ओपिनियन पोल: प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का कारण क्या है? 41 फीसदी ने ‘यह’ ही एकमात्र कारण बताया
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आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री पद के लिए एनडीए का चेहरा हैं और विपक्ष के सामने बड़ी चुनौती है. अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह लगातार तीसरी बार पद संभालेंगे।
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर विपक्ष का सामना करना पड़ रहा है. चूंकि एनडीए की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया है, इसलिए विपक्ष को जमकर प्रचार करना होगा. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ है. दूसरी ओर, विपक्ष के पास नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए कोई चेहरा नहीं है.
इसी बीच MATRIZE ने एक ओपिनियन पोल लिया जिसमें नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के पीछे का सही कारण पूछा गया. इस पर 41 फीसदी लोगों ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का कारण कल्याणकारी योजना है. जबकि 18 फीसदी लोगों ने हिंदुत्व (राम मंदिर) पर जवाब दिया है. साथ ही 12 फीसदी लोगों ने जवाब दिया है कि राष्ट्रवाद इसकी वजह है, 22 फीसदी लोगों ने जवाब दिया है कि भ्रष्टाचार मुक्त सरकार इसकी वजह है. जबकि 7 फीसदी लोगों ने बताया कि इसके अन्य कारण भी हैं.
कौन सा विपक्षी नेता मोदी को कड़ी चुनौती दे सकता है?
अगर आज लोकसभा चुनाव हों तो कौन सा विपक्षी नेता मोदी को कड़ी चुनौती दे सकता है? यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी को सबसे ज्यादा तरजीह दी गई. लेकिन राहुल गांधी को सिर्फ 23 फीसदी वोट ही मिले. इसके बाद ममता बनर्जी का नंबर है. उन्हें 11 फीसदी वोट मिले. इसके बाद प्रियंका गांधी और अरविंद केजरीवाल हैं। उन्हें क्रमश: 11 और 8 फीसदी वोट ही मिले. दिलचस्प बात यह है कि आन्या को 44 फीसदी वोट मिले हैं.
आप 10 वर्षों में मोदी के प्रदर्शन के बारे में क्या सोचते हैं?
जब प्रधानमंत्री मोदी के 10 साल के प्रदर्शन के बारे में पूछा गया तो 46 फीसदी लोगों ने कहा कि यह बहुत अच्छा था और 28 फीसदी ने कहा कि यह कुछ हद तक अच्छा था. लेकिन 22 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रदर्शन खराब है.
राम मंदिर के मुद्दे से बीजेपी को चुनाव में कितना फायदा होगा?
इसी दौरान एक सवाल पूछा गया कि राम मंदिर की पवित्रता के मुद्दे से बीजेपी को चुनाव में कितना फायदा होगा. इस बार 56 फीसदी लोगों ने राय जताई है कि बीजेपी को काफी फायदा होगा. 26 फीसदी लोगों का कहना है कि इससे कुछ हद तक ही फायदा होगा. साथ ही 9 फीसदी लोगों ने राय जताई है कि कोई फर्क नहीं पड़ेगा और 5 फीसदी लोगों ने नुकसान होने की आशंका जताई है. जबकि 4 फीसदी लोगों ने कोई राय दर्ज नहीं कराई है.
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