भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के मार्ग की बाधाएं दूर हो गई हैं- डॉइश बैंक।
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डॉइश बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की राह में बाधाएं अब स्पष्ट हो गई हैं और दिसंबर तिमाही में इसकी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।
नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की राह में बाधाएं अब स्पष्ट हो गई हैं और दिसंबर तिमाही में इसकी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है, ऐसा डॉइश बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है।
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर सितम्बर में समाप्त तिमाही में गिरकर सात तिमाहियों के निम्नतम स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गयी, जिससे अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर चिंताएं बढ़ गयीं। हालाँकि, हमारा मानना है कि भारत के विकास पथ पर काले दिन अब समाप्त हो चुके हैं। डॉइश बैंक के विश्लेषकों ने कहा कि यद्यपि गति में सुधार हुआ है, फिर भी वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7 प्रतिशत की संभावित वृद्धि दर से नीचे रहने की संभावना है।
अप्रैल में भी रेपो दर में कटौती
लगभग 65 उच्च आवृत्ति संकेतकों से भी 6.2 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत मिल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकास को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल में होने वाली अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती किए जाने की संभावना है। फरवरी में भी रिजर्व बैंक ने करीब पांच साल की अवधि के बाद रेपो दर में कटौती की थी। बैंक ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक को अर्थव्यवस्था में तरलता की आवश्यकता का पूरा ज्ञान है।
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