“…नहीं तो हम अपनी किताब खोल देंगे”, राउत की महागठबंधन को चेतावनी; कहा, ‘मुख्यमंत्री पद के लिए फड़णवीस की जगह बीजेपी…’
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संजय राउत ने कहा, ”महागठबंधन में सिर्फ एक गृह मंत्री का पद विवाद का विषय नहीं हो सकता.”
“क्या राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र फड़नवीस की जगह किसी और को लिया जा रहा है?” यह सवाल शिवसेना (ठाकरे) सांसद संजय राउत ने उठाया है. राउत ने कहा, ”महागठबंधन सरकार बनाने का मुद्दा सिर्फ एक गृह मंत्री पद से नहीं रोका जा सकता. ऐसा लगता है कि कोई और कारण है. इतना बड़ा बहुमत मिलने के बाद गृह मंत्री का पद बहस का विषय नहीं हो सकता”. इस बीच संजय राउत ने महायुति को चेतावनी देते हुए कहा है, ‘अगर कल तक इसका समाधान नहीं निकला तो हम अपनी किताब खोल देंगे।’ राउत ने महागठबंधन की आलोचना करते हुए कहा, ”यह शर्म की बात है कि बहुमत के बावजूद राज्य को सरकार नहीं दी गई।”
संजय राउत ने कहा, ”सिर्फ एक गृह मंत्री पद विवाद का विषय नहीं हो सकता, यह सरकार गठन में बाधा नहीं बन सकता. भारतीय जनता पार्टी ने कई राज्यों में सरकार बना ली है. स्थापित मुख्यमंत्रियों की जगह नये लोगों ने ले ली है। तो लोग सोच रहे हैं कि एकनाथ शिंदे कौन हैं. क्या गृह मंत्री पद की जगह कोई और विषय है? लोगों ने ये सवाल पूछा है. क्या फड़णवीस की जगह किसी अन्य नेता को लिया जा रहा है? क्या इसी कारण सत्ता स्थापना की प्रक्रिया रुक गयी है? ये बातें कल तक स्पष्ट हो जानी चाहिए. नहीं तो हम अपनी बंद किताब खोल देंगे.
यह शर्म की बात है कि बहुमत मिलने के बावजूद महायुति ने राज्य को सत्ता नहीं सौंपी: संजय राउत
शिवसेना (ठाकरे) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा, ”गृह मंत्री पद की वजह से इस महाराष्ट्र राज्य की सरकार अधर में लटकी हुई है. किस तरह के मजबूत लोग? आपके सामने कौन है? आपको सरकार बनाने से कौन रोक रहा है? आपके पास बहुमत है तो सरकार बनाइये. आपके पास बहुमत संख्या है. आपके साथ अजित पवार भी हैं. उनके पास 41 विधायक हैं. मुझे नहीं पता कि शिंदे गुट के लोग आपके साथ हैं या नहीं. भविष्य में वे क्या करेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता. आपने बहुमत में होते हुए भी 10 दिन बाद भी शपथ नहीं ली. यह शर्म की बात है कि राज्य को सरकार नहीं दी गयी.
…तो हमारी सरकार नहीं गिरती: संजय राउत
संजय राउत ने कहा, पहले जब भी हम चर्चा करते थे तो वो कहते थे कि घर का हिसाब दूसरी पार्टी को देने की गलती उद्धव ठाकरे को नहीं करनी चाहिए. हम भी यही कह रहे थे. गृह लेखा, विधानसभा अध्यक्ष का पद उस समय संवेदनशील मुद्दे थे। इसीलिए हमारी सरकार गिरी. अन्यथा हमारी सरकार नहीं गिरती.
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