अब इंसानों की जंग मनुष्यों से नहीं मशीनों से होगी! जानें क्या है वह 3 वजह, भारत के CDS ने संभाली कमान।
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आने वाले दिनों में इंसानों के बीच जंग नहीं होगी, यह बात सुनकर आपको थोड़ा अटपटा लग सकता है. लेकिन यह मैं नहीं कर रहा हूं, इसको लेकर भारत के भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने पूरे देश को अगाह किया है. जानें पूरा मामला.
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को युद्ध की बदलती प्रकृति को लेकर पूरे देश को अगाह किया. चौहान ने कहा कि अभी तक युद्ध हमेशा से इंसानों के बीच होता रहा है, लेकिन अब दुनिया एक ऐसे युग में प्रवेश करने जा रही है, जिसमें यह मशीन और इंसानों के बीच और बाद में मशीनों के बीच हो सकता है. मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि “हम युद्ध में एक बड़े बदलाव के मुहाने पर हैं” “अब हम एक ऐसे युग में प्रवेश करने जा रहे हैं, जिसमें लड़ाई मशीन और मनुष्य के बीच होगी, एक ऐसी मशीन जो पूरी तरह से खुद से चलने वाली होगी और कल यह मशीनों और मशीनों के बीच भी हो सकती है. यह युद्ध में एक बड़ा अंतर होगा और मैं रोबोटिक्स के कारण यह देख रहा हूं.” उन्होंने कहा कि तीन प्रमुख प्रौद्योगिकियां या रुझान युद्ध के पाठ्यक्रम को बदलने जा रहे हैं. सीडीएस ने बताया कि ये रुझान रोबोटिक्स, सेलेरिटी यानी हाइपरसोनिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग और अन्य विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के नेतृत्व में चरम स्वचालन हैं. मानव बनाम मशीन “इस सबका प्रभाव यह है… चूंकि, फिर से… युद्ध विकसित हुआ है, लड़ाई हमेशा एक मानव और एक मानव के बीच होती है. इंसान अब इंसान से क्यों नहीं लड़ेगा? इसके लिए सीडीएस ने तीन वजह बताई हैं, आप भी जानें वजह.
सीडीएस ने कहा कि युद्ध के तरीके को बदलने वाली तीन प्रमुख तकनीकों या रुझानों में से पहली रोबोटिक्स है. “जब मैं रोबोटिक्स कहता हूं, तो इसमें मानव रहित प्रणाली, स्वचालित प्रकार की प्रणाली जैसी तकनीकें शामिल होंगी, इसमें मानव क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक्सोस्केलेटन भी शामिल होना चाहिए.”
दूसरी महत्वपूर्ण प्रवृत्ति जो मैं देख रहा हूँ, मैंने इसे तेज़ी नाम दिया है, जिसका संबंध वेग और गति से है. यह हाइपरसोनिक, ग्लाइड सैंड क्रूज़, सेंसर तकनीक और बैलिस्टिक तकनीक के कारण सामने आ रहा है. और ड्रोन और यहां तक कि उन्होंने कहा, “स्वार्म ड्रोन.” ये तकनीकें हथियार प्रणालियों को लगभग अगोचर, अश्रव्य और “अलक्ष्य” बना देंगी. इसलिए, लंबी दूरी पर सभी बलों की कमजोरियां बढ़ने वाली हैं.
जनरल ने तीसरी वजह एआई एमएल तीसरी तकनीक जो आगे बढ़ रही है उसे बताया है. स्वचालन या चरम स्वचालन जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, बड़े डेटा के नेतृत्व में है और जो आपको बेहतर और तेज़ निर्णय लेने में मदद करने वाली है. यह नेट-केंद्रित युद्ध से डेटा-केंद्रित युद्ध में संक्रमण में मदद करेगा. उन्होंने रेखांकित किया कि नेट-केंद्रित युद्ध में, कोई “सूचना श्रेष्ठता” और डेटा-केंद्रित में, कोई “संज्ञानात्मक श्रेष्ठता” देख रहा है. ये तीन तकनीकी रुझान हैं जो भविष्य में युद्ध को आकार देने जा रहे हैं.
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