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    April 30, 2025

    NSG अब अयोध्या में सेट कर रही अपनी यून‍िट, जान‍िये कैसे बनते हैं कमांडो और क‍ितनी होती है सैलरी।

    1 min read
    😊

    पलक झपकते आतंक‍ियों को ढेर कर देने वाले एनएसजी कमांडोज अब अयोध्‍या राम मंद‍िर में सुरक्षा की पड़ताल करने जा रहे हैं. लेक‍िन क्‍या आपको पता है क‍ि दुन‍िया के सबसे खतरनाक कमांडो में से एक एनएसजी ब्‍लैक कैट का सेलेक्‍शन कैसे होता है और उन्‍हें क‍ितनी सैलरी म‍िलती है. आइये यहां जानते हैं.

    राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) अब आयोध्‍या में अपनी सुरक्षा सेवा देने के ल‍िए वहां सेटअप लगा रही है. 17 जुलाई को एनएसजी की टीम अयोध्‍या पहुंच जाएगी और वहां स्थायी रूप से तैनात रहेगी. हालांक‍ि ये टीम अयोध्‍या में स‍िर्फ चार द‍िनों तक रहेगी और वहां राम जन्मभूमि व आस-पास की सुरक्षा का जायजा लेगी.

    कौन होते हैं NSG कमांडो:
    NSG यानी नेशनल सेक्‍योर‍िटी गार्ड (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) को आमतौर पर ब्लैक कैट भी कहा जाता है. ये होम म‍िन‍िस्‍ट्री के तहत आते हैं और इनका प्रमुख काम आतंकवाद‍ियों को धूल चटाना है. साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करने और राज्यों को आंतरिक गड़बड़ियों से बचाने के लिए एनएसजी की स्‍थापना की गई थी.

    NSG की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार NSG एक जीरो एरर फोर्स है. यान‍ि यहां गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती. फोर्स के कमांडो किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए विशेष रूप से सुसज्जित और प्रशिक्षित होते हैं. अक्सर मेन इन ब्लैक या ब्लैक कैट कमांडो के नाम से जाने जाने वाले एनएसजी कमांडो अपनी असाधारण खूबियों जैसे स्‍पीड, पावर और फटाफट फैसला लेने के लिए जाने जाते हैं. इस फोर्स में कमांडो की भर्ती कैसे होती है और इन्‍हें क‍ितनी सैलरी म‍िलती है, आइये इसके बारे में जानते हैं.

    NSG में कैसे होता है सेलेक्‍शन :
    NSG में शामिल होना आसान नहीं है और ना ही इसके ल‍िए कोई सीधी प्रक्र‍िया है. इसके ल‍िए भारतीय रक्षा बलों में से क‍िसी भी एक में काम करने का अनुभव होना चाह‍िए. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से भी इनके कैंड‍िडेट आ सकते हैं, जिनमें CISF, सीआरपीएफ, एसएसबी या बीएसएफ शामिल हैं.

    NSG में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को कुछ बुनियादी शर्तें पूरी करनी होंगी. जैसे क‍ि किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री हो, भारतीय नागरिक हो और भारतीय रक्षा बलों के साथ काम करने अनुभव हो. पुलिस फोर्स के उम्मीदवारों के पास न्यूनतम पांच साल का अनुभव होना चाह‍िए. जबक‍ि भारतीय सेना के उम्मीदवारों को केवल तीन साल की सेवा की आवश्यकता होती है. इसके ल‍िए 35 साल तक के कैंड‍िडेट ही आवेदन कर सकते हैं. खास बात यह है क‍ि इसमें क‍िसी भी तरह का र‍िजर्वेशन नहीं मिलता.

    NSG में भर्ती और ट्रेन‍िंग :
    राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के लिए चयन प्रक्रिया क‍ितनी कठोर और चुनौतीपूर्ण होती है, इस बात का अंदाजा आप इसके ड्रॉपआउट रेट को देखकर लगा सकते हैं. इसमें 70-80% ड्रॉपआउट रेट है. इसमें 14 महीने तक ट्रेन‍िंग चलती है और इसे तीन अलग-अलग चरणों में विभाजित किया जाता है.

