Parliament Session 2024: 18वीं संसद का पहला सत्र, पर क्यों नहीं हुई ऑल पार्टी मीटिंग; सदन में किन मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष।
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18वीं संसद का पहला सत्र आज (24 जून) से शुरू हो रहा है, लेकिन इससे पहले सरकार ने इस बार सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई. इसके बाद सवाल उठने लगा है कि ऑल पार्टी मीटिंग क्यों नहीं हुई और इसको लेकर क्या नियम है.
लोकसभा चुनावों की चुनावी रैलियों और नतीजों के बाद हुए हमलों के बाद अब सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष का सामना होने वाला है. आज (24 जून) से 18वीं संसद का पहला सत्र शुरू हो रहा है, जो 3 जुलाई तक चलेगा. इस दौरान 29 और 30 जून को छुट्टी होगी और 10 दिनों में कुल 8 बैठकें होंगी. संसद के विशेष सत्र से पहले इस बार सर्वदलीय बैठक नहीं हुई. इसके बाद सवाल उठने लगा है कि आखिरी सरकार ने संसद के विशेष सत्र से पहले सरकार ने ऑल पार्टी मीटिंग क्यों नहीं बुलाई.
क्या संविधान में है संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक का नियम?
संसद के विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाने के बाद इस बात की चर्चा शुरू होने लगी है कि क्या सत्र से पहले एजेंडे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाना जरूरी है. क्या संविधान में इसको लेकर कोई नियम है? तो चलिए इसको विस्तार से बताते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, संविधान में संसद का सत्र शुरू होने से पहले चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक यानी ऑल पार्टी मीटिंग बुलाने की अनिवार्यता नहीं है. सरकार के इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन संविधान सर्वदलीय बैठक के बारे में कुछ नहीं कहता है. बता दें कि संसद के सत्र को लेकर सारे नियम संविधान के अनुच्छेद 85 में वर्णित हैं, लेकिन इसमें सत्र से पहले विपक्ष सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाने का जिक्र नहीं है.
सर्वदलीय बैठक को लेकर लंबे समय से चली आ रही है परंपरा
संसद के सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और इसका पालन किया जाता है, लेकिन यह अघोषित और अलिखित है. संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक के दौरान सरकार सत्र के एजेंडे के दौरान बताती है और इस पर चर्चा की जाती है. ताकि सत्र की शुरुआत से पहले सभी दलों में सर्वसम्मति बन जाए या विपक्ष संसद के एजेंडे में कुछ बातें जोड़ सके.
पिछले साल भी विशेष सत्र के दौरान नहीं हुई थी सर्वदलीय बैठक
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब संसद के विशेष सत्र के दौरान सरकार ने सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है. इससे पहले मोदी सरकार ने पिछले साल 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था, लेकिन इस दौरान भी ऑल पार्टी मीटिंग नहीं हुई थी. इसको लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था और सवाल किया था कि आखिर सरकार सभी पार्टियों से संसद का एजेंडा क्यों नहीं बता रही है.
संसद के विशष सत्र के दौरान 10 दिनों में 8 बैठकें
सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष का सामना होने वाला है. संसद सत्र की शुरुआत बतौर सांसद पहले PM मोदी के शपथग्रहण से होगी. इसके बाद लोकसभा में आज (24 जून) 280 सांसद शपथ लेंगे. 25 जून यानी कल 264 सांसद शपथ लेंगे. सभी सांसदों को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब शपथ दिलाएंगे. असम के सांसदों के साथ प्रक्रिया की शुरुआत होगी और आखिर में बंगाल के सांसद शपथ लेंगे. इसके बाद 26 जून को स्पीकर का चुनाव होगा और 27 को राष्ट्रपति दोनों सदनों को संबोधित करेंगी. आखिर में 2 जुलाई को पीएम मोदी लोकसभा में और 3 जुलाई को राज्यसभा में भाषण देंगे.
सत्र के आखिरी दो दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार धन्यवाद प्रस्ताव लाएगी और दोनों सदनों में चर्चा होगी. नई संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी का आमना-सामना होने वाला है. 2024 के चुनाव परिणाम के बाद संसद का सीन कुछ बदला-बदला सा होगा. सत्ता पक्ष पहले के मुकाबले थोड़ा सा कमजोर और विपक्ष थोड़ा सा ताकतवर दिखेगा. 292 सांसदों की अगुवाई पीएम मोदी करेंगे और सूत्रों के मुताबिक विपक्ष के 235 सांसदों का नेतृत्व राहुल गांधी करेंगे.
संसद में गूंजेगा नीट का मुद्दा, इन मुद्दों पर भी हंगामा संभव
NEET परीक्षा में गड़बड़ी और फिर एक के बाद एक टल रही परीक्षाओं का मुद्दा संसद में गूंजेगा. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही एक दूसरे के हमलों का जवाब देने की तैयारी कर ली है. खासकर सत्तापक्ष, विपक्ष के हर हमले का जवाब देने के लिए कमर कस रहा है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर रविवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सूचना प्रसारण और रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव और बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालविया की बैठक हुई, जिसमें सत्र को लेकर चर्चा की गई. माना जा रहा है कि बैठक में NEET परीक्षा के अलावा अन्य मुद्दों पर सदन में होने वाली चर्चा को लेकर मंथन किया गया है.
नीट परीक्षा में हुई गड़बड़ी के अलावा विपक्ष संसद के विशेष सत्र में यूजीसी नेट एग्जाम कैंसिलेशन और अग्निवीर योजना को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा. इसके अलावा विपक्ष तीन क्रिमिनल लॉ और लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद शेयर बाजार में हुई गड़बड़ी के आरोपों पर भी हंगामा कर सकता है. इसके साथ ही विपक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता का मामला भी उठा सकता है.
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