अब होगी पांचवीं और आठवीं की वार्षिक परीक्षा, नई शिक्षा नीति के मुताबिक ‘ये’ बड़ा बदलाव
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नागपुर: सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है और 34 साल बाद देश में नई शिक्षा नीति लागू होगी। आगामी शैक्षणिक वर्ष से प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू हो जायेगी। नई शिक्षा नीति के जरिए शिक्षा व्यवस्था में भी कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें गुणवत्ता को अधिक प्राथमिकता दी गई है। इसलिए शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षा में विद्यार्थियों की गुणवत्ता का आकलन दो चरणों में करने का निर्णय लिया है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम 2011 में सूधार किया गया है। इसके लिए गुणवत्ता की दृष्टि से पहली से आठवीं कक्षा तक फेल होना मुनासिब नहीं है।
प्रत्येक छात्र की योग्यता परीक्षा पांचवें और आठवें चरण में आयोजित की जाएगी। यह नियम राज्य शिक्षा बोर्ड के सभी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा। निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार आठवीं कक्षा तक छात्र फेल नहीं हो सकते। हालाँकि, कानून ने छात्रों के निरंतर मूल्यांकन को अनिवार्य कर दिया। इसकी उपेक्षा के कारण विद्यार्थी अधिकांश विषयों में कच्चे रहने लगे। छात्र परीक्षा में फेल हो रहे थे क्योंकि उनकी योग्यता सीधे नौवीं वार्षिक परीक्षा में मापी जाती थी।
संशोधित नियमों के अनुसार, बच्चे को कक्षा ५ तक आयु-अनुरूप कक्षाओं में प्रवेश दिया जाएगा। कक्षा 6 से 8 तक में आयु के अनुसार प्रवेश देते समय बच्चे को कक्षा 5 के लिए निर्धारित वार्षिक परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।
यदि बच्चा इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होता है तो बच्चे को पांचवीं कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। इसके चलते स्कूल में प्रवेश के एक चरण में उसे पांचवीं कक्षा की परीक्षा देकर अपनी गुणवत्ता साबित करनी होगी। इससे शिक्षकों और अभिभावकों दोनों की शैक्षिक जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा ५ और ८ के लिए वार्षिक परीक्षा आयोजित की जाएगी ताकि छात्र अगली कक्षा में आगे बढ़ने के लिए अपनी योग्यता साबित कर सकें। यदि छात्र वार्षिक परीक्षा उत्तीर्ण करने में विफल रहता है, तो ऐसे बच्चे को संबंधित विषय में स्कूल को अतिरिक्त पूरक मार्गदर्शन प्रदान करना होगा और वार्षिक परीक्षा के परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर उसकी दोबारा परीक्षा देनी होगी। यदि छात्र पुन: परीक्षा में असफल हो जाते हैं, तो उन्हें, जैसी भी स्थिति हो, कक्षा ५ या ८ में रखा जाएगा। हालाँकि, प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।
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