नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 20, 2025

    अब अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षण में होगा वर्गीकरण; क्या पिछड़ी जाति समूहों को न्याय मिलेगा?

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में अपने ही फैसले को पलट दिया और फैसला किया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के वंचित वर्गों को अलग से आरक्षण दिया जाएगा।

    हालाँकि अनुसूचित जातियों और जनजातियों में से कुछ जातियों ने अपनी प्रगति की है, लेकिन इन श्रेणियों में कई जातियाँ अभी भी मुख्यधारा से दूर हैं, इसलिए पुरानी मांग है कि इन जातियों के लिए आरक्षण के तहत कुछ सीटें आरक्षित की जानी चाहिए। 2004 में जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने आरक्षण को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच बांटने से इनकार कर दिया. लेकिन आज मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में आरक्षित सीटों के आरक्षण को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह आरक्षण समानता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है.

    सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया. जज बेला माधुर्य त्रिवेदी फैसले से असहमत थे. इसके माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने 2004 ई. में. वी चिन्नैया बनाम. आंध्र प्रदेश राज्य ने इस मामले में अपना ही फैसला पलट दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति को आरक्षण के तहत वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है.

    आज फैसला पढ़ते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, “ऐतिहासिक और अनुभवजन्य साक्ष्य बताते हैं कि अनुसूचित जातियां एक समरूप वर्ग नहीं हैं।”

    देशभर के कुछ राज्यों के साथ महाराष्ट्र में भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण में वर्गीकरण की मांग हो रही है. यह मांग मातंग समुदाय ने आक्रामक तरीके से उठाई है. इसके लिए इस समुदाय द्वारा कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया गया है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बार-बार यह मुद्दा उठाया है कि आरक्षण से उस वर्ग की कुछ चयनित जातियों को लाभ हुआ है, लेकिन अन्य जातियाँ हाशिए पर बनी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार कैसे लागू करती है, यह तो भविष्य में पता चलेगा.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    3:19 AM