पतंजलि की कृषि पहल टिकाऊ कृषि के लिए वरदान है, क्या हैं फायदे, जानिए?
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‘पतंजलि किसान समृद्धि कार्यक्रम’ जैसी परियोजनाओं के माध्यम से किसानों को जैविक खेती का उचित प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे अपनी कृषि पद्धतियों में सुधार कर सकें और फसल उत्पादन बढ़ा सकें।
पतंजलि भारत के कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव ला रहा है। कंपनी जैविक खेती और इसी तरह की प्रथाओं को बढ़ावा दे रही है। जिससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो सके और किसान सशक्त हो सकें। पर्यावरण अनुकूल तरीकों का उपयोग करके पतंजलि न केवल फसलों की गुणवत्ता में सुधार कर रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हों। पतंजलि की कृषि पहल आखिरकार टिकाऊ कृषि के लिए कैसे एक परिवर्तनकारी कदम बन रही है? ऐसा प्रश्न उठ रहा है।
पतंजलि का लक्ष्य जैविक खेती है। इसका मतलब है रसायन मुक्त तरीकों से खेती करना। इससे भूमि उपजाऊ बनती है। पतंजलि किसान समृद्धि कार्यक्रम जैसी परियोजनाओं के माध्यम से किसानों को जैविक खेती का उचित प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि वे अपनी खेती के तरीकों में सुधार कर सकें और फसल उत्पादन बढ़ा सकें। जब मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा तो फसलें भी स्वस्थ होंगी और कृषि लंबे समय तक टिकाऊ होगी।
पतंजलि का कृषि के प्रति नया दृष्टिकोण
कृषि के प्रति पतंजलि का नया दृष्टिकोण भारत में टिकाऊ कृषि के लिए बड़ा बदलाव ला रहा है। कंपनी अनुसंधान और नए विचारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि ऐसी प्रौद्योगिकियां सामने आ सकें जो जल बचाने और मिट्टी को बेहतर ढंग से संरक्षित करने में मदद करें। यह सोच न केवल फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि टिकाऊ कृषि को किसानों के लिए आय का एक अच्छा और लाभदायक स्रोत भी बनाती है। इससे किसानों को अपने घर, परिवार और गांव का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।
रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग
पतंजलि की जैविक खेती में प्रयुक्त उत्पाद मृदा स्वास्थ्य और फसल की गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गोबर और कम्पोस्ट कार्बनिक पदार्थों को बढ़ाकर मिट्टी की उर्वरता में सुधार करते हैं, जबकि गोमूत्र और नीम का घोल प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में कार्य करते हैं और मिट्टी में लाभदायक बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं।
पतंजलि ऑर्गेनिक में क्या है खास?
पतंजलि ऑर्गेनिक प्रोम एक विशेष उत्पाद है, जिसमें कार्बन और नाइट्रोजन 12:1 के अनुपात में होता है। यह न केवल मिट्टी की संरचना में सुधार करता है बल्कि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। इसके अलावा, पतंजलि जैविक खाद जड़ी-बूटियों, फूलों, सब्जियों और गाय के गोबर के अवशेषों से बनाई जाती है, जिसमें ट्राइकोडर्मा, स्यूडोमोनास और एस्परगिलस जैसे लाभकारी बैक्टीरिया शामिल होते हैं। यह उर्वरक मिट्टी की भौतिक और रासायनिक संरचना को बेहतर बनाने में मदद करता है और इसे बंजर होने से बचाता है।
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