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    April 21, 2025

    पाकिस्तान ने दिया धोखा, डील के बावजूद अमेरिका ने नहीं दिए बम, कारगिल युद्ध में इजरायल ने की मदद, पूरी कहानी।

    1 min read
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    साल 1999 में यानी आज से 25 साल पहले कारगिल की हजारों फीट ऊंची चोटियों पर तैयारी के साथ बैठे दुश्मन पाकिस्तानी आर्मी से भारतीय सेना ने काफी नीचे होने के बावजूद न सिर्फ लोहा लिया, बल्कि उन्हें जमकर मारा और वापस खदेड़ कर ही दम लिया. बर्फीली पहाड़ियों पर माइनस तापमान और दोनों तरफ गहरी खाई के बावजूद सेना के जवानों ने एकदम सीधी चढ़ाई चढ़कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे.

    हमारा पूरा देश कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. भारतीय सेना के बलिदानियों को कृतज्ञता के साथ याद करने के साथ ही कारगिल युद्ध से मिले सबक को भी इस खास दिन दोहराया जाता है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की खुली धोखेबाजी से देश पर जबरन थोपे गए युद्ध के दौरान भारत को कई मौके पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के दोस्तों की पहचान भी हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषणों में इस बात को दोहराया भी था.

    कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने सीखा अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सबक
    अंतरराष्ट्रीय संबंधों में निजी नफा-नुकसान तौलकर कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने पहले से डील होने के बावजूद भारत को बम नहीं दिए. इसके बाद भारतीय वायु सेना ने स्थानीय स्तर पर कुछ व्यवस्था की और फ्रांस के मिराज फाइटर जेट से अपना पराक्रम दिखाया. हालांकि, इस बीच इजरायल ने भारत की खुलकर मदद की. इजरायल ने लंबे समय बाद साल 2021 में इसका खुलासा किया. इन दिनों फिलीस्तीन में कब्जा किए आतंकी संगठन हमास के साथ इजरायल की जंग के बीच इसका जिक्र भी स्वाभाविक है.

    कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान का धोखा और भारत की दरियादिली
    कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के धोखे और भारत की दरियादिली के बारे में तो सभी जानते हैं. उस दौरान चीन और इस्लामिक देशों की जटिल डिप्लोमेसी से भी ज्यादातर लोग वाकिफ हैं. फ्रांस और रूस वगैरह देशों के स्टैंड के बारे में भी काफी बात हुई है. लेकिन अमेरिका के तय डील से पीछे हटने और भारत की मदद करने के लिए इजरायल आगे आने के बारे में कम लोगों को पता है. आइए, इसकी पूरी कहानी जानते हैं.

    अमेरिका की चालाकी, जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स और बम देने से इनकार
    सबसे पहले कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिकी चालाकी के बारे में जानते हैं. पोकरण परमाणु परीक्षण की कामयाबी के बाद अमेरिका वैसे भी भारत की बढ़ती ताकत से चिढ़ा हुआ था. उसे कारगिल युद्ध के दौरान मौका मिल गया. कारगिल और आसपास समुद्र तल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर डेरा जमा बैठे दुश्मन पाकिस्तानी सैनिक आसानी से भारतीय जवानों पर निशाना लगा रहे थे. इस गाढ़े वक्त में ऊपर चढ़ने की कोशिश करती भारतीय सेना के काम आने वाले जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स और बम देने से अमेरिका ने साफ इनकार कर दिया था. जबकि पहले इसकी डील तय हो चुकी थी.

    अमेरिका के डील उल्लंघन के बाद एयरफोर्स का ऑपरेशन सफेद सागर
    अमेरिका की ओर से डील के उल्लंघन के बाद इंडियन एयरफोर्स ने एक मिशन ऑपरेशन सफेद सागर प्लान किया. इसके तहत 16 हजार फुट से अधिक की खड़ी चढ़ाई और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करते हुए दुश्मनों को वहां से खदेड़ा. वायुसेना ने लगभग पांच हजार लड़ाकू मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं. घायलों को सुरक्षित निकालने और हवाई परिवहन के लिए दो हजार से अधिक हेलीकॉप्टर्स ने भी उड़ानें भरीं. बिना अमेरिकी उपकरणों के ही वायु सेना ने पाकिस्तान की कई चौकियों को तबाह कर दिया.

    कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ पर इजरायल ने किया था खुलासा
    दूसरी ओर, कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक था जिसने भारत की प्रत्यक्ष रूप से मदद की थी. कारगिल विजय के 22 साल बाद इजरायल ने खुलकर बताया कि उसने किस तरह भारत की मदद की थी. साल 2021 में कारगिल विजय दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए इजरायल ने इसका खुलासा किया था. भारत में स्थित इजरायली दूतावास ने ट्वीट कर बताया था कि कारगिल जंग के दौरान इजरायल ने भारत को मोर्टार और गोला-बारूद देकर सहायता की थी.

    कारगिल युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद इजरायल ने की थी मदद
    कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 फाइटर जेट के लिए लेजर गाइडेड मिसाइलें सौंपी थी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबावों के बावजूद इजरायल ने कारगिल में घुसपैठ के पहले ऑर्डर दिए गए हथियारों की शिपमेंट को काफी जल्दी भारत पहुंचाया था. इस शिपमेंट में इजरायल के उस समय सबसे उन्नत तकनीकी से लैस हेरोन अनमैंड एरियल वीकल (यूएवी) की डिलीवरी भी की गई थी. इजरायल ने भारतीय कर्मियों को इस ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी दिया था.

    भारत और इजरायल के बीच आनन-फानन में नए हथियारों की खरीद का समझौता
    रिपोर्ट के मुताबिक, कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना केवल ग्राउंड इंटेलिजेंस के भरोसे ही पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ रही थी. अमेरिका के इनकार के बाद भारत और इजरायल के बीच आनन-फानन में नए हथियारों की खरीद का समझौता हुआ. इसके बाद इजरायली लेजर गाइ़डेड बम को फ्रांसीसी मिराज 2000 लड़ाकू विमानों पर फिट कर भारतीय वायुसेना ने पहाड़ियों के ऊपर मजबूत बंकरों में छिपी बैठी पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया और बर्बाद कर दिया था.

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