    प्री-सेलेक्‍शन फेज में उम्मीदवारों की फ‍िज‍िकल और साइकोलॉज‍िकल कैपस‍िटी चेक की जाती है. आगे बढ़ने के लिए, उम्मीदवारों को विशिष्ट शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और शैक्षिक मानदंडों को पूरा करना होगा.

    इसके बाद सेलेक्‍शन और बेस‍िक ट्रेन‍िंग होती है. चुने गए कैंड‍िडेट्स को मानेसर के नेशनल सेक्‍योर‍िटी गार्ड एकेडमी में ट्रेन‍िंग दी जाती है. ये ट्रेन‍िंग तीन महीने तक चलती है और कैंड‍िडेट्स को बुन‍ियादी चीजें स‍िखाई जाती हैं और जांच की जाती हैं. हालांक‍ि, पहला फेज भी आसान नहीं होता है. इन तीन महीनों के दौरान कैंड‍िडेट्स को सख्‍त फ‍िज‍िकल फिटनेस ट्रेन‍िंग से गुजरना होता है. जैसे क‍ि क्रॉस-कंट्री कोर्स को नेविगेट करना, ऊंचाइयों से छलांग लगाना आद‍ि. कैंड‍िडेट्स को मार्शल आर्ट और टार्गेट शूटिंग में भी अपना हुनर द‍िखाना होता है. यही नहीं, इस दौरान ये भी देखा जाता है क‍ि कैंड‍िडेट्स तनाव और थकान में भी अपने काम को कैसे पूरा करते हैं. इस चरण में सफल होने वाले कैंड‍िडेट्स को आगे 9 महीने के एडवांस ट्रेन‍िंग के ल‍िए भेजा जाता है.

    एडवांस ट्रेन‍िंग में हाथ से हाथ की लड़ाई, खुफिया जानकारी जुटाने और विध्वंस से लेकर बम निपटान, रिफ्लेक्स शूटिंग तक की तकनीकों की एक पूरी सीरीज शामिल है. इसमें ‘कॉम्बैट रूम शूट’ भी है, जहां कैंड‍िडेट्स को टॉर्चलाइट या लेजर इमेज इंटेंसिफायर की मदद से अंधेरे कमरे में जाना होता है और तीन सेकंड के भीतर एक लक्ष्य को शूट करना होता है. इसके अलावा ट्विन रूम शूटिंग भी होती है, जहां कैंड‍िडेट्स आसपास के कमरों में जाते हैं और स्क्रीन के जर‍िये एक-दूसरे की हरकतों पर नजर रखते हैं और र‍िएक्‍ट करते हैं.

    इसके अलावा कैंड‍िडेट्स को अपने साथी के बगल में रखे लक्ष्य को शूट करने की ट्रेन‍िंग दी जाती है. कैंड‍िडेट्स को 400-मीटर, जोन इलेक्ट्रॉनिक कॉम्बैट शूटिंग रेंज में 6.30 मिनट में दूरी तय करके और 29 अलग-अलग गतिशील लक्ष्यों पर फायरिंग करनी होती है. शूट‍िंग के हर लक्ष्य दो से तीन मिनट के लिए खुला रहता है.

    NSG की सैलरी और पर्क्‍स :
    भारतीय सशस्त्र बल अपने कर्मियों को उच्च वेतन और लाभ लेने के ल‍िए मशहूर हैं. एक एनएसजी कमांडो को लगभग 10-15 लाख रुपये का औसत वार्षिक वेतन मिलता है, साथ ही विभिन्न प्रकार के बोनस भी मिलते हैं. जैसे क‍ि ट्रैवल रेमबर्समेंट, सरकारी क्वार्टर, बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा सेवाएं, स्थायी पेंशन किट, रखरखाव लाभ, फील्‍ड एर‍िया पेमेंट, विशेष बलों के भत्ते आदि शामिल हैं.

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