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    April 21, 2025

    हाय रे गुजरात! भ्रष्ट ‌अधिकारियों ने रिश्वत लेने में लागू किया ‘EMI मॉडल’, दरियादिली इतनी कि महीनों में देनी होगी घूस.

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    देश में जब भी विकास की बात होती है तो गुजरात मॉडल का नाम जरूर होता है, उसी गुजरात में एक ऐसा मॉडल सामने आया है, जिसको जानने के बाद पूरे देश में कोई भी इस मॉडल न पसंद करेगा, न ही उसे प्रोत्साहित करेगा, जानें क्या है पूरा मामला.

    Gujarat: आप सबने बहुत बार गुजरात मॉडल का नाम सुना होगा, चुनाव के दौरान तो अवश्य ही सुना होगा, पूरे देश में जब भी विकास की बात होती है तो गुजरात मॉडल लागू होने की बात होती ही है. लेकिन आज हम आपको गुजरात मॉडल की बात नहीं बताने जा रहें, बल्कि गुजरात में इन दिनों एक मॉडल की खूब चर्चा हो रही, जिसका नाम है- ‘ईएमआई मॉडल’. आइए जानते हैं क्या है ईएमआई मॉडल.

    ईएमआई मॉडल
    मान लीजिए अगर कोई आपसे कहे कि कुछ भ्रष्ट अधिकारी रिश्वत लेने के लिए लोगों को ईएमआई की सुविधा दे रहे हैं तो यकीनन आप हैरान हो जाएंगे, आप समझ ही नहीं पाएंगे कि रिश्वत में ईएमआई, ये कैसे संभव है, लेकिन गुजरात में इन दिनों ये मॉडल खूब प्रचलित है. इससे जुड़ें कई मामले सामने आ चुके हैं. गुजरात में इस साल ईएमआई पर रिश्वत के 10 सनसनीखेज मामले सामने आए हैं.

    रिश्वत की EMI! लोगों पर न पड़े बोझ,
    गुजरात के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने रिश्वत लेने का अनोखा तरीका अपनाया, अधिकारी रिश्वत से किसी को परेशान न हो इसलिए ईएमआई में रिश्वत ले रहे हैं, हैरान करने वाली बात ये है कि लोग भ्रष्ट्र अधिकारियों को ईएमआई यानी किस्तों में रिश्वत दे भी रहे हैं इस साल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा ऐसे दस मामले दर्ज किए गए हैं.

    अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक EMI में रिश्वत के पैसे लेने का चलन खूब लोकप्रिय हो रहा है. गुजरात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के अधिकारियों का कहना है कि इस साल अकेले ऐसे दस मामले सामने आए हैं.

    कौन-कौन से आए मामले
    मार्च महीने में GST फर्जी बिलिंग घोटाले में एक व्यक्ति से 21 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी, जिसमें 2 लाख रुपये की 10 किश्तों और 1 लाख रुपये की एक किश्त में उसे पूरा पैसा अधिकारियों को देना था. इससे आरोपी को परेशानी भी न हो और पूरा रिश्वत का पैसा अधिकारियों को मिल भी जाए.

    किसान को भी नहीं छोड़ा
    4 अप्रैल को सूरत में एक उप सरपंच ने एक ग्रामीण के खेत को समतल करवाने के लिए 85,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी. उसकी तंग आर्थिक स्थिति को देखते हुए आरोपियों ने थोड़ी सी रहम खाई. उन्होंने उस बेचारे गरीब के सामने ईएमआई का विकल्प दिया. इस हिसाब से उसे 35,000 रुपये पहले और बाकी के बचे पैसे तीन बार में देने को बोला था.

    पुलिस ही रिश्वत की पहली किस्त लेकर फरार
    गुजरात के साबरकांठा में भी दो भ्रष्ट पुलिसकर्मियों ने कुछ ऐसा ही कांड किया. उन्होंने साबरकांठा के एक शख्स से 4 लाख रुपए की रिश्वत ली और फरार हो गए. जिस शख्स से 4 लाख रुपए की रिश्वत ली गई, उसे 10 लाख रुपए की रिश्वत देनी थी. ये 4 लाख रुपए उसकी पहली किस्त थी.

    भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का क्या है कहना
    एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “एक व्यक्ति जो घर, कार या कोई भी कीमती चीज खरीदने में असमर्थ है, वह ईएमआई पर लोन ले लेता है. भ्रष्ट अधिकारी अब रिश्वत के लिए भी यही तरीका अपना रहे हैं.” एसीबी के निदेशक और डीजीपी (कानून और व्यवस्था) शमशेर सिंह के अनुसार, यह तो बस एक छोटा सा मामला हो सकता है क्योंकि एजेंसी “केवल उन मामलों की जांच कर रही है, जो उनके जानकारी में आए हैं, ऐसे कई सारे मामले हो सकते हैं. जो अभी तक जानकारी में नहीं आए हैं.

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