसी के चलते सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। हालांकि अब सरकार ने अपना फैसला बदल लिया है और विनिवेश का फैसला फिलहाल खटाई में पड़ गया है।
पवन हंस में विनिवेश को रद्द करने का ये है कारण
सरकार ने पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश को सोमवार को रद्द करने का फैसला किया क्योंकि सफल बोली लगाने वाले कंसोर्टियम स्टार 9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को लंबित कानूनी मामलों के मद्देनजर अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वन हंस सरकार और ओएनजीसी का 51:49 का संयुक्त उद्यम है। सरकार ने पिछले साल अप्रैल में हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता को 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड (बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अलमास ग्लोबल ऑपर्च्युनिटी फंड एसपीसी) के कंसोर्टियम को बेचने का फैसला किया था। हालांकि, मई में बिक्री प्रक्रिया को रोक दिया गया था क्योंकि यह पता चला था कि विजेता बोलीदाता कंसोर्टियम के प्रमुख सदस्य – अलमास ग्लोबल ऑपर्च्युनिटी फंड एसपीसी – के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में एक मामला लंबित है।
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