असफलता की सिढीयोंसे ही सफलता की मंजील तक पहुॅंच सकते है – डॉ.संजिव टंकसाळे
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जिवन में आनेवाली हर समस्या के लिए डटकर खडे होना जितना जरूरी है, उतनाही जरूरी है अपनो का साथ मिलना, अपनोका विश्वास मिलना
डॉ.संजिव टंकसाळे जिन्होने 1991 में अपनी वैदयकिय पढाई पुरी करने के बाद, पुणे में वैदयकिय व्यवसाय शुरू किया, 2001 में उन्हे पिलीयाॅ हुआ तब उन्हे अपना वैदयकिय व्यवसाय बंद करना पडा, 2002 में उन्होने बतौर ट्रेनर और फॅसीलेटर टेक्नीकल पर्सन के ओहदेसे मिटकाॅन पुणे इन्स्टीटयुट जाॅईन किया, कुछ साल वहाॅ जाॅब करने के बाद 2015 में आयुर्वेदिक औषधी निर्माण क्षेत्रमें काम शुरू किया! और आज पीयुश न्युट्रीफार्मा ओपीसी प्रा.लि.के अर्तंगत संहयाद्री न्युट्रासेटयुकल्स कंपनी के संस्थापक के रूप में वे जानेमानें बिझनेसमन बन चुके है!
मिटकाॅन जाॅईन करने के बाद अलग अलग शाखाओं में वे प्रशिक्षण के लिये जाने लगे, उसी दौरान उन्हे काफी लोगोंको मिलने का मौका मिला, लोगोंसे मिलना जुलना, बातें करना और उन्हे समझना, ये सब उनके लिए एक प्रशिक्षण लेने जैसा था! उन्होने लोगोंसे काफीकुछ सिखा, जिसका फायदा उन्हे उनके बिझनेस में होने लगा! उस दौरान उनकी मुलाकात एक एैस शक्स से हुई जो उनकी जिंदगी में परिवर्तन की नई दिशा लेकर आया, वे थे ग्रीनटच केअर एंड क्युअर प्रा.लि. कंपनी के संस्थापक श्री.दिपक नाईक, उन्हीसे प्रेरणा लेकर डॉ. संजिव टंकसाळेजी ने निर्मिती क्षेत्र में पेहला कदम रखा!
कभी कभी जिंदगी में आनेवाली मुश्किलें नए अवसर लेकर आती है! संजिव जी के साथ भी कुछ काॅर्पोरेट पाॅलीटीक्स होने लगी, और उन्हे मजबूरन उनकी जाॅब छोडनी पडी! लेकीन उसी समय किस्मत का दरवाजा खुला था जहाॅ उनके मित्र बने दिपक नाईक उनका इंतजार कर हे थे! मिटकाॅन में 10 वर्षोतक सेवा करने से व्यापार उदयोग की काफी जानकारी उन्हे मिली और उसी अनुभव के आधारपर दिपक नाईकजी के साथ मिलकर ब्युटीप्राॅडक्टस् निर्माण का उदयोग उन्हाने शुरू किया! वहीसें पियुश फार्मा का प्रारंभ हुआ!
तकरीबन 4 वर्षोतक पार्टनरशिपमें उनका बिझनेस तेजीसे आगे बढ रहा था! लेकीन दुर्भाग्यवश उनके मित्र दिपक नाईकजी का देहांत हो गया! और एक सच्चा साथी उनका साथ छोड चला गया! जिनका सहयोग संजिव जी जिवनभर याद रखेंगे! लेकीन उनके जाने के बाद उन्हे आर्थिक संकटों का सामना करना पडा! धिरे धिरे कंपनी के सारे लोग काम छोड जाने लगे, और उन्हे अकेलेही मझधार में छोड दिया! उस समय उनकी नाव पानी में डुबनेही वाली थी! लेकीन केहते है डुबते को तिनके का सहारा, कुछ ऐसाही हुआ, और कंपनी मे केवल एकही कर्मचारी थी विदया अत्रे जिन्होंने बिना पगार लिए काम करने का हौसला दिखाया! और कंपनी को बंद नही होने दिया!
उसके बाद 4 से 5 महीनोंका वक्त बिता और आशाकी नई किरण नजर आने लगी, उस समय सहयांद्री आयुर्वेदिक लाईफ प्रा.लि. के श्री.सचिन सावंत जी से मुलाकात हुई, और उन्होनें सहयोग का हाथ आगे बढाया! उस समय कंपनी में जो नए कर्मचारी थे दिपा वाळींबे, अरूणा नेवसे, शुभांगी जगताप जिन्हानें बिना किसी अपेक्षा के भरोसा रखते हुए कंपनी का साथ दिया! और दिनरात मेहनत करते रहे! संजिव के बगैर भी कंपनी का विस्तार और प्राॅडक्शन का काम उन्होने कभी रूकने नही दिया!
जिस समय कंपनी बुरे वक्त से गुजर रही थी, उसी कठीण परिस्थिती में विआरमोअर प्रा.लि. कंपनी के विकास गोपाल और प्रिया चांदोरकर ने उनका साथ दिया, और सचिन सांवत, विकास सर, प्रिया मॅम इनके सहयोग से ही कंपनी का कारोबार चलने लगा, आज कंपनी सफलता की राहपर आगे बढ रही है!
संजिव जी को उनके परिवारका भी पुरा सहयोग और साथ मिला, लेकीन सबसे ज्यादा उनका साथ दिया उनके बेटे पियुष ने, उसने हरपल हर परिस्थितीमें अपने पापा को समझा, और अपनी अपेक्षाओंको कभी उनके सामने जाहीर नही किया! उन्हे उनकी पत्नी विदयाजीपर भी बडा नाज है! उन्हानें कठीन परिस्थिती में उनका साथ कभी नही छोडा, उनका हौसला बनकर उनके साथ हमेशा खडी रही! कईबार कंपनी के मशिन्स लेने के लिए उन्होने अपने गेहने तक गिरवी रख दिये, लेकीन पतीपर कोई आंच नही आने दि! जिंदगी के कुछ पल एैसे थे मानो किसी फिल्म की कहानी के किस्से हो, जिन्हे देख अनायास ही आँखो ओझल हो जाती है! उनकी पत्नी आज भी सायेकी तरह हरपल उनके साथ खडी है! उनकी आँखो का सपना अपनी आँखोमें सजाये बैठी है!
हारकर जितनेवालों को बाजिगर केहेते है, संजिव जी ने अपनी जिंदगी में काफी उतार चढाव देखे, सफलता और असफलता का मंजर भी देखा, जिवन के सफर में उन्हे काफी अच्छे लोग मिले जिन्होने उनका विश्वास बढाया और आज 125 करोड का लक्ष्य लेकर वे कंपनी के विकास में निरंतर जुटे है!
केवल एक एम्प्लाॅई से शुरू हुई उनकी कंपनी आज तेजी से विकास कर रही है! काफी उतार चढाव देखने के बाद न्युट्रासेयुटीकल्स्, काॅस्मेटिक मॅन्युफॅक्चरींग के क्षेत्र में कंपनी सफलता का मुकाम हासिल कर रही है! आज कंपनी आधुनिक मशनरीज् के साथ बेहतर उत्पाद करने में कार्यक्षम बन चुकी है! कंपनी में 15 से अधीक एम्पलाॅईज् विश्वास के साथ कार्य कर रहे है! जल्द ही कंपनी की नई शाखाॅ का शुभारंभ होनेवाला है!
जिंदगी में क्या करना है, क्या पाना है ये पेहले ठान ले, और फिर उसी राहपर मेहनत करते रहो, सफलता एक ना एक दिन आपके कदम चुमेगी ये दृढ विश्वास है! गुणवत्ता, विशेषज्ञ और टिम वर्क के आधारपर ही कंपनी सफलता का आसमा छु सकती है! सफलता पाने के लिऐ असफलताओंकी सिढीयोंसे चढकर ही मंजील तक पहूॅचा जाता है! और हम अच्छे बुरे लोगोंकी परख भी अच्छेसे कर सकते है! हम रिसिल.इन की और से उनके लक्ष्य के लिए उन्हे ढेरसारी शुभकामनाए देते है!
लेखक : सचिन आर जाधव
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